सुसंस्कृति परिहार
पिछले बार 2014 में हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव आठ वर्ष बाद होने के कारण लोगों ने विशेष उत्साह के साथ तेज धूप ,आंधी पानी की परवाह ना करते हुए मतदान में हिस्सा लिया।जबकि इस बार मतदान पर्ची के वितरण का काम नहीं हुआ।बूथ के बाहर ही उन्हें पर्चियां दी गई। चूंकि एक लंबे अर्से बाद चुनाव हुए इसलिए प्रत्याशियों ने पूरी दम खम के साथ चुनाव लड़ा।यही वजह रही कि नीमच में एक सरपंच ने हारने के बाद अपने द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान खर्च किए रुपए वसूलने की धमकी दे दी। ग्वालियर चंबल क्षेत्र के घुरखेड़ी गांव में एक सरपंच प्रत्याशी हार के डर से मतपेटी लूटकर जंगल भाग गया। दतिया में भी मतपेटी लूटी गई। लेकिन दोनों बरामद कर ली गईं।हिंसा की की वारदातें भी सामने आई जिसमें फर्जी मतदान,भिंड ,सतना में होने की जानकारी मिली ।मुरैना में सबसे ज्यादा फर्जी मतदान की ख़बर है। सबसे ज्यादा दिलचस्प रहा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का रीवा के गढ़ी ब्लाक के हटवा गांव पहुंचना जहां ग्रामीणों ने अध्यक्ष पर विधायक निधि की राशि अपने चहेतों को बांटने के आरोप खुल्लमखुल्ला लगाए वे कसमें खाते रहे और यह भी कह दिए कि अगर ये सच साबित हो जाए तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। विदित हो वे अपने पुत्र राहुल गौतम के प्रचार में शामिल होने गए थे।इसी प्रकार एक अधिकारी रिवाल्वर लेकर मतदान केंद्र जब पहुंचा तब लोगों ने आयोग को शिकायत कर दी ।ज्ञातव्य हो मतदान केंद्र के अंदर शस्त्र ले जाना प्रतिबंधित है।जनता की जागरूकता के ये दो उदाहरण इस बात की ताकीद करते हैं कि आठ साल में बहुत कुछ बदला है जो इन चुनावों में देखने मिलेगा। वहीं दो हृदय विदारक घटनाएं भी हुई। दमोह के घूघराकला में सोते एक मतदान कर्मी को सर्प ने डस लिया तो शाजापुर में सहायक पीठासीन अधिकारी तबियत बिगड़ने से मारे गए।
प्रदेश में 16 नगर निगम, 99 नगर पालिका और 298 नगर परिषद (नवगठित 35) यानी कुल 413 नगरीय निकाय हैं। इनमें से 321 का कार्यकाल पूरा हो चुका था। इनमें से तीन के चुनाव कराए जा चुके हैं, यानी 318 में चुनाव हुए। इसी तरह 57 निकायों का कार्यकाल पूरा होना बाकी था और नवगठित 35 में से केवल 29 नगर परिषद में चुनाव कराए गए। इस तरह फिलहाल 347 निकायों (नगर निगम 16, नगर पालिका 76 और नगर परिषषद 255) में चुनाव होगा। नगर पालिका गढ़ाकोटा, खुरई और मलाजखंड में वार्ड विभाजन और आरक्षण की कार्यवाही की जा रही है, इसलिए इन्हें चुनाव में शामिल नहीं किया जा रहा है। छह नवगठित नगरीय निकायों में वार्ड विभाजन की कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई, इसलिए इनमें चुनाव अभी नहीं करवाए गए। महापौर का चुनाव सीधे जनता करेगी इस बार नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रणाली से कराए जाएंगे। महापौर का चुनाव सीधे जनता करेगी। वहीं, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के माध्यम से किया जाएगा। तीन जिलों अलीराजपुर, मंडला और डिंडौरी में अभी चुनाव नहीं कराए गए। यहां नगरीय निकायों का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है। नगरीय निकाय चुनाव में ई वी एम का इस्तेमाल हुआ जिसके ज़रिए पार्षद महापौर या पालिका अध्यक्ष चुने गए।ये चुनाव दो चरणों 6 जुलाई और 13जुलाई को हुए।निकाय चुनावों में 109वार्डों में बिना चुनाव लड़ें ही भाजपा चुनाव जीत गए जिनमें 1नगरनिगम,12नगरपालिका और 96 नगर परिषद के पार्षद हैं ।
इससे पहले 25जून से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की शुरुआत हो चुकी थी जो1जुलाई और आठ जुलाई को सम्पन्न हो चुके हैं।ये चुनाव तीन बैलेट पेपर से किए गए। जिनमें पंच , सरपंच और जनपद सदस्य का चयन किया गया। पंच,सरपंच के चुनाव मतदान केंद्र पर मतगणना कर घोषित किए गए। किंतु अधिकृत घोषणा 14और 15जुलाई को होनी है। मतदान का समय 7बजे से 3बजे तक का था। विदित हो मुख्यमंत्री के गांव में पंचायत , सरपंच और जनपद सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।अब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए मारामारी शुरू हो गई है।बड़ी संख्या में निर्दलीय जीतने के कारण खरीद फरोख्त अपहरण जैसी घटनाएं संभावित हैं। मुख्यमंत्री ने निर्दलीय जीतने वाले उम्मीदवारों को भोज देने की रस्म भी अदा कर पहल शुरू कर दी है। क्योंकि कांग्रेस और भाजपा समर्थित लोग लगभग बराबर जीते हैं।सारा दारोमदार निर्दलीय पर ही है।
दूसरी ओर निकाय चुनावों में भाजपा कांग्रेस की टक्कर के बीच आम आदमी पार्टी तथा एआईएमआईएम के उम्मीदवार भी मैदान में उतरे हैं। भोपाल में भाजपा की पूर्व पार्षद मालती राय का सामना कांग्रेस की पूर्व महापौर विभा पटेल के बीच , इंदौर में भाजपा के इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ के अतिरिक्त महाधिवक्ता पुण्य मित्र भार्गव का सामना कांग्रेस के संजय शुक्ला से, जबलपुर में भाजपा के डा जितेन्द्र जामदार का मुकाबला कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह से तथा कटनी में भाजपा की ज्योति दीक्षित को कांग्रेस उम्मीदवार श्रेया खंडेलवाल टक्कर दे रही हैं। सागर में कांग्रेस की निधि जैन भाजपा की संगीता तिवारी पर भारी बताई जा रही हैं।इसके अलावा समाजवादी पार्टी और कुछ निर्दलीय भी निगम निकायों में अपनी स्थिति सुदृढ़ बता रहे हैं।
बहरहाल इस चुनाव में जो स्थितियां बनी है उसने भाजपा को परेशानी में तो निश्चित डाला है और कांग्रेस को मज़बूती दी है।देखना यह है कि ये परिणाम विधानसभा चुनाव 23के लिए क्या संदेश लेकर आते हैं?