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*थोड़ा चाँद के बारे में जानें*

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           ~ कुमार चैतन्य 

       चाँद हमारी धरती का एकलौता कुदरती उपग्रह है. वैज्ञानिको का मानना है कि आज से 450 करोड़ साल पहले ‘थैया’ नामक उल्का धरती से टकराया और धरती का कुछ हिस्सा टूट कर अलग हो गया जो कि चाँद बना. इसीलिए चांद को धरती का भाई कहते हैं। हम धरती को माता कहते है अतः चांद हमारा मामा हुआ। 

       चाँद 27.3 दिनो में धरती का एक चक्कर पूरा करता है और धरती के समुंदरों पर आने वाले ज्वार और भाटे के लिए जिम्मेदार है.

अब तक सिर्फ 12 मनुष्य चाँद पर गए है.

चांद धरती के आकार का शिर्फ 27 प्रतीशत हिस्सा ही है.

चाँद का वजन लगभग 81,00,00,00,000(81 अरब) टन है.

पूरा चाँद आधे चाँद से 9 गुना ज्यादा चमकदार होता है.

    नील आर्मस्ट्रोग ने चाँद पर जब अपना पहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँद की जमीन पर बना वह अब तक है और अगले कुछ लाखों सालो तक ऐसा ही रहेगा. क्योंकि चांद पर हवा तो है ही नही जो इसे मिटा दे.

जब अंतरिक्ष यात्री एलन सैपर्ड चाँद पर थे तब उन्होंने एक golf ball को hit मारा जोकि तकरीबन 800 मीटर दूर तक गई.

      अगर आप का वजन धरती पर 60 किलो है तो चाँद की low gravity की वजह से चाँद पर आपका वजन 10 किलो ही होगा.

     चाँद पर पड़े काले धब्बों को चीन में चाँद पर मेढ़क कहा जाता है.

जब सारे अपोलो अंतरिक्ष यान चाँद से वापिस आए तब वह कुल मिलाकर 296 चट्टानों के टुकड़े लेकर आए जिनका द्रव्यमान(वजन) 382 किलो था.

चाँद का सिर्फ 59 प्रतीशत हिस्सा ही धरती से दिखता है.

चाँद धरती के ईर्ध-गिर्द घूमते समय अपना सिर्फ एक हिस्सा ही धरती की तरह रखता है इसलिए चाँद का दूसरा हिस्सा आज तक धरती से किसी मनुष्य ने नही देखा.

चाँद का व्यास धरती के व्यास का सिर्फ चौथा हिस्सा है और लगभग 49 चाँद धरती में समा सकते हैं.

क्या आपको पता है चाँद हर साल धरती से 4 सैटीमीटर दूर खिसक रहा है. अब से 50 अरब साल बाद चाँद धरती के ईर्द-गिर्द एक चक्कर 47 दिन में पूरा करेगा जो कि अब 27.3 दिनो में कर रहा है. पर यह होगा नही क्योकि अब से 5 अरब साल बाद ही धरती सुर्य के साथ खत्म हो जाएगी.

सौर मंडल के 63 उपग्रहो में चाँद का आकार 5 वे नंम्बर पर है.

चाँद का क्षेत्रफल अफरीका के क्षेत्रफल के बराबर है.

     Mans Huygons चाँद की सबसे ऊँची चोटी है. इसकी लंम्बाई लगभग 4700 मीटर है. (माउंट ऐवरेसट की 8848 मीटर है).

     चाँद पर पानी भारत की खोज है. भारत से पहले भी कई वैज्ञानिको का मानना था कि चाँद पर पानी होगा परन्तु किसी ने खोजा नही.

चाँद के दिन का तापनान 180 डिगरी सेलसीयस तक पहुँच जाता है जब कि रात का -153 डिगरी सेलसीयस तक.

*चाँद पर सर्वप्रथम कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग का झूठा सच :*

     21 जुलाई, 1969 नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रक्खा. वहाँ अमेरिकन झंडा गाड़ दिया. असल में वह झंडा चांद पर कम रूस की छाती पर ज्यादा गाड़ा गया था.

      वे लोग अभी बधाइयां ले ही रहे थे विश्व भर से, तब तक वह बात फैल गई।

    अमेरिकनों ने जो वीडियो डाला था झंडा गाड़ने का उसमें झंडा फहरा रहा था. पहली बात ये उठी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कि बिना वायुमंडल के फ्लैग फहरा कैसे रहा था? अमेरिका के पास चुप रहने के अलावा कोई जवाब न था।

    दूसरा सवाल उठा, नील आर्मस्ट्रांग जहां खड़ा था चंद्रमा पर वहां से एक तरफ उसकी छाया बन रही थी. उस समय जब छाया पूर्व की तरफ बन रही थी तो सूर्य पश्चिम में होना चाहिए. जबकि उस समय जिधर छाया बन रही थी वीडियो में, सूर्य भी उधर ही था. तो छाया सूर्य की तरफ कैसे बनी?

   इस मजेदार वाकये ने उन्हें कहीं का न छोड़ा, उनका झूठ पकड़ा गया था।

      तीसरा सवाल उठा, जिस तरफ छाया बन रही थी उस तरफ छाया की लंबाई को एक खास कोण पर सिर के ऊपर से सीधी रेखा में गुजारने पर वह मात्र 35 फिट दूर किसी बिंदु पर मिल रही थी जहां से प्रकाश आ रहा था.   सूर्य वहां से लाखों करोड़ों किलोमीटर दूर है. रोशनी इतनी नजदीक से कैसे आ रही थी? क्या कोई बड़ी लाइट लगाकर किसी स्टूडियो में चंद्रमा पर उतरने का वीडियो बनाया गया है?

     ऐसे 32 सवाल उस समय उठाए गए थे जिसमें से एक का भी जवाब अमेरिका ने नहीं दिया था।

     केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञान के प्रोफेसर माईकल रिच ने बयान दिया था : असल में यह चंद्रमा अभियान राजनैतिक कारणों से जल्दबाजी में अंतरिक्ष में हमारा नियंत्रण है, यह सिद्ध करने के लिए किया गया था।

     अभी कुछ दिन पहले रूस ने घोषणा की थी कि हम 2031 तक चंद्रमा तक पहुंच जाएंगे.

   अमेरिका ने आज से 50 साल पहले एक झूठा दावा किया और बेइज्जती के शिकार हुआ. भारत में यह बात क्यों नहीं पढ़ाई जाती हमारे बालकों को? ये एक अलग विषय है।

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