इंदौर
इंदौर के किसान दुखी हैं। उनकी परेशानी है आईडीए की योजनाएं और लैंड पूलिंग एक्ट। किसान सेना के बैनर तले एक जाजम पर आए इंदौर के किसान अब आंदोलन की तैयारी में हैं। उनका कहना है चाहे कुछ भी हा़े जाए, लैंड पूलिंग (काला कानून) के तहत हम अपनी जमीनें स्कीमों के लिए नहीं देंगे। आईडीए किसानों के साथ धोखा कर रहा है। किसानों का कहना है कि यह काला कानून कमलनाथ सरकार लाई थी, इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
किसानों का यह भी कहना है कि हम पहले खुश थे, जब आईडीए ने अपनी पुरानी योजनाएं निरस्त की थीं, लेकिन अब फिर से टीपीएस (टाउन प्लानिंग स्कीम) के नाम पर जो योजनाएं घोषित की हैं और जमीन अधिग्रहण की तैयारी है, हम इसके खिलाफ हैं। किसानों ने अपनी बहुफसलीय और उपजाऊ जमीन नहीं देने का फैसला किया है।
किसान सेना के प्रदेश अध्यक्ष केदार पटेल और प्रदेश सचिव जगदीश रावलिया ने कहा लैंड पूलिंग कानून के तहत किसी किसान की 20 एकड़ जमीन आईडीए लेता है तो 10 एकड़ जमीन बिना कीमत चुकाए ले ली जाएगी। बची 10 एकड़ जमीन अविकसित ही छोड़ दी जाएगी।
इससे जमीन मालिक को दोबारा नक्शा पास कराना पड़ेगा। रोड, ड्रेनेज, बिजली व अन्य मूलभूत सुविधा के लिए भी खर्च करना पड़ेगा। इस समय कोई भी नेता किसानों के पक्ष में नहीं आ रहा। इसलिए यदि जमीन ली गई तो सिर्फ आंदोलन होगा।
इन स्कीमों में आने वाले गांवों के किसान हैं नाराज
- टीपीएस-1 (सार्वजनिक व अर्ध सार्वजनिक उपयोग)- खजराना।
- टीपीएस-2 (आवासीय, वाणिज्यिक, पीएसपी)- राऊ।
- टीपीएस-3 (ट्रांसपोर्ट)- तलावली चांदा, लसूड़िया मोरी।
- टीपीएस-4 (आवासीय)- निपानिया, कनाड़िया बायपास।
- टीपीएस-5 (आवासीय व वाणिज्यिक)- कनाड़िया।
- पीएस-6 (आवासीय)- बिचौली हप्सी, कनाड़िया, टिगरिया राव।
- टीपीएस-7 (आवासीय)- बड़ा बांगड़दा, पालाखेड़ी, टिगरिया बादशाह, लिंबोदागारी।
- टीपीएस-8 (आवासीय, ट्रांसपोर्ट, औद्योगिक)- भौंरासला, कुमेड़ी, भांग्या, कैलोदहाला, लसूड़िया मोरी, तलावली चांदा, अरंडिया।
(हालांकि इन योजनाओं को आईडीए ने एक साल पहले घोषित किया था, अभी जमीन अधिग्रहण होना है)
नए एक्ट में और ज्यादा लाभ होगा
लैंड पूलिंग एक्ट में आईडीए सीधे 50 प्रतिशत जमीन पहले ही दिन से आरक्षित करके देगा। इससे किसानों को किसी तरह के विकास के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उसे गारंटी रहेगी कि यह जमीन उसी की है। – विवेक श्रोत्रिय, सीईओ, आईडीए
विरोध इसलिए भी
पहले आईडीए विकसित प्लॉट देता था, भले ही वह तीन टुकड़ों में हो। अब यदि बड़ी जमीन है तो आंतरिक विकास खुद जमीन मालिक को करना होगा। किसानों का कहना है केंद्र सरकार के जमीन अधिग्रहण अधिनियम 2013 में ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दोगुना मुआवजे का प्रावधान है।
पहले स्कीम 166 मेडिकल हब में 32 प्रतिशत विकसित प्लॉट, स्कीम 169-बी में 30 प्रतिशत प्लॉट और स्कीम 151 में 20 प्रतिशत विकसित प्लॉट दिए गए। ये सभी कमर्शियल थे। विकसित थे। अब यदि किसी किसान की 10 बीघा जमीन है तो 5 बीघा आईडीए एकमुश्त लौटा देगा। इस 5 बीघा के आसपास का विकास आईडीए कर देगा, लेकिन 5 बीघा में अंदर का डेवलपमेंट जमीन मालिक करेगा।