पवन कुमार
_महज़ अगले 10-15 साल में ही एक पीढी संसार छोड़ कर जाने वाली है. यह पीढ़ी सीनियर सिटीजन्स की है. इससे मानवीयता सीखी जा सकती है. बिना मानवीयता के मनुष्य पशुमानव - यंत्रमानव मात्र रह जाएगा._
समाप्त होती इस पीढ़ी के लोगों की उम्र इस समय लगभग 60 से 75 साल के बीच की है लिए.
_इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं :_
रात को जल्दी सोने वाले
सुबह जल्दी जागने वाले
भोर में घूमने वालेl
आंगन और पौधों को पानी देने वाले
देवपूजा के लिए फूल तोड़ने वाले
पूजा अर्चना करने वाले
प्रतिदिन मंदिर जाने वाले!
रास्ते में मिलने वालों से बात करने वाले
सबका सुख – दु:ख पूछने वाले
दोनो हाथ जोड कर प्रणाम करने वाले
पूजा किये बगैर अन्नग्रहण न करने वाले!
इनका अजीब सा है संसार :
तीज त्यौहार, मेहमान शिष्टाचार , अन्न , धान्य , सब्जी , भाजी की चिंता तीर्थयात्रा , रीति रिवाज , सनातन धर्म के इर्द – गिर्द घूमने वालेl
पुराने फोन पे ही मोहित , फोन नंबर की डायरियां मेंटेन करने वाले , रॉन्ग नम्बर से भी बात कर लेने वाले , समाचार पत्र को दिन भर में दो – तीन बार पढ़ने वाले!
हमेशा एकादशी याद रखने वाले , अमावस्या और पूर्णमासी याद रखने वाले लोग , भगवान पर प्रचंड विश्वास रखने वाले , समाज का डर पालने वाले , पुरानी चप्पल , बनियान , चश्मे वालेl
गर्मियों में अचार पापड़ बनाने वाले , घर का कुटा हुआ मसाला इस्तेमाल करने वाले और हमेशा देशी टमाटर , बैंगन , मेथी , साग भाजी ढूंढने वाले , नज़र उतारने वालेl
क्या आप जानते हैं , कि ये सभी लोग धीरे – धीरे , हमारा साथ छोड़ के जा रहे हैं? क्या आपके घर में भी ऐसा कोई है ?
यदि हाँ , तो उनका बेहद ख्याल रखें. उनसे प्रेरणा लें. अन्यथा जीवन की महत्वपूर्ण सीख उनके साथ ही चली जायेगी.
वो सीख है :
संतोषी जीवन , सादगीपूर्ण जीवन , प्रेरणा देने वाला जीवन , मिलावट और बनावट रहित जीवन , धर्म सम्मत मार्ग पर चलने वाला जीवन और सबकी चिन्ता करने वाला आत्मीय जीवन.
इसलिए आपके परिवार में जो भी बडे हों , उनको मान सन्मान और अपनापन, समय तथा प्यार दें. यथासंभव उनके पदचिन्हो पर चलने की कोशिश करें! संस्कार ही अपराध रोक सकते हैं, सरकार नहीं.
यह ‘मानवीयता से भरी’ मानव इतिहास की वह आखिरी पीढ़ी है, जिसने अपने बड़ों की सुनी और अब अपने छोटों की भी सुन रहे हैंl
(चेतना विकास मिशन)