भोपाल। प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से राज्य सरकार के वित्तीय हालात नए वित्त वर्ष में भी बिगड़ते ही जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार तेजी आ रही है। इस कारण प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन जिलों में लॉकडाउन जैसे हालात बने हुए हैं। यदि जल्द ही इस महामारी पर काबू नहीं पाया गया तो स्थिति बेकाबू हो सकती है। पिछले वित्त वर्ष में भी राज्य सरकार लगातार कोरोना की चुनौतियों से ही जूझती रही। वित्तीय भुगतान और जरूरी खर्च चलाने के लिए बार-बार कर्ज लेना पड़ा। पिछले साल राज्य सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। वहीं इस साल भी राजस्व संग्रहण में होने वाले नुकसान के अनुमान को देखते हुए 50 हजार करोड़ रुपए का राज्य सरकार कर्ज लेगी। यह जीडीपी के आधार पर मिलने वाली कर्ज लेने की छूट के तहत होगा।
वित्त विभाग के मुताबिक इस बार कर्ज के साथ ही 75 हजार करोड का राजस्व संग्रह होना है। इसमें से साठ हजार करोड़ टैक्स से आएगा और बाकी राजस्व माइनिंग और फॉरेस्ट जैसे विभाग जुटाएंगे। यही नहीं राज्य सरकार को 50 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार से अनुदान मिलेगा और इतनी ही राशि बतौर कर्ज ली जाएगी। साथ ही 35 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य सरकार को मिलेगा। इसके लिए वित्त विभाग के अफसरों ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
पिछले वर्ष थी मामूली बढ़ोतरी
बीते वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में ही बजट पेश किया था। पहले लेखानुदान के रूप में बजट लाया गया। फिर विधानसभा का सत्र नहीं होने के कारण बजट के लिए अध्यादेश का सहारा लेना पड़ा। अध्यादेश के माध्यम से पेश किए गए बजट में राज्य सरकार ने सभी स्रोतों से राजस्व प्राप्ति का एक लाख छत्तीस हजार 5696 करोड रुपए का अनुमान रखा था लेकिन जब वित्तीय वर्ष 21-22 का बजट पेश किया गया तो इस अनुमान को संशोधित करना पड़ा। यह इसलिए कि बजट राजस्व प्राप्ति का जितना अनुमान राज्य सरकार ने बजट के समय लगाया था उससे करीब पांच सौ बहत्तर करोड़ रुपए से अधिक की मामूली बढ़ोतरी हो गई थी। हालांकि वर्ष 19-20 की अवधि में राज्य सरकार को 1,47,643 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई थी। उसके मुकाबले बीते वित्तीय वर्ष में 10,474 करोड रुपए कम मिले थे।
यहां नुकसान का अनुमान
सूत्रों की माने तो खनिज और वाणिज्य कर सहित सभी विभागों में इस बार राजस्व के घाटे का अनुमान लगाया गया है। जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक अभी तक कई ठेकेदारों ने रेत के ठेकों का नवीनीकरण ही नहीं कराया है ऐसे में अकेले खनिज विभाग से ही पंद्रह सौ करोड़ रुपए कम मिलने की संभावना कम हो गई है। इसी तरह वाणिज्यिक कर और परिवहन से भी नुकसान हो सकता है।
व्यवसायिक गतिविधियों पर असर
उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर दिसंबर में देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना मामलों में लगातार कमी आ रही थी। तब ऐसा लग रहा था कि जल्द ही सब सामान्य हो जाएगा। यही वजह रही कि देश और प्रदेश में भी औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां फिर से सामान्य होने लगी थी। इस कारण राज्य सरकार ने भी बीते वित्तीय वर्ष के शुरूआती छह माह में हुए राजस्व के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करने की कोशिश की थी लेकिन अब नए वित्तीय वर्ष से एक बार फिर हालात बिगड़ने लगे हैं। कोरोना के प्रकोप की दूसरी लहर में तेजी आ रही है। यही नहीं हालात यह बन गए कि प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में लॉकडाउन जैसी स्थिति बनी हुई है। यदि ऐसी स्थिति दो-चार महीने आगे और रहती है तो सरकार के सामने राजस्व का बड़ा संकट होगा। हालांकि राज्य सरकार इसके लिए चिंतित है।