यूनिवर्सिटी के योग प्रशिक्षकों को हटाने के निर्णय पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने रोक लगाई। अब योग केन्द्र चलता रहेगा।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शिवदयाल पर भी गंभीर आरोप।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ है-एमडीएस प्रशासन
एस पी मित्तल अजमेर
3 अगस्त को राज्यपाल कलराज मिश्र ने अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के उस निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें यूनिवर्सिटी के योग विज्ञान एवं मानवीय चेतना विभाग के प्रशिक्षकों को वापस बेंगलुरु स्थित विवेकानंद केन्द्र भेजने का निर्णय लिया गया था। राज्यपाल ने सचिन सुबीर कुमार द्वारा कुलपति को लिखे पत्र में 7 अप्रैल, 2021 को हुई विद्या परिषद की बैठक के प्रस्ताव संख्या तीन को दोषपूर्ण माना गया। राज्यपाल के निर्देश पर इस प्रस्ताव पर हुए निर्णय पर आगामी आदेश तक रोक लगाई। अब एमडीएस यूनिवर्सिटी में पहले ही तरह विवेकानंद केन्द्र के योग प्रशिक्षक अपनी सेवाएं देते रहेंगे। यानी यह विभाग अब बंद नहीं होगा।
राज्यपाल ने यह रोक एमडीएस के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बीपी सारस्वत की शिकायत के बाद लगाई है। 29 जुलाई को लिखे पत्र में प्रो. सारस्वत ने एमडीएस यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी पर अपनी विचारधारा के अनुरूप काम करने का आरोप लगाया। इस विचारधारा के चलते ही योग विभाग को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। कुलपति ऐसा तब कर रहे हैं जब योग का अभ्यास कोरोना जैसी महामारी से बचाव कर रहा है। प्रो. सारस्वत ने राज्यपाल को बताया कि विद्या परिषद की बैठक में शैक्षणिक निर्णय लिए जाते हैं। लेकिन एमडीएस की विद्या परिषद की बैठक में योग प्रशिक्षकों को हटाने का निर्णय लिया गया, इससे पहले प्रोफेसर शिवदयाल से एक झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत कराई गई। तथ्यों से परे इस रिपोर्ट पर ही योग प्रशिक्षकों को हटाने का निर्णय लिया गया, जबकि इस रिपोर्ट में योग विज्ञान केंद्र की उपलब्धियों को शामिल नहीं किया गया। आज यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा विद्यार्थी इसी योग विज्ञान में अध्ययनरत हैं। इस विभाग को संचालित करने में यूनिवर्सिटी को कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ती है। विद्यार्थियों की फीस से ही प्रशिक्षकों को वेतन दिया जाता है। यहां से डिग्री प्राप्त कर विद्यार्थी विदेशों में भी रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
डिग्री के महत्व को बढ़ाने के लिए विवेकानंद केन्द्र के प्रशिक्षकों ने सहायक आचार्य का पद देने का आग्रह किया था। लेकन सहायक आचार्य का पद देने के बजाए कार्यवाहक कुलपति ने उन्हें हटाने का निर्णय ले लिया। प्रो. सारस्वत ने राज्यपाल से मांग की थी कि विद्या परिषद के निर्णय को रद्द किया जाए। राज्यपाल द्वारा निर्णय पर रोक लगाने का स्वागत करते हुए प्रो. सारस्वत ने कहा कि कोई भी शिक्षण संस्थान विचारधारा से ऊपर उठकर होता है, क्योंकि इससे लाखों विद्यार्थियों का भविष्य जुड़ा होता है। जहां तक ओम थानवी को साढ़े तीन लाख विद्यार्थियों वाली एमडीएस यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति बनाने का सवाल है, इससे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी विचारधारा देखी हैं। चूंकि ओम थानवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना करते हैं, इसलिए गहलोत ने उन्हें उपकृत कर रखा है। वैसे तो थानवी को पत्रकारिता विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया है, लेकिन मुख्यमंत्री ने थानवी को एमडीएस का भी कुलपति बना दिया। थानवी कई माह तक अजमेर नहीं आते हैं।
ऐसे में यूनिवर्सिटी का ढर्रा बिगड़ा हुआ है।प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ:वहीं दूसरी ओर एमडीएस यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि विद्या परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव को पास किया गया था। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शिवदयाल सिंह की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा हुई थी। क्योंकि 12 जून 2017 के बाद बेंगलुरु स्थित विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान और यूनिवर्सिटी के बीच कोई नया अनुबंध नहीं हुआ, इसलिए योग प्रशिक्षक डॉ. असीम जयंती और डॉ. लारा शर्मा को तुरंत प्रभाव से अपने मूल संस्थान लौट जाने के लिए कहा गया। इसके साथ ही बैठक में यह भी निर्णय लिया गया था कि अब इस विभाग का प्रभारी यूनिवर्सिटी के किसी प्रोफेसर को ही बनाया जाएगा। अध्ययनरत छात्रों को अतिथि शिक्षकों के माध्यम से ही पढ़ाई जाएगा। चूंकि यह निर्णय सर्वसम्मति से हुआ है, इसलिए किसी विचारधारा की बात बेमानी है। सूत्रों ने बताया कि दो प्रशिक्षकों को वापस अपने मूल संस्थान भेजने के बाद भी यूनिवर्सिटी में योग विज्ञान का विभाग जारी रहेगा।