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बेहद कीमती हैं महोगनी के उत्पाद, जानिए क्यों है इतनी मांग

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महोगनी की खेती लंबे समय के लिए किए गए निवेश की तरह है। इसके साथ अन्य फसलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर सकते हैं।

देश में महोगनी की खेती कई किसानों को लुभा रही है। व्यापारिक दृष्टि से महोगनी के पेड़ बेहद क़ीमती माने जाते हैं, क्योंकि इसके हरेक भाग मसलन, पत्ती, फूल, बीज, खाल और लकड़ी, सभी की मांग होती है और सबका अच्छा दाम मिलता है। महोगनी के पौधों के बीच में किसान अन्य किसी और फसल की खेती भी कर सकते हैं। महोगनी के पेड़ की लंबाई 40 से 200 फ़ीट तक हो सकती है। लेकिन भारत में इसकी औसत लंबाई 60 फ़ीट के आसपास रहती है। इसकी जड़ें ज़्यादा गहराई में नहीं जाती। 

महोगनी की लकड़ी को बाज़ार में मिलता है अच्छा

महोगनी की लकड़ी मज़बूत और काफ़ी लंबे समय तक इस्तेमाल में लाई जाने वाली होती है। इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता। महोगनी की लकड़ी का इस्तेमाल जहाज़, फ़र्नीचर, प्लाईवुड, सज़ावट की चीज़ों और मूर्तियों वग़ैरह को बनाने में किया जाता है। महोगनी की लकड़ी भी 2 हज़ार रुपये प्रति घन फीट के भाव तक बिकती है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: herbalplantation

बीज और फूलों से बनती हैं दवाइयां

इसके बीज और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयां बनाने में होता है। महोगनी को कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग यानी ठेके पर होने वाली खेती के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: Blogspot

कई आयुर्वेदिक दवाइयों में महोगनी के पत्तों का इस्तेमाल

महोगनी के पत्तों का इस्तेमाल मुख्य रूप से ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों की आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: wikimedia

बेजोड़ है महोगनी की रोग प्रतिरोधकता

अपने औषधीय गुणों की वजह से महोगनी के पेड़ों पर कोई रोग नहीं लगता। लिहाज़ा, इसे कीटनाशक की ज़रूरत नहीं पड़ती। उल्टा इसकी पत्तियों का इस्तेमाल कीटनाशक बनाने में भी होता है। लेकिन ज़्यादा वक़्त तक जल भराव की चपेट में आने पर इसका तना गलने की तकलीफ़ पैदा हो सकती है। इसीलिए बेजोड़ गुणों वाले महोगनी के पेड़ को किसानों का ‘कमाऊ पूत’ भी कहा गया है।

प्रति एकड़ करोड़ों की कमाई का ज़रिया 

नज़दीकी कृषि विकास केन्द्र के विशेषज्ञों का मशविरा लेकर अगर महोगनी की खेती को अपनाया जाए तो 12 से 15 साल बाद जब पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी को बेचने का वक़्त आता है, तब तक प्रति एकड़ करोड़ों की कमाई हो जाती है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: gardeningknowhow

प्रति एकड़ लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये

एक एकड़ में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ उगाए जा सकते हैं। इसके पौधे 25 से 30 रुपये से लेकर 100 से 200 रुपये तक बाज़ार में मिल जाते हैं। रोपाई के इस्तेमाल होने जा रहे पौधे की उम्र कितनी है और इसका विकास कैसा हुआ है, इन कारकों पर दाम निर्भर करता है। इसके अलावा खाद, मज़दूरी और अन्य खर्चों को जोड़कर देखे तो औसतन प्रति एकड़ लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक आ जाती है। 

जानिए कैसे करें महोगनी की खेती, किन बातों का ध्यान रखें?

महोगनी की खेती लॉन्ग टाइम इन्वेस्टमेंट की तरह है। इसके पौधों को पेड़ बनकर किसान का शानदार ‘कमाऊ पूत’ बनने में चार-पाँच साल लगते हैं। महोगनी के पौधों को परिपक्व पेड़ का रूप हासिल करने में क़रीब 6 साल लगते हैं। परिपक्व होने तक महोगनी के पौधे किसानों के लिए किसी आर्थिक तंगी का सबब नहीं बनते बल्कि दलहन के पौधों के लिए क़ुदरती खाद के सबसे अनमोल स्रोत ‘नाइट्रोजन’ की उचित मात्रा की सप्लाई करते रहते हैं।

किस तरह की जलवायु और भूमि महोगनी की खेती के लिए उपयुक्त?

महोगनी के पेड़ की लम्बाई 40 से 200 फीट तक हो सकती है। लेकिन भारत में असली औसत लम्बाई 60 फीट के आसपास रहती है। इसकी जड़ें ज़्यादा गहराई में नहीं जाती। इसीलिए इसे ज़रा नाज़ुक मानते हैं और तेज़ हवाओं वाले इलाकों में लगाने से संकोच करते हैं। महोगनी को जल भराव वाली भूमि को छोड़ किसी भी उपजाऊ भूमि में लगा सकते हैं। 

महोगनी को पहाड़ी और ज़्यादा बारिश वाले इलाकों के सिवाय किसी भी जलवायु में उगा सकते हैं। इनके बीज के अंकुरण और विकास के लिए सामान्य तापमान सही रहता है। शुरुआती वर्षों में महोगनी के पौधों को ज़्यादा गर्मी और सर्दी से बचाना पड़ता है। लेकिन विकसित पेड़ सर्दियों में 15 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी ढंग से विकसित होते रहते हैं।

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: chaturveda

महोगनी की खेती करने की प्रक्रिया

महोगनी के पौधों की रोपाई के लिए जून-जुलाई का वक़्त बेहतरीन है। इसके बाद मॉनसून का दौर पौधों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है। इसके लिए खेत को गहरी जुताई के बाद समतल कर लें। फिर तीन से चार मीटर की दूरी पर तीन फीट चौड़ाई पर दो फीट गहराई वाले गड्ढों की पंक्तियाँ बनाकर पौधे लगाएँ। गड्ढों को जैविक और रासायनिक खाद मिलायी हुई मिट्टी से पाटें और हल्की सिंचाई करें।

गर्मियों में पौधों को 5 से 7 दिन पर पानी दें और सर्दियों में 10 से 15 दिन पर। बड़े होते पौधों की पानी की ज़रूरत घटती जाती है। विकसित पेड़ों के लिए साल में 5 से 6 सिंचाई पर्याप्त है। ज़रूरत के मुताबिक, निराई-गुड़ाई करते रहें। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: exportersindia

महोगनी की खेती में आती है कितनी लागत? 

एक एकड़ में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ उगाये जा सकते हैं। इसके पौधे की कीमत 25-30 रुपये से लेकर 100-200 रुपये तक होती है। इसका दाम इस पर निर्भर करता है कि रोपाई के इस्तेमाल होने जा रहे पौधे की उम्र कितनी है और इसका विकास कैसा हुआ है? इसके अलावा खाद, मज़दूरी और अन्य खर्चों को जोड़कर देखे तो औसतन प्रति एकड़ लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक होती है।

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: agrownets

ये हैं महोगनी की उन्नत किस्में

महोगनी का पेड़, कीमती पेड़ों में गिना जाता है। इसका लगभग हर भाग इस्तेमाल में लाया जाता है। इसलिए इसे किसानों के लिए लंबे समय के लिए आमदनी देने का ज़रिया भी कहा जाता है। इसकी लकड़ी का इस्तेमाल जहाज़, फ़र्नीचर, प्लाईवुड, सजावट की चीजें और मूर्तियों को बनाने में किया जाता है। जबकि इसके बीज, पत्तों और फूलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है। मुख्य रूप से महोगनी की कोई प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती। देश में इसकी कई विदेशी किस्मों की खेती होती है। महोगनी के पेड़ की लम्बाई 40 से 200 फ़ीट तक हो सकती है। लेकिन भारत में असली औसत लम्बाई 60 फ़ीट के आसपास रहती है। एक एकड़ में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ उगाये जा सकते हैं।

महोगनी की खेती (mahogany farming in india)
तस्वीर साभार: chaturveda

महोगनी की हैं कौन-कौन सी किस्में?

  • भारत में अभी महोगनी की पांच किस्मों की खेती की जाती है। महोगनी के इन पांच किस्मों के नाम क्यूबन, मैक्सिकन, अफ़्रीकन, न्यूज़ीलैंड और होन्डूरन है। विदेशी कलमी के ज़रिये इन किस्मों की खेती होती है।
  • होन्डूरन और क्यूबन को सबसे बेहतरीन किस्मों में शुमार किया जाता है। ये किस्में व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली महोगनी की उन्नत प्रजातियां हैं। इन किस्मों की लकड़ियां बहुत ही अच्छी मानी जाती है, जिनपर पानी का असर नहीं होता, यानी पानी लगने पर भी इन्हें नुकसान नहीं पहुंचता।
  • मैक्सिकन किस्म की प्रजाति के पेड़ क्यूबन और होन्डूरन की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं, लेकिन इनकी लकड़ियों की क्वालिटी भी काफ़ी अच्छी मानी जाती है।
  • यू.एस. में बेचे जाने वाले अधिकांश महोगनी आइटम अफ़्रीकी महोगनी पेड़ से बनाए जाते हैं। ये दिखने में अन्य महोगनी के पेड़ की तरह ही दिखता है।
  • न्यूज़ीलैंड किस्म के परिपक्व पेड़ 15 मीटर तक की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। इसकी लकड़ी का इस्तेमाल ज़्यादतर नांव बनाने में किया जाता है। इसकी लकड़ी से सजावटी चीजें बनाई जाती हैं। ये अन्य किस्मों की तुलना में हल्की होती हैं। इसकी पत्तियां 40 मिलीमीटर तक बड़ी और चमकदार होती है।
महोगनी की खेती (mahogany farming in india)
तस्वीर साभार: agrownets

सभी किस्मों के पौधों को उपज और बीजों की गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया जाता है। महोगनी के पौधों की उचित देखभाल के लिए किसान को मेहनत करनी पड़ती है। इसीलिए सरकारी रजिस्टर्ड कम्पनी या नर्सरी से दो-तीन साल पुराने और अच्छे ढंग से विकासित हो रहे पौधों को अपनाना ज़्यादा फ़ायदेमन्द रहता है। ज़ाहिर है, महोगनी उन लोगों को लिए भी फ़ायदे का सौदा है जो नर्सरी चलाते हैं। इसकी नर्सरी खोलकर अच्छी खासी आमदनी की जा सकती है। इसका एक पौधा 30 रुपये से लेकर 200 रुपये तक बिक जाता है।

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