हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली सुमन कुमारी सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स में आठ सप्ताह के कोर्स में शामिल हुई थीं। उस समय वह 56 मर्दों के बीच अकेली लड़की थीं। उन्होंने इस चुनौती के रूप में शानदार प्रदर्शन किया और बीएसएफ में पहली महिला स्नाइपर बनने की उपलब्धि हासिल की।
इंदौर: सामान्य कद-काठी की सुमन कुमारी जब इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स में आठ सप्ताह के कोर्स में शामिल होने के लिए आई, तब वह 56 मर्दों के बीच अकेली लड़की थी। मर्दों की तरह शारीरिक बनावट और ताकत न सही, लेकिन उसके अंदर जज्बा था। कवि दुष्यंत कुमार कहते हैं ‘कौन कहता है आसमां में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।’
अपने कठिन परिश्रम, जोश, जुनून और जज्बे की वजह से जब कोर्स के आठ सप्ताह पूरे हुए तो 56 मर्दों के उस बैच की अकेली लड़की सबसे आगे खड़ी थी। सुमन कुमारी ने कठोर स्नाइपर कोर्स में ‘ट्रेनर ग्रेड’ हासिल किया। इसी के साथ वह बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर बन गईं। उन्होंने इस क्षेत्र में माइलस्टोन बना दिया है।
सुमन हिमाचल के मंडी जिले के एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता एक इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करते हैं। मां गृहिणी हैं। इस साधारण शुरुआत से लेकर बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर प्रशिक्षक बनने तक की उनकी जर्नी एक इन्सिपिरेशन है। उनकी उपलब्धि सेना और युद्ध भूमिकाओं में सेवा करने की इच्छुक युवा लड़कियों और महिलाओं के लिए आशा और प्रेरणा का काम करेगी।
2021 में बीएसएफ में शामिल होने वाली सुमन कुमारी शुरुआत में पंजाब में एक प्लाटून की कमान संभाल रही थीं। सीमा पार से स्नाइपर हमलों के खतरे को देखकर उनके अंदर इसका जवाब देने की इच्छा हुई। स्नाइपर कोर्स के लिए उन्होंने अपने सीनियर्स से बात की। उनके सीनियर्स ने इस जुनून को पहचाना और उन्हें इस कोर्स में शामिल होने की मंजूरी दे दी। 56 मर्दों के बीच, सुमन इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स के आठ सप्ताह के कोर्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए सबसे आगे रहीं। उनकी उपलब्धि न केवल उनके करियर में बल्कि बीएसएफ के इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सीएसडब्ल्यूटी आईजी भास्कर सिंह रावत ने बताया, ‘वह 56 पुरुषों के बीच अकेली महिला थीं और उन्होंने हर एक्टिविटी में अद्भुत प्रदर्शन किया। हम उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए अधिक महिलाएं इस कोर्स को अपनाएंगी। असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षुओं को अल्फा और ब्रावो ग्रेडिंग मिलती है, लेकिन ”ट्रेनर ग्रेड’ के लिए एक अलग स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है जिसे सुमन ने हासिल किया है।’उन्होंने कहा कि ‘वह बीएसएफ में पहली महिला स्नाइपर हैं और आगे आने वाली अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनेंगी। कमांडो ट्रेनिंग के बाद यह कोर्स सबसे कठिन कोर्स में से एक होता है।’