भोपाल। हाल ही में स्थानांतरित किए गए आईपीएस अफसरों में जिन्हें मैदानी पदस्थापना से हटाकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है, उन्हें अब नई जिम्मेदारियां दे दी गई है। हालांकि अभी स्टेट सायबर सेल में एडीजी से लेकर आईजी तक के पद खाली हैं और इस शाखा का काम डीआईजी के भरोसे चलाया जा रहा है। हालांकि माना जा रहा है कि साइबर सेल का जिम्मा जल्द ही विशेष शाखा में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश चौधरी को दिया जा सकता है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। दरअसल मौजूदा दौर में अत्याधिक महत्वपूर्ण सायबर सेल में डीजी का पद छह माह और एडीजी का पद बीते चार माह से खाली चल रहा है। इस शाखा का अतिरिक्त प्रभार सीआईडी विजिलेंस आईजी (अब एडीजी) ए.साईं मनोहर को देकर काम चलाया जा रहा था, लेकिन उनके भोपाल जोन में पदस्थ होने के बाद से अब इस शाखा का प्रभार डीआईजी वायंगणकर को देकर काम चलाया जा रहा है। उधर हाल ही में जिन चार अफसरों को पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया गया है, उनमें आईजी राकेश गुप्ता को एटीएस की कमान दी जाने की संभावना है, जबकि आईजी संतोष कुमार सिंह को कानून व्यवस्था का काम दिया गया है, जबकि एंटी नक्सलाइट ऑपरेशन की जिम्मेदारी आईजी साजिद फरीद सापू को दी गई है। हालांकि अब एक बार फिर गुप्ता और संतोष कुमार सिंह के कामकाज में बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है।
भर्ती नहीं हुई तो नहीं मिलेंगे निचले स्तर के अफसर
प्रदेश में खराब कानून व्यवस्थ की स्थिति के बाद भी रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर सरकार पूरी तरह से उदासीन बनी हुई है। इसका उदाहरण पूर्व के तीन साल हैं। इन तीन सालों में पुलिस भर्ती भी नहीं की गई और पांच साल से पदोन्नति भी नहीं हो पा रही है, लिहाजा इन पांच सालों में प्रदेश में बीस हजार से अधिक कर्मचारियों की कमी हो गई है। खास बात यह है कि यह रिक्त पद भी आरक्षक से लेकर डीएसपी स्तर के हैं। इन पर ही कानून व्यवस्था से लेकर अपराधों की विवेचना का जिम्मा होता है। यही नहीं हर साल लगातार सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए माना जा रहा है कि लगभग हर साल आठ हजार कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई तो हालत बेहद खराब हो सकती है। यह बात अलग है कि अब इस साल पुलिस में चार हजार दो सौ हजार पदों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है।
पदोन्नति से भरे जाने वाले पद भी नहीं भरे गए
प्रदेश में इसके पहले अंतिम बार सितंबर 2017 से सिपाही, उप निरीक्षक, सूबेदार तथा प्लाटून कमांडरों के पदों पर भर्ती की गई थी। उसके बाद से भर्ती ही नहीं की गई है। इसी तरह से जिन पदों को पदोन्नति से भरा जाना था वे पद भी अपै्रल 2016 से नहीं भर पा रहे हैं। इसकी वजह बनी है पदोन्नति का मामला न्यायालय में विचाराधीन होना। पदोन्नति के अभाव में प्रधान आरक्षक, एएसआई, एसआई से लेकर डीएसपी के रिक्त होने वाले पदों की संख्या में भी लगातार वृद्धि होती जा रही है। इसकी वजह है हर साल इन संवर्ग के तीन हजार कर्मचारियों का सेवानिवृत्त होना। विभाग में वर्तमान में स्वीकृत कुल पदों की संख्या सवा लाख है, जबकि अभी एक लाख पांच हजार के करीब ही कर्मचारी उपलब्ध हैं।
एडीजी अफसरों की भरमार
प्रदेश में पुलिस का पिरामिड पूरी तरह से बिगड़ चुका है, जिसकी वजह से हालत यह हो चुके हैं कि विभाग में जहां अतिरिक्त पुलिस महानिदेश की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है और डीआईजी जैसे पदों पर अफसरों की कमी लगातार होती जा रही है। यही नहीं आईजी के पदों पर एडीजी को पदस्थ करना पड़ रहा है, जिससे आईजी स्तर के अफसरों का हक मारा जा रहा है। इसकी वजह से मुख्यालय की सीआईडी, अजाक , महिला प्रकोष्ठ चयन एवं भर्ती, सायबर सेल, एसएएफ में इन अधिकारियों की बेहद कमी बनी हुई है, इसी तरह 22 जोनल आईजी के पदों में से चार जोन में एडीजी पदस्थ हैं। इनमें भोपाल, शहडोल, बालाघाट और उज्जैन जोन शामिल हैं। इनमें बालाघाट जोन में लंबे समय से पदस्थ केपी वेंकटेश्वर राव को एडीजी के पद पर पदोन्नति देकर यथावत रखा गया है।
जांच एजेंसियों में अधिकारियों की कमी
जिलों में थाना स्तर पर जहां विवेचक प्रधान आरक्षक और सहायक उप निरीक्षकों की कमी से प्रकरणों की विवेचना प्रभावित हो रही है तो जांच एजेंसी लोकायुक्त संगठन, ईओडब्ल्यू, सायबर सेल, सीआईडी, जिलों के अजाक थाने तथा एसटीएफ में बल की कमी की वजह से उनके काम काम प्रभावित हो रहे हैं। इसी तरह से एसआईएसएफ में आरक्षक से लेकर निरीक्षकों के 2850 पद स्वीकृत हैं। इसमें भी एक हजार से अधिक पद रिक्त बने हुए हैं।
चार डीजी स्तर के अफसरों को मिलेगी केन्द्र में जिम्मेदारी
मप्र कैडर के चार आईपीएस अफसरों का केन्द्र में डीजी के पद पर इम्पेनलमेंट भी हो चुका है। इनमें से दो पहले से ही केन्द्र में पदस्थ हैं जबकि दो अफसर अभी प्रदेश में ही पदस्थ हैं। इनमें हाल ही में डीजी के पद पर पदोन्नत हुए 1988 बैच के अधिकारी अरविन्द कुमार डीजी जेल हैं। उनका फिर से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाना तय माना जा रहा है। उन्हें केन्द्र द्वारा पैरा मिलिट्री फोर्स या केंद्रीय जांच एजेंसी की कमान दी जा सकती है। इसी तरह से केन्द्र में पदस्थ 1987 बैच के अधिकारी सुधीर कुमार सक्सेना (डीजी, सीआईएसएफ) के साथ ही डीजी लोकायुक्त राजीव टंडन और केंद्र में पदस्थ यूसी षडंगी का केंद्र में डीजी के पद पर इम्पेनलमेंट हो चुका है। ऐसे में सुधीर सक्सेना को प्रदेश लौटना संभव नहीं दिख रहा है, जबकि यूसी षड़ंगी की मार्च में वापसी होनी थी , लेकिन उनकी वापसी पर भी संशय बना हुआ है।