अग्नि आलोक
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दीप

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सुनो!
दीपों का त्यौहार आ रहा है
कुछ रोशनी
अपने अंदर भी कर लेना।

सुना है !
अंधकार बहुत है
तुम्हारे अंदर भी
तभी दिखता नहीं तुम्हें
औरों का व्यक्तित्व ।

मगर दिख जाता है
सत्य की रोशनी में
औरों को तुम्हारा अहम।

क्या मिट जाएगा ?
इस बार
दीपों की रोशनी में
तुम्हारा ज़िदी अहम।

डाँ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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