सनत जैन
आयकर विभाग के जो ताजा आंकड़े जारी हुए हैं। उसने भारत की अर्थव्यवस्था की कलई खोल कर रख दी है। भारत की आबादी लगभग 140 करोड़ बताई जा रही है। एक परिवार में चार से पांच लोग होते हैं। इस हिसाब से लगभग 30 करोड़ परिवार भारत में हैं। सरकार अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी के साथ बढ़ने की बात कर रही है। हकीकत आयकर विभाग ने खोल दी है। 2021 में एक करोड़ रुपए से ज्यादा कमाने वाले लोगों की संख्या 1 लाख, 46 हजार थी। 2022 में 1 लाख, 93 हजार, 2023 में 2 लाख, 69 हजार तथा 2024 में 3 लाख, 49 आयकर दाताओं ने अपनी आय 1 करोड रुपए या इससे ज्यादा की बताई है। 50 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच आय बताने वालों की संख्या 2021 में 2 लाख, 25 हजार, 2022 में 2 लाख, 88 हजार, 2023 में 3 लाख, 81 हजार तथा 2024 में 5 लाख, 44 हजार आयकर दाताओं ने अपनी विवरणी भरी है। 10 लाख से 20 लाख रुपए के बीच आय वालों की संख्या 2021 में 33 लाख, 32 हजार, 2022 में 38 लाख, 27 हजार, 2023 में 47 लाख, 30 हजार तथा 2024 में 65 लाख, 4 हजार आयकरदाताओं ने अपनी आयकर की रिटर्न भरी है। 5 से 10 लाख रुपए तक की आय वालों की संख्या 2021 में 99 लाख, 36 हजार थी। जो 2024 में बढ़कर एक करोड़, 41 लाख हुई है। भारत में सालाना 50000 रूपये से कम कमाने वालों की संख्या 5 करोड़, 68 लाख थी। जो 2023-24 में 6 करोड़, 02 लाख पर पहुंची है। भारत के 7 करोड़ परिवारों की आय 50000 रूपये की है। बाकी 23 करोड़ परिवारों की आय 50000 रूपये वार्षिक की भी नहीं है। यह भारत की आर्थिक स्थिति को दर्शाती है।
आयकर विभाग के जो आंकड़े सामने आए हैं। उसमें सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। भारत के सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल हैं। 50 लाख से एक करोड़ रुपए कमाने वालों की संख्या भारत में मात्र 9 लाख है। 20 से 50 लाख रुपए के बीच वार्षिक आय वालों की संख्या मात्र 28 लाख है। 10 से 20 लाख रुपए कमाने वालों की संख्या मात्र 65 लाख है। भारत में 5 लाख से 10 लाख रुपए कमाने वालों की संख्या एक करोड़, 41 लाख है। 140 करोड़ की आबादी में 10 लाख रूपये से अधिक कमाने वालों की संख्या मात्र एक करोड़ है। आयकर विभाग में सभी सरकारी अधिकारी, मंत्री, संत्री, नेता और कारोबारी शामिल हैं। 5 से 10 लाख रुपए कमाने वालों की संख्या जरूर एक करोड़, 41 लाख है। 2022-23 में एक करोड़ दो लाख लोगों ने 5 लाख से कम आय की रिटर्न भरी थी। जो इस बार घटकर मात्र 60 लाख, 50 हजार रह गए हैं। इसका मतलब है, उनकी आय पूर्व वर्ष की तुलना में घट गई है। भारत सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है। आयकर विभाग में आयकर दाताओं ने जो रिटर्न दाखिल की है। उसमें सरकार के दावे ओर वास्तविक स्थिति में बड़ा विरोधाभास है। निम्न मध्यम वर्ग परिवार की आय पहले की तुलना में कम हुईं है। इस बार जो रिटर्न भरी है। उसमें उनकी आय घटी है। आयकर विभाग के इन आंकड़ों को देखें तो 50 लाख से एक करोड़ रुपए कमाने वाले लोगों की संख्या देश में मात्र 3,49,000 है। वहीं 50000 रूपये वार्षिक से कम कमाने वालों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है। भारत सरकार दावा करती है, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ बढ़ रही है। इसका लाभ कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिल रहा है। उनकी आय और संपत्ति बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। ऐसे लोग बड़े-बड़े कॉर्पोरेट हैं। जिनमें अडानी, अंबानी, टाटा, बिरला जैसे परिवार आते हैं। आम औसत लोंगो की आय लगातार कम होती जा रही है। आयकर विभाग के आंकड़ों से तो यही स्पष्ट हो रहा है। अंबानी ने अभी अपने बेटे अनंत की शादी की है। दो प्री वेडिंग और शादी का कार्यक्रम देश विदेश में किया। इसमें 5000 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए हैं। अब हनीमून ट्रिप का कई देशों में विशिष्ट आयोजन किया जा रहा हैं। इसमें भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च होंगे। ऐसी शादी पौराणिक और ऐतिहासिक काल में भी पढ़ने और सुनने को नहीं मिलती है। भारत में 28 करोड़ परिवार और 112 करोड़ की आबादी अभी भी 50000 वार्षिक आय से कम में अपने परिवार का गुजारा कर रही है। यह भारत की अर्थव्यवस्था का सत्य है। भारत में पिछले 10 वर्षों में अमीर बड़ी तेजी के साथ अमीर होते जा रहे हैं। मध्यम वर्ग और गरीब की कमाई घटती चली जा रही है। मध्यम वर्ग कर्ज का शिकार हो गया है। गरीब निम्न वर्ग महंगाई और बेरोजगारी के कारण भुखमरी और कुपोषण का शिकार हो रहा है। अमीरों और गरीबों के बीच में जिस तरह की आर्थिक असमानता बढ़ रही है। यह चिंताजनक स्थिति है। 100 साल पहले जब हम अंग्रेजों और राजाओं की गुलामी में रह रहे थे, उस समय जो स्थिति थी, वही स्थिति 100 साल बाद एक बार फिर देखने को मिल रही है। यदि यह कहा जाए, तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। 100 साल पहले जब अंग्रेजों का राज था। उस समय भी कुछ ही लोगों के पास धन था। लगभग वही स्थिति अब फिर बन गई है।