अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मालवा की पहचान अहिल्याबाई होल्कर

Share

रानी अहिल्याबाई होल्कर (Ahilyabai Holkar) को अपने शासनकाल और उसके बाद से अभी तक बहुत सम्मान मिलता रहा है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

रानी अहिल्याबाई होल्करको अपने शासनकाल और उसके बाद से अभी तक बहुत सम्मान मिलता रहा है.

अहिल्याबाई होल्कर का जीवन कई उतार चढ़ाव से भरे रहा. सामान्य परिवार में जन्म और फिर राजकुमार से शादी के बाद जल्दी ही अपने पति और फिर अपने बच्चों को खोने के बाद उन्होंने मालवाका जिस तरह से अपने लोककल्याणाकारी राज्य, सुशासन और संस्कृति संपन्न राज्य की स्थापना की जिसे आज भी मालवा मराठा इतिहास में शान से याद करता है.

मध्य भारत के मालवा (Malwa) में महारानी अहिल्याबाई होल्कर (Maharani Ahilya Bai Holkar) ऐसा नाम है जो अपने जीवन में उतार चढ़ाव के अलावा सुशासन, लोकल्याणकारी राज्य और धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए किए कार्यों के लिए ज्यादा जानी जाती है. कई लोग उन्हें संत के तौर पर देखते हैं और कई उन्हें महान शासक के तौर पर देखते हैं. यही वजह है कि मालवा में आज भी उन्हें बहुत ही आदर और सम्मान से याद किया जाता है. 31 मई को उनकी जयंती (Ahilya Bai Holkar Birthday) पर उनके सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. आइए, उनके शासन की कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं.

सामान्य घर से राजमहल
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म  31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अमदनगर के जामखेड़ के चौंडी गांव में, घनगर परिवार मे हुआ था. 8 साल की उम्र में उन्हें मालवा के शासक मल्हार राव होल्कर ने देखा जब वे पुणे जाते समय  उनके गांव में रुके थे. उनकी नजर गरीबों को खाना खिला रहीं अहिल्याबाई पर पड़ी. अहिल्या के दया और करुणा के भाव को देख कर मल्हार राव ने उन्हें अपनी बहू बनाने का फैसला किया जिसके बाद मल्हार राव के पुत्र खांडेराव के साथ अहिल्या बाई का विवाह हो गया.

अपनों को खोते जाने का दर्द
लेकिन राजमहल में आने के बाद अहिल्याबाई की जीवन बहुत समय तक सुखी नहीं रहा. कम उम्र में ही उनके पति खांडेराव होल्कर युद्ध में मारे गए. उसके कुछ सालों में  ही उनके ससुर का भी देहांत हो गया और फिर उसके अगले ही साल उनके बेटे मालेराव भी चल बसे. इन हालात में अहिल्याबाई ने पेशवा से निवेदन किया कि वे खुद मालवा की बागडोर अपने हाथ में लेना चाहती हैं जिसे स्वीकार कर लिया गया.

एक वीरांगना महारानी
मालवा की गद्दी संभालने के बाद राज्य में कुछ विरोध के बावजूद अहिल्याबाई को सेना सहित लगभग सभी का समर्थन मिला. एक साल के भीतर ही उन्हें आक्रांताओं का सामना करना पड़ा और रानी अहिल्याबाई ने आगे बढ़ कर अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया जिसमें उनके गोद लिए हुए पुत्र तुकाजीराव होल्कर को उन्होंने सेनापति बनाया.

Indore, Madhya Pradesh, Malwa, Maheshwar, Ahilya Bai Holkar, Maharani Ahilya Bai Holkar

रानी अहिल्याबाई होल्कर को जीवन में अपनों के खोने के कष्ट सहने पड़े फिर भी वे एक कुशल शासक प्रशासक साबित हुईं.

राजनीति में भी माहिर
एक साहसी नेतृत्व के साथ ही रानी अहिल्याबाई में बहुत ही कुशल राजनीति क्षमता भी थी. उन्होंने मराठा साम्राज्य पर अंग्रेजों के खतरे को बहुत पहले ही भांप लिया था और 1772 को पेशवा को लिखे एक पत्र में उन्होंने पेशवा को अंग्रेजों से सावधान रहना को कहा उन्होंने लिखा कि शेर को साहस और आक्रमकता से मारा जाता है लेकिन चतुर रीछ को मारना बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि एक बार उसके कब्जे में आने पर उसे मारना बहुत मुश्किल होता है. ऐसा ही कुछ हाल अंग्रेजों का भी है.

पूरे राज्य की समृद्धि
अपने 30 साल का शासन में इंदौर में गांव से लेकर शहर सभी ने समृद्धि देखी. रानी ने बहुत सारे किले और सड़कें बनवाईं कईत्योहारों का आयोजन करवाती थीं और उन्हें बहुत से मंदिरों को दान भी दिए थे. यहां तक कि उनके राज्य के बाहर भी उन्होंने मंदिर, घाट, कुएं, सराय आदि बनवाए थे. इसमें  काशी, गयात ,सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, कांची आदि कई मंदिरों का सौंदर्यीकरण भी किया.

Indore, Madhya Pradesh, Malwa, Maheshwar, Ahilya Bai Holkar, Maharani Ahilya Bai Holkar

रानी अहिल्याबाई होल्कर (ने देश भर मे कई मंदिरों का सौंदर्यीकरण कराया था.

हर क्षेत्र में उन्नति
रानी अहिल्याबाई की राजधानी महेश्वर उनके शासनकाल में साहित्य, संगीत, कला और उद्योग का केंद्र था. उनकी राजधानी में कारीगर, कलाकार, मूर्तिकार, आदि को उनके कार्यों के लिए बढ़िया वेतन मिलता था. उन्होंने महेश्वर में कपड़ा उद्योग की भी स्थापना करवाई थी. वे रोजाना अपने जनता की तकलीफों को सुनने के लिए दरबार लगाया करती थीं और न्याय के हमेशा ही उपलब्ध रहती थीं.

महारानी अहिल्याबाई के राज्य में कपड़ा उद्योग ने बहुत उन्नति की थी. किसानों पर किसी भी तरह का जुल्म नहीं होता था और उन्हें काफी अधिकार भी मिले हुए थे. उनकी बनवाई सड़कें चौड़ी होती थी और उनके किनारे पेड़ भी होते थे. उन्होंने कई भीलों को खानाबदोश जीवन त्याग करवा कर उन्हें किसान के रूप में भी बसवाया था. 70 साल की उम्र में उनके देहांत केबाद उनके सेनापति तुकोजी राव होल्कर एक ने मालवा राज्य की गद्दी को संभाला.

Ramswaroop Mantri

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें