पुष्पा गुप्ता
गर्मी के मौसम में फलों का राजा आम बाज़ार में हर ओर नज़र आता है। दरअसल, इस रसीले फल की आमद तेज़ी से बढ़ने लगती है। मगर साथ ही इसकी डिमांड में भी दिनों दिन इज़ाफा होने लगता है। इसकी भारी मांग की समय से पहले पूर्ति करने के लिए कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम बाज़ार में बिकने लगते है।
ये देखने में सामान्य आम जैसी ही नज़र आते है, मगर इनका स्वाद जहां गले में खराश पैदा कर देता है, तो इसे खाने से त्वचा, पेट और गले समेत कई स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चिकित्सालयों में बढ़ती पेसेंट्स की तादात बता रही है की बेहद खतरनाक सावित हो रहे हैं कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम।
कैल्शियम कार्बाइड एक प्रकार का केमिकल कंपाउड है, जो पाउडर की फॉम में पाया जाता है। ये कैल्शियम के कॉम्बिनेशन से तैयार होता है। इसे पकाए गए आम खाने से स्किन एलर्जी, बर्निंग और पाचन संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम खाने से पाचन तंत्र धीमा होने लगता है, जिससे ब्लोटिंग और अपच के लक्षण पैदा होने लगते हैं।
*क्या है कैल्शियम कार्बाइड?*
कैल्शियम कार्बाइड एक केमिकल कंपाउड है, जो फलों को जल्दी पकाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस केमिकल की फलों पर कोटिंग करने से इन्हें कृत्रिम तौर पर पकने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया से आर्सेनिक और फास्फोरस के निशान आम पर बनने लगते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
इसके अलावा कैल्शियम कार्बाइड से एसिटिलीन गैस भी प्रोड्यूस होती है। ऐसे में कैल्शियम कार्बाइड से पके आम खाने से गले में जलन, खराश और होठों पर बर्निग सेंसेशन महसूस होने लगती है।
*नकली आम पोषक तत्व शून्य :*
रिसर्चगेट की एक स्टडी में पाया गया है कि आम को जल्दी पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का छिड़काव आम के गुणवत्ता मानकों को प्रभावित करता है। इससे आम की फर्मनेस, पीएच और टोटल सॉल्यूबल सॉलिड्स में बदलाव आता है। साथ विटामिन सी की मात्रा पर भी नकारात्मक परिवर्तन नज़र आने लगता है।
एफएसएसएआई यानि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार साल 2011 में आम को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई।
किसी डिब्बे में कैल्शियम कार्बाइड को डालकर उसके आसपास आम को रखा जाता है और फिर उन्हें 3 से 5 दिन तक नमी से दूर पैक करके रख दिया जाता है। इससे कार्बाइड का प्रयोग करने से एसिटिलीन गैस रिलीज़ होने लगती है, जिससे आम पकने की प्रक्रिया पूरी होती है।
ये जबरन पकाए गए आमों के स्वास्थ्य जोखिम :
*1. स्किन इरिटेशन :*
कार्बाइड से पके हुए आम खाने से उसका प्रभाव त्वचा पर दिखने लगता है। दरअसल, आम खाने के दौरान फल की सतह पर मौजूद कैल्शियम कार्बाइड के संपर्क में आने से स्किन इरिटेशन, बर्निंग और इचिंग की समस्या बढ़ जाती है। इससे त्वचा पर लालिमा का खतरा बढ़ जाता है, जिससे स्किन रैशेज उभरने लगते हैं।
*2. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम :*
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैल्शियम कार्बाइड से आर्सेनिक और फास्फोरस हाइड्राइड का प्रभाव बढ़ जाता है। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में इरिटेशन बढ़ती है और माइक्रोऑरगेनिज्म इंटेसटाइंस पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं। इसके चलते पेट में दर्द, मतली, उल्टी और लूज़ मोशन का सामना करना पड़ता है।
*3. न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर इफेक्ट :*
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार आम पर कैल्शियम कार्बाइड के प्रयोग से आर्सेनिक और फॉस्फोरस के निशान रह जाते हैं। इसके अलावा कार्बाइड एसिटिलीन गैस रिलीज़ होती है। एसिटिलीन गैस न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे हाइपोक्सिया का खतरा बना रहता है। इससे सिरदर्द, चक्कर आना, मूड स्विंग, नींद की कमी और मानसिक भ्रम का खतरा बना रहता है।
*कैल्शियम कार्बाइड के प्रभाव कम करने का उपाय :*
रिसर्चगेट की रिपोर्ट के अनुसार एक खुले बर्तन में पानी लेकर उसमें 2 फीसदी सोडियम कार्बोनेट सॉल्यूशन मिलाएं और उसे 12 घंटों के छोड़ दें। इससे आम की बाहरी परत पा मौजूद आर्सेनिक तत्व धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
आम को जल्दी पकाने के लिए उसे किसी कागज़ में रैप करके रखने से भी वो जल्दी पकने लगता है। अखबार या फिर कोई भी कागज़ लेकर उसमें आम को 3 से 4 दिन के लिए आम को पूरी तरह से लपेटकर किसी अंधेरी जगह पर रख दें। इससे आम जल्दी पकने लगते है।
कच्चे आमों को पकाने के लिए पेपर रैप करने के अलावा उन्हें अन्य फलों के साथ रख दें। दरअसल, अन्य फलों से एथिलीन गैस प्रोड्यूस होने लगती हैं। इससे आमों को नेचुरल तरीके से पकने में मदद मिलती है। 2 से 3 दिन के भीतर आम पकने लगते हैं।
पके हुए आमों पर काले धब्बे दिखने लगते हैं और उनकी गहरी सूगंध गहरी हो जाती है। ऐसे आमों को एकदम खाने से बचें और इन्हें कुछ दिन पानी में भिगोने के बाद कॉटन के कपड़े से साफ कर दें। इससे आम कैल्शियम कार्बाइड के प्रभाव से मुक्त होने लगते हैं। इसके अलावा ऑटन के कपड़े में लपेटकर रखने से भी आर्मों को पकाने में मदद मिलती है।