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जीवन~दर्शन,…प्रेम ऐसे बनेगा परमात्मा

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आरती शर्मा
(संयोजिका : चेतना मिशन)

 _एक योग्य को इतना प्रेम करो कि जिंदगी की आखिरी सांस भी आनंद से भर दे! प्रेम में ही जीवन है, प्रेम में ही ध्यान है, प्रेम में ही साधना है, प्रेम में ही मुक्ति है और प्रेम में ही मोक्ष वाली मृत्यु!_
 जीवन में प्रेम है तो सबकुछ है, हर चीजे सहज और सरल हो जाती है। हर जगह, हर समय, हर पहलू से आनंद मिलता है। 
_प्रेम में डूबते नहीं लोग। इसलिये उम्र भर दुःखी रहते हैं और जब जीवन का अंतिम पल आता है, तो लोग असहज हो जाते हैं।_

क्यों? क्या प्रेम सिर्फ जीवन को ही आनंद देता है? क्या प्रेम जीवन के साथ ही समाप्त हो जाता है? नहीं!
प्रेम में मर कर भी अमर हुआ जा सकता है। तब भी परस्पर करीब रहा जा सकता है। करीब नहीं, अद्वैत; क्योंकि तब अपना कोई दैहिक अस्तित्व नही होता। किसी अनहोनी की आशंका भी नही होती।
आप समग्र प्रेम किये : योग्यतम से, तो– दिल में उसके आनंद की ऊर्ज़ा, सिहरन, अनुभुति आखिरी साँस तक रहती है। कोई लाख कोशिश कर ले पर भूल नहीं पाता। पर शर्त एक ही है कि प्रेम सिर्फ प्रेम ही हो, और कुछ नहीं।

जिस प्रेम की चाहत में आपने पूरी जिंदगी गुजार दी और जो हमेशा अधूरा ही महसूस होता रहा, जिसको पाने के लिए आपने हर कोशिशे कर ली पर तृप्त नही हुए, जिसको पाने लिए आपने अपना सब कुछ खो दिया, पर निराशा मिली : तो, मेरी मानो — एक बार सिर्फ़ 24 घण्टे के लिए ही सही, सुपात्र को जीकर देखो!
एक शिकायत : सुपात्र नहीं मिलता। आपकी यह शिकायत खत्म होगी– योग्यता-पात्रता का विकास करो। कायनात निराश नहीं करती। ये विकास हम करवा देंगे, महज 15 दिन में। एक ध्यान शिविर अटेंड कर लो. कोई शुल्क नहीं है.
बिना इसके ही अनुभव लेना है, तो चेतना मिशन के अधिकृत व्हाट्सप्प 9997741245 पर संपर्क करो. हमारे अहर्निश आराध्य डॉ. मानवश्री को योग्यतम मानकर, उनसे ‘अ-शरीरी’ रूप से अद्वैत बनकर उनको ख़ुद में उतार कर देख लो। अनुभूति और आगे के लिए चाबी भी मिल जाएगी आपको।
अब जीवनभर और जब दैहिक जीवन का अंतिम पल हो तो भी ; जो अनुभूति हमसे या योग्य प्रेमपात्र से मिली उसे विकास देते रहो। उतने ही आनंद से, उसी भाव से, जिस भाव से आपने जीवन में प्रेम को पाने की कोशिश की थी।
तब अंतिम क्षणों में भी उसी प्रेम को महसूस कर सकोगे। उसी गहराई में उतर सकोगे। वही आनंद, वही मौज, वही गहराई मिलेगी। यह सिचुएशन जीवनभर के लिए आप को परमानंद की अवस्था में स्थित कर देगी और इस दैहिक जीवन के बाद के लिए भी।

यह अनुभव जिंदगी का आखिरी लम्हा भी आनंद से भर देगा। तृप्त होकर ही जाओगे। दुःख खत्म हो जायेगा। सबकुछ सरल और सहज हो जायेगा। आँखों को प्रेम की उसी गहराई में उतरकर बंद कर लो जो जीवन में उसको महसूस कर अपने आप बंद हो गई थी….!!

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