17 फरवरी 2024 को कांग्रेस में सियासी भूचाल मचा था। भोपाल से दिल्ली तक चर्चा रही कि भाजपा ने ऑपरेशन कमल शुरू किया है। वरिष्ठ नेता कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जाने लगीं। हालांकि यह अफवाह ही रही, लेकिन कांग्रेस के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में प्रवेश से पहले भाजपा का कथित ऑपरेशन कमल शुरू हुआ। राहुल मार्च में मुरैना के रास्ते आने वाले थे। सवाल खड़ा हुआ कि कमलनाथ यात्रा में शामिल होंगे या नहीं। नाथ की ओर से कोई जवाब नहीं आया। हालांकि समय के साथ लोगों को जवाब मिल गया। कमलनाथ राहुल की यात्रा में शामिल हुए। यात्रा में पूरे समय रहे।

कथित ऑपरेशन कमल के बाद कमलनाथ की निष्ठा पर सवाल उठने लगे। माना जाने लगा कि नाथ को पार्टी में महत्व नहीं मिल रहा। दिसंबर 2024 में राहुल गांधी ने नाथ के दिल्ली स्थित बंगले पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि नाथ का कद यथावत है।
एकजुटता की कोशिश
ऑपरेशन कमल के बाद एक साल में प्रदेश कांग्रेस ) की तस्वीर बदली। नाथ के करीबी नेता भाजपा में चले गए। इनमें पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना प्रमुख हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने छिंदवाड़ा में फोकस किया। करीबियों पर डोरे डाले। छिंदवाड़ा विधायक संजय शाह ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। महापौर विक्रम अहाके भी भाजपा में चले गए। कई अन्य नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। कांग्रेस छोडऩे वालों में विधायक राम निवास रावत, पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी शामिल हैं। इंदौर से लोकसभा प्रत्याशी अक्षय बम तो बीच चुनाव में भाजपा में चले गए।
इसी एक साल में कांग्रेस ने अपने आपको मजबूती से खड़ा किया। विजयपुर उपचुनाव में मंत्री रामनिवास को हराया। शिवराज के गृह क्षेत्र बुदनी उपचुनाव में कांग्रेस की हार का अंतर कम रहा। महू में सम्मेलन कर पार्टी ने एकजुटता दिखाई। सम्मेलन में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, हजारों की संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।