इंदौर: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने सोमवार को अपने 57 उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी कर दी. बीजेपी ने इस बार अपनी मजबूत माने जाने सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के करीबी नेताओं पर एक बार फिर से भरोसा जताया गया है तो साथ ही उन नेताओं को भी टिकट दिया है, जिनके चलते शिवराज सरकार और पार्टी की किरकिरी होती रही है. शिवराज सरकार को पौने 4 सालों से पानी पी-पी कर कोसने वाले अजय विश्नोई और उमा कांत शर्मा को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है.
अजय विश्नोई और उमा कांत शर्मा बीजेपी के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं. दोनों ही नेता मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर साल 2020 से अपनी नाराजगी समय-समय पर जारी करते रहे हैं और बीजेपी को कठघरे में खड़े करते रहे. इसके बावजूद बीजेपी उनका टिकट नहीं काट सकी. बीजेपी ने उमाकांत शर्मा को सिरोंज विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. इसी तरह अजय विश्नोई को भी पार्टी ने पाटन विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है.
अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं विश्नोई
सीएम शिवराज की ओर से सीएम योगी की तर्ज पर बुलडोजर का इस्तेमाल करने पर अजय विश्नोई ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा था एमपी सरकार को यूपी का अनुसरण करना है तो बुलडोजर चलाने के बजाय शराब बिक्री पर रोक लगाई जाना चाहिए. बुलडोजर के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिलेगा और ज्यादा वोट मिलेंगे. इससे पहले उन्होंने 2020 में मंत्रिमंडल का गठन किए जाने पर निशाना साधा था. मंत्रिमंडल विस्तार के अगले ही दिन अजय विश्नोई ने बगावती तेवर अख्तियार करते ट्वीट किया था कि महाकौशल उड़ नहीं सकता सिर्फ फड़फड़ा सकता है. इसके बाद भी वह एक के बाद एक बयान शिवराज सरकार और पार्टी के खिलाफ देते रहे.
अजय विश्नोई ने अपनी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी मध्य प्रदेश का विद्युत उपभोक्ता परेशान है. विशेष तौर पर ग्रामीण उपभोक्ता. घरेलू और कृषि दोनों ही बिजली परेशान कर रही है. ट्रांसफार्मर बार-बार जल रहे हैं और बदलने में देरी होती है. बिजली के जमीन छूते तार दुर्घनाओं को न्यौता दे रहे हैं. इसके अलावा उपचुनाव में बीजेपी की हार पर उन्होंने कहा था कि टिकट बांटने वाले नेताओं की जवाबदेही होनी चाहिए. हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा था कि 4 को खुश कर 14 का नाराज करना ठीक नहीं है.
2020 से शिवराज सरकार के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा
अजय विश्नोई ने 2020 से सोशल मीडिया के जरिए अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसी तरह बीजेपी के गढ़ के तौर पर देखी जाने वाली सिरोंज विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे उमाकांत शर्मा भी कई बार पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं. हालांकि उनके परिवार की सिरोंज लटेरी क्षेत्र में मजबूत स्थिति है. 2013 का चुनाव छोड़ दें तो 1993 से लेकर 2018 तक पहले दिवंगत नेता लक्षमीकांत शर्मा और फिर उमाकांत शर्मा इस सीट से चुनाव जीते रहे हैं. ऐसे ही अजय विश्नोई पाटन सीट से लगातार तीक रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने उनके बागी तेवर को नजरअंदाज करते हुए फिर से दांव लगाया है.
बीजेपी के लिए हमेशा से बागी तेवर दिखाते रहे हैं विश्नोई
अजय विश्नोई तीन बार विधायक रह चुके हैं और मध्य प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय, चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय और पशु चिकित्सा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. इस बार उन्हें उम्मीद थी कि सीएम शिवराज सिंह चौहान उन्हें मौका देंगे, लेकिन उन्हें पौने चार सालों में जगह नहीं मिल सकी है. अजय विश्नोई बीजेपी के लिए हमेशा से बागी तेवर दिखाते रहे हैं. खास तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अजय विश्नोई हमेशा से ही खतरा बने रहे हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने उन पर विश्वास कर उन्हें पाटन विधानसभा का उम्मीदवार बनाया है. वजह यह है कि बीजेपी यह जानती थी कि अगर उनका टिकट काटा जाता है तो बागवत का झंडा उठा सकते हैं, जिससे बीजेपी के लिए चिंता बढ़ सकती है.