जिंदगी में सबकुछ हो, पैसा, दौलत, शौहरत और अच्छी पत्नी, लेकिन जब अहंकार और स्वार्थ हावी हो जाए, तो इन सब की इंसान खुद ही तिलांजलि दे डालता है। ऐसा ही कमाल अमरोही के मामले में कहा जा सकता है, जिन्होंने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को ऐसी फिल्में दीं जो आज भी मास्टरपीस कही जाती हैं। लेकिन अगर उनकी निजी जिंदगी में झांका जाए, तो लगता है कि ऐसा शौहर खुदा किसी को न दे।शादी को लेकर हर लड़की सुहाने सपने सजाती है। उसे उम्मीद होती है कि उसके जीवन का ये नया अध्याय प्यार और खुशियां साथ लेकर आएगा। लेकिन अगर पति कमाल अमरोही जैसा मिल जाए, तो जिंदगी का अंजाम मीना कुमारी जैसा हो जाता है। मीना और कमाल का रिश्ता इतना ज्यादा टॉक्सिक था, कि ये सबके लिए सबक बन गया।
शादीशुदा होते हुए भी उम्र में 15 साल से भी ज्यादा छोटी मीना कुमारी से शादी करना और फिर प्यार के नाम पर जिंदगी को जहन्नम बना देना, ऐसा सिर्फ वही इंसान कर सकता है, जिसे अपने आगे कुछ दिखाई न दे। इस बात को साबित करते कमाल-मीना के कई ऐसे किस्से हैं, जो दूसरी आम लड़कियों के लिए सबक की तरह हैं। इनके बारे में जितना पढ़ा जाए, उतना समझ आता है कि आखिर टॉक्सिक मैरिड लाइफ होती क्या है और क्यों किसी महिला को ऐसे रिश्तों को सहन नहीं करना चाहिए।
प्यार के नाम पर शादी और फिर पत्नी को जैसे बना लिया खिलौना
कमाल ऐसी पत्नी चाहते थे जो घर में ही रहे और उसकी पहचान उनसे हो। ये बात जगजाहिर थी कि मीना इनमें से किसी पर भी उम्मीद पर खरी नहीं उतरती थीं। वो एक नामी अदाकारा थीं, जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही इंडस्ट्री में कदम रख दिया था। बावजूद इसके कमाल ने खुद को पहले तो दीवाने की तरह पेश कर उनसे शादी की और फिर उनकी जिंदगी को काबू में करना शुरू कर दिया।
मीना काम करना चाहती थीं, लेकिन कमाल को ये पसंद नहीं था। जैसे-तैसे वो माने और इजाजत देते हुए शाम 6:30 बजे तक मीरा को घर लौटने के लिए कहा। साथ ही ये शर्त भी रखी कि उन्हें खुद की कार से आना होगा और कभी भी उनके मेकअप रूम में कोई मर्द नहीं नजर आएगा।
इश्क के नाम पर पहले शादी करना और फिर जिंदगी को काबू में करते हुए अपनी कठपुतली या खिलौना बना लेना, भला ऐसा कौन लड़की अपने साथ होता देखना चाहेगी। अगर कोई ‘तुम्हारी भलाई के लिए ही कर रहा हूं’ कहकर भी ऐसा कंट्रोल पाना चाहे, तो उसे जरा सा भी स्वीकार कर लेना सबसे बड़ी भूल होगी। और इसी भूल का बड़ा उदाहरण मीना कुमारी हैं।
वो कमाती थीं, फिर भी पाई-पाई को मोहताज हो गईं
शादी के बाद मीना की कमाई के पैसे पर भी कमाल ने अपना हक जमा लिया। अन्नू कपूर ने अपने शो में एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि एक बार मीना कुमारी ने अपनी मालिश वाली के लिए दो रुपये बढ़ाने को कहा, तो अमरोही ने उन्हें यह कहते हुए डांट दिया कि उन्हें मालिश की कोई जरूरत नहीं है। इसकी वजह से जबरदस्त झगड़ा हुआ। बाद में कमाल ने मालिश वाली को निकाल दिया।
खुद कमाते हुए भी छोटी राशि के लिए पति के आगे हाथ फैलाना इससे ज्यादा शर्मिंदगी भरा भला क्या हो सकता है? ये आत्म-सम्मान को कुचल देने वाला तरीका है। कोई अपना जब ऐसा करे, तो वो किस मुंह से ये कह सकता है कि वो प्यार करता है? (फोटो साभार:AI)
पत्नी की ख्याति में दिखी खुद की बेइज्जती
बताया जाता है कि एक कार्यक्रम में जब मीना और कमाल पहुंचे, तो सोहराब मोदी ने गवर्नर से उनका परिचय ‘ये मीना कुमारी हैं और ये उनके पति’ कहते हुए करवाया। इससे कमाल उखड़ गए। उन्हें ये बेइज्जती के समान लगा। उन्होंने आव देखा न ताव और तपाक से बोले ‘जी नहीं, मैं कमाल अमरोही हूं और ये मेरी पत्नी मीना’। ऐसा बोल वो कार्यक्रम से चले गए और मीना शर्मिंदगी से सिर झुकाकर रह गईं।
किसी व्यक्ति में जब पुरुष होने का इतना अहंकार हो कि उसे पत्नी की ख्याति और सफलता अपनी बेइज्जती लगने लगे, तो उसके साथ किसी भी महिला का रह पाना असंभव है। और अगर फिर भी वो साथ में रहना जारी रखे, तो अंजाम वही होता है, जो मीना कुमारी का हुआ।
हलाला और मीना का खुद का ‘वैश्या’ से तुलना करना
कहा जाता है कि एक बार गुस्से में कमाल ने मीना को तीन तलाक दे दिया। उन्हें बाद में पछतावा हुआ और वो फिर से निकाह के लिए गुजारिश लेकर पहुंच गए। प्यार में दीवानी मीना भी उनके पास वापस जाना चाहती थीं। लेकिन इसके लिए रीत के मुताबिक अदाकारा को हलाला से गुजरना था।
बताया जाता है कि मीना का जीनत अमान के पिता अमान उल्लाह खां के साथ विवाह हुआ। दोनों हमबिस्तर हुए और फिर जब उन्हें वहां से तलाक मिला, तब जाकर वो कमाल के साथ निकाह कर सकीं।
ये ऐसा जख्म था जिसे मीना ताउम्र नहीं भूल सकीं। उन्होंने तो अपनी तुलना ‘वैश्या’ तक से कर डाली थी, और इस बात का जिक्र उनकी बायोग्राफी में मिलता है।
भला कौन सा पति जो प्यार के दावे करता हो, वो अपनी पत्नी के साथ इस तरह का व्यवहार कर सकता है? इस तरह पेश आने वाला व्यक्ति अपनी पत्नी को मनुष्य कम और खिलौना ज्यादा मानता है।
सच तो ये है कि अगर किसी को ऐसा पति मिले, तो उसे अपने आत्मसम्मान को इस तरह से गिरवी रखते हुए फिर एक होने के बारे में सोचना तक नहीं चाहिए।
असिस्टेंट से रखवाई नजर, थप्पड़ मारा तब भी कुछ न बोले
कमाल अमरोही की मीना की जिंदगी को काबू में करने की कोशिश हमेशा चरम पर रही। उन्होंने अपने असिस्टेंट बकर अली को काम दिया कि वो अदाकारा पर नजर रखे। इस चीज के चलते सेट पर भी मीना का अपने हिसाब से उठना-बैठना तक मुश्किल हो गया।
असिस्टेंट उन्हें इस हद तक काबू में रखता था कि परेशान एक्ट्रेस सेट पर रो देती थीं। इतना ही नहीं एक बार तो उसने मीना पर हाथ तक उठा दिया। बावजूद इसके कमाल ने कुछ नहीं कहा और तभी वो वक्त आया जब मीना ने पति को छोड़ने का फैसला कर लिया।
मीना का ये कदम वो था, जो शायद उन्हें पहले ही उठा लेना चाहिए था। जब किसी के लिए आपकी अहमियत बिल्कुल ही न रह जाए और आत्म-सम्मान को इस तरह से कुचल दिया जाए, तो उसके साथ भला क्यों जिंदगी बिताई जाए?
शराब, मौत और सबक
जिंदगी और पति ने इतने जख्म दिए कि मीना शराब की दुनिया में खिंची चल गईं। कमाल की मिन्नतों के बाद फिल्म पाकीजा की शूटिंग पूरी की, लेकिन स्वास्थ्य इस कदर बिगड़ता चला गया कि कई सीन में बॉडी डबल का इस्तेमाल करना पड़ा। आखिर में यही शराब उन्हें सबके बीच में से मौत के मुंह में खींच ले गई।
मीना की तो मौत तक मानो दूसरी लड़कियों के लिए सबक है। क्या किसी को भी अपने साथी के खातिर इस हद तक चले जाना चाहिए कि जीते जी जिंदगी जहन्नम बन जाए?
इसका जवाब सिर्फ और सिर्फ ना है। और अगर कोई इसे हां में तब्दील करना चाहे, तो क्या अंजाम होगा, इसका उदाहरण मीना कुमारी की जिंदगी से लिया जा सकता है। वो बदल जाएगा की उम्मीद किसी भी टॉक्सिक पार्टनर के साथ लगाना मूर्खता से बढ़कर कुछ नहीं।