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अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को भाजपा के किसान मोर्चे का प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के कई मायने

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एस पी मित्तल, अजमेर 

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में भाजपा ने अपने सभी सातों मोर्चों के प्रदेशाध्यक्ष भी बदले हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नियुक्ति अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी को किसान मोर्चे का प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाना है। पिछले तीन दिनों में चौधरी चौथे ऐसे सांसद हैं जिन्हें संगठन की जिम्मेदारी दी गई है। दो दिन पहले अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ व टोंक के सुखबीर सिंह जौनपुरिया को प्रदेश उपाध्यक्ष तथा राजसमंद की सांसद दिया कुमारी को प्रदेश महासचिव नियुक्ति किया गया। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि संगठन की जिम्मेदारी मिलने से इन सांसदों का आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। वैसे भी इन चारों सांसदों की रुचि अब विधानसभा चुनाव लड़ने की है, जो लोकसभा चुनाव से पहले इसी वर्ष नवंबर दिसंबर में होंगे। अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी की नजर किशनगढ़ पर है। चौधरी पूर्व में दो बार किशनगढ़ से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। गत बार चौधरी का टिकट काट कर विकास चौधरी को दिया गया। लेकिन छह माह बाद ही भागीरथ चौधरी को लोकसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बना दिया। चौधरी ने कांग्रेस के उम्मीदवार उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला को चार लाख मतों से हराया। इसे भागीरथ चौधरी की किस्मत ही कहा जाएगा कि जिस विधानसभा चुनाव में टिकट कटा, उसमें भाजपा की हार हो गई। यदि 2018 के विधानसभा चुनाव में भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से उम्मीदवार होते तो शायद उन्हें भी हार का सामना करना पड़ता। अब जब सांसद के रूप में उन्हें किसान मोर्चे का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है, तब भी भागीरथ चौधरी की किस्मत की बात ही है। मोर्चे का प्रदेशाध्यक्ष होने से भागीरथ अब प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे। मौजूदा राजनीति किसान वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसान मोर्चे की गतिविधियों के कारण चौधरी को प्रदेश भर में दौरे भी करने पड़ेंगे। चौधरी विवादों से भी दूर रहते हैं। सांसद के पिछले चार वर्ष के कार्यकाल में चौधरी ने अपनी आम आदमी की छवि बनाई है। अपने संसदीय क्षेत्र में तो चौधरी राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय रहे, साथ ही सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी जुड़ाव रखा। जिस किसी ने निमंत्रण दिया, उसके यहां उपस्थिति दर्ज करवाई। मोर्चे का प्रदेशाध्यक्ष बनने पर सांसद चौधरी ने कहा कि उनकी पृष्ठभूमि किसान की ही है। संगठन ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है। उनका प्रयास होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसान वर्ग की मदद से राजस्थान में भाजपा की सरकार बनवाएं। उन्होंने हमेशा पार्टी के निर्देशों का पालन किया है। संगठन ने जो भी जिम्मेदारी दी है उसे निभाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के किसान वर्ग के लिए बहुत काम हुआ है। गन्ने से लेकर सभी जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है, ताकि किसान को उसकी मेहनत का लाभ मिल सके। फसल बीमा योजना को भी प्रभावी बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय का निर्माण, सड़कों का निर्माण, उज्ज्वला योजना में रसोई गैस कनेक्शन आदि का लाभ भी किसान वर्ग को ही मिला है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में तो हर किसान के बैंक खाते में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए की राशि जमा हो रही है। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि सांसद चौधरी संसद से लेकर घर तक धोती कुर्ता और साफा पहने रहते हैं। संसद में होने वाले बड़े से बड़े समारोह में इसी राजस्थानी परिधान में सांसद चौधरी नजर आते हैं। कड़कड़ाती ठंड में भी सांसद चौधरी धोती और कुर्ता ही पहनते हैं। मोबाइल नंबर 9571396889 पर नई जिम्मेदारी के लिए सांसद भागीरथ चौधरी को बधाई दी जा सकती है।

भडाना की उपलब्धियां:

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने मोर्चो के बदलाव की प्रक्रिया में ओबीसी मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष चंपालाल प्रजापत को नियुक्ति  किया है। प्रजापत की नियुक्ति ओम प्रकाश भडाना के स्थान पर हुई है। भडाना पिछले सात वर्षों से भाजपा के ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रहे। किसी मोर्चे के इतने समय तक अध्यक्ष रहने यह बड़ी उपलब्धि है। भडाना ओबीसी मोर्चे के पहले अध्यक्ष है। भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2016 में ओबीसी मोर्चा बनाया और उसका अध्यक्ष भडाना को नियुक्ति किया। यानी भडाना जब अध्यक्ष बने तब संगठन की दृष्टि से ओबीसी मोर्चे का कोई स्वरूप नहीं था। भडाना ने प्रदेश भर का दौरा कर जिला स्तर और भाजपा के सभी 1126 मंडलों में मोर्चे का गठन किया। यही वजह है कि आज 18 हजार से भी ज्यादा कार्यकर्ता मोर्चे के पदाधिकारी हैं। राजस्थान में ओबीसी की 95 जातियां है। भडाना ने अपने कार्यकाल में 70 जातियों के प्रतिनिधियों को भाजपा के ओबीसी मोर्चे से जोड़ा।  भडाना के कार्यकाल में ओबीसी मोर्चे की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हुई, हाल ही में भडाना ने  अजमेर में मोर्चे का जिला स्तरीय सम्मेलन भी करवाया है। कहा जा सकता है कि भडाना ने प्रदेश में ओबीसी वर्ग को एक नई पहचान दी। गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण दिलवाने में भी भडाना की सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ मिलकर आंदोलन भी किया। भडाना स्वयं भी गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यही वजह है कि अब गुर्जर बाहुल्य नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र पर भडाना की नजर है। भडाना ने भाजपा में नसीराबाद से अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत की है। मौजूदा समय में रामस्वरूप लांबा भाजपा के विधायक हैं। चूंकि नसीराबाद परंपरागत तौर पर गुर्जर समुदाय का रहा है, इसलिए भडाना चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। भडाना ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में प्रदेश स्तर के सम्मेलन में भी करवाए हैं। एक सम्मेलन में तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उपस्थित रहे। भडाना को इस बात का संतोष है कि उन्होंने प्रदेश भर में ओबीसी वर्ग को एकजुट करने का काम किया। मोबाइल नंबर 9929590191 पर ओम प्रकाश भडाना को शुभकामनाएं दी जा सकती है।

बांध में पानी की आवक:

अजमेर और जयपुर के अधिकांश लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में पिछले पांच दिनों से लगातार वर्षा जल की आवक हो रही है। यही वजह है कि 8 जुलाई को दोपहर तक बांध का जल स्तर 313.31 मीटर के पार हो गया था। तीन नदियों के मिलन त्रिवेणी पर जल का स्तर पौने तीन फिट का बना हुआ है, इसलिए अनुमान है कि बीसलपुर बांध में पानी की आवक जारी रहेगी। बांध में पानी की आवक बिपरजॉय तूफान के समय से ही हो रही है। चूंकि तूफान के बाद मानसून का दौर शुरू हो गया, इसलिए पानी की आवक हो रही है। बीसलपुर बांध से जुड़े सिंचाई और जलदाय विभाग के इंजीनियरों का मानना है कि वर्षा से पूर्व बनास नदी में जो गहरे गड्ढे हो गए हैं वे भी भर चुके हैं, इसलिए अब हर बरसात में बांध का जलस्तर बढ़ता रहेगा, बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। अनुमान है कि इस बार बांध ओवरफ्लो जो जाएगा। गत वर्ष भी अच्छी वर्षा होने के कारण बांध ओवरफ्लो हुआ था। 

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