अग्नि आलोक
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आइए परलोक देखें

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पुष्पा गुप्ता 

       पृथ्वी- कक्ष के बाहर का ‘प्रभा मण्डल’ है विशिष्ट आत्माओं का केंद्र !

      पूर्व सोवियत संघ के एक इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ वैज्ञानिक समायोन कर्लीयान ने फोटोग्राफी की एक विशेष विधि का अविष्कार कर प्राणियों और पौधों के सान्निध्य में होने वाले सूक्ष्म विद्युत् सम्बन्धी कार्य-कलापों का सफल छायांकन किया है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि प्रत्येक प्राणी के ‘मूलतः’ दो शरीर होते हैं।

(हमारे भरतीय योग दर्शन और शिवतंत्र में सात शरीरों का जिक्र है।)

       *भौतिक शरीर* जो आँखों से दिखलायी देता है और दूसरा–सूक्ष्म शरीर जिसकी सारी विशेषतायें प्राकृतिक शरीर जैसी ही होती हैं, पर वह आँखों से नहीं दिखलायी देता। 

     _वैज्ञानिकों के अनुसार  *सूक्ष्म शरीर* किसी ऐसे सूक्ष्मीकृत पदार्थ से बना होता है जिसके इलेक्ट्रोन्स ठोस शरीर के इलेक्ट्रोन्स की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से चलायमान होते हैं।_

        उनके अनुसार सूक्ष्म शरीर अस्थायी तौर पर भौतिक शरीर से अलग होकर कहीं भी विचरण कर सकता है।

       _भूत-प्रेत का मतलब है–सूक्ष्म शरीरधारी आत्मा। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि भूत-प्रेत के बारे में जिन नयी-नयी बातों का पता वैज्ञानिकों को नए सिरे से लग रहा है, वे हमारे पूर्वजों को हज़ारों साल पहले ही ज्ञात थीं।_

       जीवित मनुष्य और मृत मनुष्य में सिर्फ शरीर की दृष्टि से अन्तर होता है। पहला स्थूल शरीरधारी है, दूसरा है सूक्ष्म शरीरधारी। जीवित और मृत व्यक्ति में बुनियादी तौर पर कोई अन्तर नहीं होता। खोज से एक बात सामने आई कि पृथ्वी के कक्ष के बाहर एक ‘प्रभा मण्डल’ है जिसकी रचना सूक्ष्मतम विद्युत् चुम्बकीय कणों से हुई है।

       _वह ‘प्रभा मण्डल’ बुद्धिजीवी आत्माओं का केंद्र है। वे अपने विचारों, भावों और सिद्धांतों को अनुरूप माध्यमों से भूलोक में प्रकट किया करती हैं। कभी-कभी तो माध्यमों के द्वारा वे लेखन कार्य भी कराती हैं।_

       अंग्रेजी कथा साहित्य में टेल्का नामक एक ऐतिहासिक उपन्यास काफी प्रसिद्ध है। उस उपन्यास की लेखिका हैं–‘श्रीमती कूरन’। उन्होंने अपने उपन्यास को भूतों के निर्देशानुसार लिखा है।

        _श्रीनगर निवासी ‘पंडित गोपीकृष्ण’ ‘कुण्डलिनी योग’ के विशिष्ट विद्वान् हैं। इस गम्भीर विषय पर उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, वह अशरीरी आत्माओं की प्रेरणाओं से लिखा है।_

 काशी की प्रसिद्ध माँ आनंदमयी भी किसी अशरीरी आत्मा की प्रेरणा से अरबी तथा अन्य भाषाओँ में लिखे गए ग्रन्थों के उद्धरण श्रोताओं को सुनाया करती थीं। वे स्वयं इन भाषाओँ से अपरिचित थीं। 

      _इस शताब्दी की सर्वाधिक विख्यात् माध्यम हैं श्रीमती रूट मांट गुमरी जिन्होंने अमेरिका के दो राष्ट्रपतियों रूज़वेल्ट और केनेडी के अन्त की भविष्यवाणी ‘भूत जगत’ से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर काफी पहले कर दी थी।_

      श्रीमती रूथ ने स्व. आर्थर  के भूत द्वारा लिखाई गयी एक पुस्तक ‘ए वर्ल्ड बियॉन्ड’ का संपादन किया है।

       _मेरे पास दर्जनों ऐसे उदहारण हैं जिनका उल्लेख मैं अन्य किसी कथा में करूँगा। मेरी कथा जिस आत्मा के सम्बन्ध में होती है मैं उसी की प्रेरणा से रात ग्यारह बजे से दो बजे के बीच उस कथा को लिखता हूँ : तीन घण्टे अबाध गति से।_

     यदि उस समय कोई मेरे ध्यान/अध्ययन/लेखन कक्ष में आ जाता है तो उसे बिजली का आघात जैसा अनुभव होता है।

     आधुनिक परलोकवाद का जन्म उन्नीसवीं सदी के मध्य में अमेरिका में हुआ था। आज विश्व के सैकड़ों केंद्रों में परलोक विद्या का अध्ययन होता है और परलोक आत्माओं से संपर्क किया जाता है। 

     _इसमें सबसे विख्यात और विशाल केंद्र है–अमेरिकी परलोक समिति का लिलिडेल स्थित केंद्र जहाँ विशेष विधि से प्रेतात्माओं के छायाचित्र भी खींचे जाते हैं।_

      *’योग’* (कसरती हरकतें योग नहीं हैं। योग के आठ अंग हैं। कसरतें एक पार्ट हैं, जिसे आसन कहते हैं), *’ध्यान’*, *तंत्र* से रोगनिदान या किसी समस्या के समाधान या इनके प्रशिक्षण संबन्धी सभी सेवाओं के लिए हम सर्वथा निःशुल्क सुलभ हैं।

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