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विवाह समारोहों से देश की अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती

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सुमित जैन
सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार

आज जब दुनिया के अधिकतर देशों में आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है, ऐसा माना जा रहा है कि भारत इससे अछूता रह जाएगा। ऐसे विकट समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को गति और मजबूती देने का काम कर रही है शादियां। भारत में विवाह को काफी गंभीरता से लिया जाता है। यह सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच का ही नहीं, बल्कि दो परिवारों, परंपराओं और संस्कृतियों का मिलन है। और उतना ही बड़ा और गंभीर है भारत का विवाह-व्यवसाय। भारत में विवाह का उत्सव कई दिनों तक चलता हैं, और अलग-अलग राज्यों में विवाह की अलग-अलग परंपराएं हैं, जो विशिष्ट सेवाओं की मांग करती है। इन रस्मों पर वार्षिक खर्च 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक तक हो सकता है, जो शादी को देश का चौथा सबसे बड़ा व्यवसाय बना देता है, ऊर्जा, बैंकिंग और बीमा के पीछे लेकिन कार, स्टील और प्रौद्योगिकी से आगे।
वक्त के साथ विवाह समारोह बड़े और भव्य होते जा रहे हैं। इसी के साथ बड़ा होता जा रहा है भारत का विवाह-व्यवसाय। कोविड-19 के कारण जिन लोगों ने शादी के उत्सव को स्थगित कर दिया था, वे सब अब शादी करने के लिए तत्पर और तैयार हैं। अगले वर्ष अप्रेल से जुलाई के बीच 40 लाख शादियां होने की संभावनाएं हैं। भारत में शादियों का व्यवसाय आम तौर पर तब शुरू होता है, जब दो लोग एक दूसरे को पसंद करते हैं। मैचमेकर ग्रामीण झोपडिय़ों से लेकर शहरी ऊंची इमारतों तक, भारत में हर जगह काम करते हैं। वर्गीकृत विज्ञापन अखबारों में दिखाई देते हैं। भारतीय साइबर स्पेस में वैवाहिक साइटें हैं। एक बार रिश्ता हो जाने के बाद, समारोह की तैयारी शुरू हो जाती है। शादी के हर पहलू को पूरा करने के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। सबसे पहले बारी आती है निमंत्रण पत्र की। अकेले दिल्ली और महाराष्ट्र में 500 से अधिक निमंत्रण पत्र के प्रिंटर हैं। विस्तृत शादी का निमंत्रण मुख्य कार्ड के साथ-साथ सगाई, संगीत, और मेहंदी समारोह में भाग लेने के ऐड-ऑन कार्ड के साथ आता है।
फिर होती है गहनों और कपड़ों की खरीददारी। मुंबई का जवेरी बाजार जो भारत में आभूषण का गढ़ है, वहां लगभग 7,000 दुकानें हैं, जो अमेरिकन डायमंड्स से लेकर कीमती रत्नों तक सब कुछ पेश करती हैं। जवेरी बाजार की कुल बिक्री में शादियों का 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। शादी ही एक बड़ा कारण है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना आयातक है, जिसने पिछले साल 800 टन सोना खरीदा था।
विवाह का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है, विवाह स्थल का चुनाव। बजट के आधार पर, विवाह स्थलों को चार खंडों में विभाजित किया जा सकता है- अल्ट्रा-लक्जरी, लक्जरी, मिड-सेगमेंट और बजट। शीर्ष खंड में प्रीमियम 5 और 7 सितारा होटल, महल और किले शामिल हैं, जिनकी लागत एक रात के लिए 35,000 रुपए प्रति कमरा से शुरू होती है और एक रात के लिए 5-7 लाख रुपए तक जा सकती है। 200 मेहमानों के लिए 2 दिन की शादी के लिए कुल खर्च 3-5 करोड़ रुपए तक हो सकता है। राजस्थान के उदयपुर, जोधपुर और जयपुर में इस तरह के रमणीय स्थलों की भरमार है। लक्जरी में 4 और 5 सितारा और हेरिटेज होटल शामिल हैं, और कुल खर्च 45 लाख रुपए से लेकर 2 करोड़ रुपए तक हो सकता है। मिड-सेगमेंट में 3 और 4 सितारा होटल और रिसोर्ट शामिल हैं, जहां पर शादी का कुल खर्चा 15-45 लाख रुपए तक हो सकता है। बजट होटल/ रिसोर्ट में शादी का खर्च 5-10 लाख रुपए तक है।
हालांकि इतनी महंगी शादियों की योजना बनाते समय, लोग अक्सर एक महत्त्वपूर्ण पक्ष को अनदेखा कर देते हैं, वह है बीमा। बीमा राशि मोटे तौर पर शादी के लिए किए गए खर्च के आकार की होती है और चोरी, कीमती सामान को नुकसान, दुर्घटना, मृत्यु, और यहां तक कि तीसरे पक्ष के दाइत्व को रद्द करने या स्थगित करने तक को कवर करती है। इसका प्रीमियम बीमा राशि के 0.2-0.4 प्रतिशत के बराबर होता है।

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