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*माफीवीर सावरकर – एक ‘प्रेम’ कथा*

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 *पवन कुमार वर्मा*

सावरकर और उसकी धर्मपत्नी यमुना बाई के बारे में देश जानता है. सावरकर ने यमुना बाई अर्थात माई से शादी सिर्फ पैसों के लिए की थी और ये बात यमुना बाई को भी पता थी क़्योंकि यमुना बाई के पिता काफी अमीर थे और सावरकर का घर खर्च भी वही चलाते थे. असल में माई मतलब यमुना बाई सावरकर की दूसरी पत्नी थी. पहली पत्नी के बारे में आज कल लोग जानना ही नहीं चाहते या जान बूझकर छुपाया गया है.

2013 में लन्दन से परमानेंट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन (जहां सावरकर को कैद किया गया था) और राष्ट्रीय संग्रहालय ने मिलकर बुक रिलीज की, जिस में संग्रहालय में रखे गए सावरकर के खत और न्यायमूर्ति M. Beernaert के पास जो खत थे, उन्हीं आधार पर). यमुना बाई से पहले सावरकर की शादी कासाबाई से हो चुकी थी.

सावरकर की लन्दन में महिला मित्र जिसका नाम ज्युडी केट (सर क्रिस्टल रोब की बुक ‘सेरेना हुक’ में इसका उल्लेख किया गया है), जो वहां लाईब्रेरी में एक सफाई कर्मी थी, सावरकर ने उस महिला मित्र का बलात्कार किया था. लेकिन सावरकर ने इस बात को नकार दिया. कोर्ट में केस चला और आरोप साबित हुए. इस वजह से सावरकर को लन्दन जेल की हवा खानी पड़ी.

इस खबर को सावरकर के साथी जो लन्दन में साथ थे भाऊसाहेब रानडे ने खत के द्वारा शिवराम पंत परांजपे को दी. (लोकमान्य टिळक और ‘काळ’ वृत्तपत्र के संपादक शिवराम पंत जिन्होंने सरदार सिंघ राणा की 2000 रुपये की स्कॉलरशिप सावरकर को दिलवाई थी), उसके बाद सरदार सिंघ राणा ने कभी सावरकर की कोई मदद नहीं की.

उधर लाइब्रेरी में सफाईकर्मी के साथ बलात्कार के आरोप में सावरकर जेल में था और इधर भारत में ये अफवाह फैलाई गई कि सावरकर को स्वदेशी आंदोलन के कारण लन्दन में जेल हुई. (अब अगर स्वदेशी आंदोलन ही चलाना था तो वो भारत में चलाया जाता, लन्दन में क्यों ? इसका जवाब आज तक नहीं मिलता).

इधर सावरकर की पहली पत्नी कासाबाई जैसे लंका की पार्वती सावरकर का मित्र शंकरलाल (मुंबई में कपड़ों की दूकान चलता था), सावरकर के लन्दन जाने की बाद उसका घर चलाता था.

ज्युडी केट की खबर जब कासाबाई को लगी तो उसे बहोत दुःख हुआ और उसने सावरकर को छोड़ने का निर्णय ले लिया. ये बात सावरकर के मित्र शंकरलाल कनोजिया को बता दी. कुछ दिनों बाद सावरकर को पता लगा कि कासाबाई और शंकरलाल कनोजिया में प्रेम संबंध है.

कासाबाई और शंकरलाल दोनों एक साथ शंकरलाल के घर में रहने लगे. (कैरेल स्तोडोला की बुक के अनुसार ब्राम्हणों ने उसे धर्म से निष्कासित कर दिया था. उसके एक साल बाद दोनों सूरत, गुजरात के लिए निकल गए.)

सावरकर को पता लगा कि उसकी पत्नी उसके मित्र के साथ भाग गई तो उसे बहुत दुःख हुआ. उसकी पत्नी दूसरे मर्द के साथ भाग गई, ये खबर लोगों तक ना पहुंचे इसकी विनती सावरकर ने अपने रिश्तेदारों से की. (भारत में सावरकर के मित्र माधव गोडबोले और उसकी पत्नी कस्तुरीबाई के खत आज भी लन्दन संग्रहालय में मौजूद है. 1993 में सावरकर के सारे खतों को भारत में इंग्लिश में प्रकाशित किया जाना था, लेकिन विरोध के फलस्वरूप नहीं किया जा सका.)

लन्दन से आने की बाद सावरकर ने दूसरी शादी यमुना बाई अर्थात माई से की. सावरकर की मृत्यु के बाद देश में प्रचार किया गया कि सावरकर ने अपनी सारी संपत्ति अपने बच्चों में नहीं बांटी बल्कि गरीबों में दान कर दी. जो सावरकर दूसरे की स्कॉलरशिप पर लन्दन गया हो, जिसका घर उसका मित्र और ससुर चलता हो, उसके पास कौन-सी संपत्ति थी ?

सावरकर के आज जो वंशज हैं, क्या उन्हें पता है कि वे सावरकर के वंशज हैं या कनोजिया के या फिर किसी और के ?

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