देश के अब तक संसदीय इतिहास का सबसे असंसदीय कृत्य
कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ एक रिपोर्ट पेश की थी और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। शुक्रवार 8 दिसंबर को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में टीएमसी सांसद की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव रखा। निष्कासन के बाद संसद के बाहर महुआ मोइत्रा ने कहा कि मैंने नहीं आचार समिति ने हर नियम तोड़ा है।
अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महुआ मोइत्रा ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा कि आचार समिति ने हर नियम तोड़ा है। मोइत्रा ने कवि नजरूल इस्लाम का उद्धृत करते हुए कहा कि कभी भी झूठ के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए और झूठ के खिलाफ बहादुरी से लड़ते रहना चाहिए।
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को लोकसभा से अपने निष्कासन की तुलना “कंगारू अदालत” द्वारा दी गई फांसी से की और आरोप लगाया कि विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने के लिए सरकार द्वारा संसदीय पैनल को हथियार बनाया जा रहा है।
लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन के कुछ मिनट बाद, मोइत्रा ने कहा कि उन्हें ऐसी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है जो मौजूद नहीं है और उन्हें दिए गए नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि दो शिकायतकर्ताओं में से एक गलत इरादे से उसका अलग हुआ साथी था। उन्होंने कहा कि एथिक्स पैनल के सामने वह एक आम नागरिक का रूप धारण करके आया।
इससे पहले शुक्रवार को सुबह नए संसद भवन में प्रवेश करने के पहले टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि “उन्होंने वस्त्र हरण (द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का प्रयास) शुरू कर दिया है। अब आप महाभारत युद्ध देखेंगे।”
लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने अनुरोध किया कि उनकी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा, जिनके खिलाफ आचार समिति ने फैसला सुनाया है, को बोलने और अपना बचाव करने की अनुमति दी जाए। लेकिन स्पीकर ने इसको मानने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि सदन में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है। और वह कोई नई परंपरा नहीं डालना चाहते हैं। इस पर लोकसभा में कुछ देर तक हंगामा होता रहा। स्पीकर ने जब यह बात कही कि महुआ मोइत्रा के लिए कोई समय तय नहीं है। तो बंद्योपाध्याय ने टीएमसी को मिले समय में से उन्हें देने अनुरोध किया। लेकिन स्पीकर ने उससे भी इंकार कर दिया।
बहस की शुरुआत सदन में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने की। कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने कहा कि एथिक्स पैनल की रिपोर्ट पढ़ने के लिए सांसदों को 3-4 दिन का समय दिया जाना चाहिए। लेकिन सांसदों को केवल दो घंटे पहले रिपोर्ट सौंपी गयी। ऐसे में किसी के लिए उसे पूरी तरह से पढ़ पाना कितना संभव है। उन्होंने कहा कि एक महिला को इस तरह से अपमानित किया जा रहा है। यह संसद की गौरव और गरिमा के खिलाफ है।
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने एतराज जताया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्पीकर की ओर मुखातिब होकर सवालिया अंदाज में पूछने लगे कि आखिर यह हो क्या रहा है। स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा पर एथिक्स पैनल की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए 30 मिनट की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसी कोई परंपरा नहीं है। लेकिन फिर भी सांसदों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए मैं ऐसा कर रहा हूं।
तृणमूल के एक सांसद ने कहा कि “आधा घंटा बहुत कम है। हमारे नेता ने अध्यक्ष से कहा कि अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि मोइत्रा के अलावा, जिन्हें बोलने और अपना बचाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए, अन्य विपक्षी नेता भी इस मुद्दे पर बोलना चाहते हैं।”कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूछा, क्या आचार समिति प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को खत्म कर सकता है?
लोकसभा ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को अपनी लोकसभा ईमेल की लॉगइन पासवर्ड दूसरों के साथ साझा करने और एक व्यवसायी को लाभ पहुंचाने के लिए उससे उपहार स्वीकार करने का दोषी ठहराते हुए निष्कासित कर दिया। लेकिन संसद में जिस तरीके से यह सब हुआ वह देश के अब तक संसदीय इतिहास का सबसे असंसदीय कृत्य है। संसद में आरोपी सांसद महुआ मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं मिली। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने “अनैतिक आचरण” के लिए टीएमसी सांसद को निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।