~ डॉ प्रिया
अक्सर लोगों को ये शिकयत करते हुए सुना होगा कि जीवन में कोई खुशी नहीं है। कैसे खुश रहें क्यों कि खुशी की कोई वजह नहीं हैं। बात तो सही है, मगर सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि खुशी एक इमोशन है, जो हमारी सोच पर निर्भर करता है।
वे लोग जो हर नकारात्मकता के चक्रव्यूह में घिरे रहते है, वे खुशी से कोसों मील दूर रहते हैं। अगर आप भी निगेटिव थॉटस के शिकार है, तो हमारे आसान टिप्स की मदद से अपना जीवन खुशियों से भर सकते हैं।
लोगों से मेलजोल बढ़ाने और आभार व्यक्त करने से सामाजिक भावना का विकास होता है। इससे किसी व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है। इससे शरीर में एडोर्फिन, सेराटोनिन, डोपामाइन और नॉर्ट्रिप्टिलाइन जैसे होर्मोन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है।
इसकी मदद से ब्रेन डिप्रेशन, तनाव, एंग्ज़ायटी और नकारात्मकता से दूर रहता है।
द साउथ अफ्रीकन कॉलेज ऑफ अप्लाइड सायकॉलोजी के अनुसार जीवन में बढ़ने वाली 50 फीसदी सकारात्मकता और नकारात्मकता जेनेटिक्स के चलते बढ़ती है।
40 फीसदी खुशी का निर्धारण जीवन में की जाने वाली एक्टीविटीज़ पर निर्भर करता है। शेष 10 फीसदी मैटीरियलिस्टिक चीजों से किसी व्यक्ति की खुशी का स्तर बढ़ाता है.
*1. अपनी खूबियों को पहचानें :*
स्ट्रेंथ यानि अपनी खूबियों पर अपना फोक्स बनाकर रखें। उस दिशा में आगे बढ़े जहां आपको खुशी और सुकूल की प्राप्ति होती है।
उदाहरण के तौर पर अगर कुछ लोग क्रिएटिव होते है, तो उन्हें कुछ देर अपनी कला के साथ गुज़ारना बहुत अच्छा लगता है। इससे उनके जीवन में खुशी बढ़ने लगती है।
*2. ग्रेटीटयूड शो करें :*
छोटी छोटी बातों पर दूसरों का आभार व्यक्त करना न केवल दूसरे व्यक्ति को खुशी पहुंचाता है बल्कि आपके मेंटल हेल्थ को उससे सुकून की भी प्राप्ति होती है।
अन्य लोगों को खुशी पहुंचाकर व्यक्ति खुद को मेंटली स्ट्रांग बनाता है और उससे जीवन में खुशिया भी बढ़ने लगती है।
*3. एप्रीशिएट करना सीखें :*
ऑफिस में किसी कलीग या हाउस हेल्प समेत किसी भी व्यक्ति के कार्य की सराहना करने से मन में सकारात्मक विचार एकत्रित होने लगते हैं। इससे व्यक्ति का माइंडसेट पॉजिटीविटी की ओर बढ़ने लगता है।
इस एक्टीविटी से न केवल अन्य लोगों को खुशी मिलती है बल्कि आपके शरीर में भी हैप्पी होर्मोन रिलीज़ होने लगते हैं।
*4. सेल्फ असेंसमेंट ज़रूरी :*
मांइड को हेल्दी बनाए रखने के लिए सेल्फ असेंसमेंट बेहद ज़रूरी है। जब आप इस बात पर फोकस करने लगते हैं कि आप क्या सोच रहे हैं, तो उस प्रक्रिया को मेटाकॉग्नीशन कहा जाता है।
इसमें व्यक्ति को राज़ाना अपने आप से ये सवाल करना होता कि आप किस प्रकार के विचारों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इससे व्यक्ति नकारात्मकता से दूर होने लगता है और विचारों में सकारात्मकता बढ़ने लगती है।
*5. खुशियों को सेलिब्रेट करें :*
व्यक्ति जीवन में हर छोटी सी बात पर चिंतित तो होता है, मगर छोटी छोटी खुशियों को सेलिब्रेट नहीं करता है। जीवन में मिलने वाली हर छोटी खुशी को उत्सव की तरह मनाएं।
इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं और व्यक्ति हैप्पी और हेल्दी महसूस करता है। इससे बार बार तनाव बढ़ने की समस्या को भी हल किया जा सकता है।
*6. अपनी कमियों और सीमाओं का आकलन करें :*
दूसरों के प्रति अपने व्यवहार का आकलन करने के अलावा सीमाओं को तय करना भी ज़रूरी है। अपनी लिमिटेशंस को पहचानक आगे बढ़ने से जीवन में खुशी का अनुभव होता है।
इसके अलावा अपनी कमियों को पहचानने की कोशिश करें। इस बात को जानना ज़रूरी है कि आप कहां गलत है। अपने बिहेवियर को इवेल्यूएट करने से जीवन में हैप्पीनेस को बढ़ाया जा सकता है।