पड़ोसी ने हमसे कहा, संयोग की बात है कि अदानी और अंबानी जैसे अमीरों के अपने देश में गरीब अचानक चर्चा में आ गया। महाराष्ट्र में राकां (अजीत पवार) गुट के नरहरि झिरवल कैबिनेट मंत्री और हिंगोली जिले का पालक मंत्री बनाए जाने के बावजूद खुश नहीं हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह में सार्वजनिक रूप से अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि एक गरीब विधायक को गरीब जिले का पालक मंत्री बनाया गया है। इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं हो जाएगी। पता नहीं क्यों लोग हजारों रुपए खर्च करते हैं और जाकर गंगा में डुबकी लगाते हैं।’

हमने कहा, ‘गरीबी और अमीरी दुनिया में हमेशा से रही है। कुछ लोग अपने कर्म से तो कुछ भाग्य से गरीब होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के सखा सुदामा गरीब थे लेकिन किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते थे। उन्होंने कभी गरीब होने की शिकायत भी नहीं की। अपनी पत्नी के कहने पर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे तो भगवान द्रवित हो गए।’
हमने कहा, ‘कवि नरोत्तमदास ने ‘सुदामा चरित्र’ में लिखा है- देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करूणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छुवो नहीं, नैनन के जल से पग धोए! सुदामा ने कुछ नहीं मांगा लेकिन जब वापस घर पहुंचे तो उनका निवास महल बन चुका था और प्रभु कृपा से समृद्धि आ गई थी। द्रोणाचार्य इतने गरीब थे कि उनके बेटे अश्वत्थामा को दूध तक नसीब नहीं था। अश्वत्थामा के दूध मांगने पर उसकी माता पानी में आटा घोलकर पिला दिया करती थी। कौरव-पांडवों का गुरु बनने के बाद द्रोणाचार्य की गरीबी दूर हुई।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है। पुरानी फिल्मों में गाने रहा करते थे- गरीबों की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा। गरीब जान के हमको ना तुम भुला देना, तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना। फिल्मों में रामू काका नामक गरीब नौकर रहा करता था।’
हमने कहा, ‘व्यक्ति सूझबूझ और पुरुषार्थ से अपनी गरीबी दूर कर सकता है। जहां उद्योग है वहां लक्ष्मी है। कुछ लोगों के पास धन होने पर भी तुच्छ विचारों और संकुचित मन से गरीब बने रहते हैं। दौलत से नहीं ईश्वर से जुड़ने से स्थायी सुख मिलता है। खड़गे को क्या पता कि कुंभ में गंगा में डुबकी लगाकर श्रद्धालु व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बन जाता है। शास्त्रों में भी कहा गया है- आस्थावान लभते नर:’