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देशभर में 15.5 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ का कर्ज

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देश के किसानों पर व्यावसायिक, सहकारी और क्षेत्रीय बैंकों का करीब 21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के आंकड़े बताते हैं कि देशभर के करीब 15.5 करोड़ खाताधारकों के औसतन 1.35 लाख रुपये प्रति खाताधारक बकाया है। कर्जदार खाताधारकों की संख्या तमिलनाडु में सर्वाधिक 2.79 करोड़ है। इन खाताधारकों के करीब 3.47 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं।

नाबार्ड के अनुसार, कर्नाटक के 1.35  करोड़ खाताधारकों पर करीब 1.81 लाख हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, केरल और आंध्र प्रदेश के किसानों पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक कर्ज बकाया है। 2.95 लाख रुपये के साथ प्रति खाताधारक औसत कर्ज के मामले में पंजाब पहले स्थान पर और 2.29 लाख रुपये के साथ गुजरात दूसरे स्थान पर है। हरियाणा और गोवा के प्रति खाताधारक किसान पर दो लाख रुपये से अधिक का कर्ज है।

केंद्र शासित प्रदेशों में दादर एवं नगर हवले की स्थिति सबसे खराब
केंद्र शासित प्रदेशों में दादर एवं नगर हवेली के प्रति खाताधारक पर सर्वाधिक चार लाख रुपये से अधिक बकाया हैं। इसके बाद दिल्ली के खाताधारकों पर कर्ज 3.40 लाख रुपये, चंडीगढ़ में 2.97 लाख व दमन-दीव में 2.75 लाख रुपये है।

कुल कर्ज में भी पंजाब सबसे आगे
कुल कर्ज के लिहाज से देखा जाए तो पंजाब देश का सबसे बड़ा कर्जदार राज्य है। पंजाब ने अपनी जीडीपी का 53.3 फीसदी तक कर्ज ले रखा है। रिजर्व बैंक के मुताबिक, किसी भी राज्य का कर्ज उसकी जीडीपी के 30% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। राज्य की आय का एक बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च हो रहा है। राज्य के बजट के अनुसार, जीएसडीपी के लिए प्रभावी बकाया ऋण 2023-24 में 46.81 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया है।

एक अधिकारी ने बताया कि लोकप्रिय घोषणाओं से कर्ज बढ़ता रहा है। यह बढ़कर 2.52 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। पंजाब और हरियाणा अपनी कमाई का 21 फीसदी हिस्सा ब्याज में चुका रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक है।

राज्यों के ऋण में गिरावट का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्टेट फाइनेंसेज : ए स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2022-23 शीर्षक से प्रकाशित एक अध्ययन में सभी राज्यों के सम्मिलित जीडीपी के अनुपात में राज्यों के ऋण में गिरावट का अनुमान जताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यों पर कर्ज का कुल दबाव 2021-22 के जीडीपी के 31.1 फीसदी से घटकर 2022-23 में जीडीपी का 29.5 फीसदी रह गया है।

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