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मीडिया न्यूट्रल नहीं है….14 मौतों के बाद की असंवेदनशीलता जो खबर भी नहीं बनी!

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संजय कुमार सिंह 

 वैसे तो सबसे बड़ी खबर यह है कि मुंबई में होर्डिंग गिरने के बाद एक दंपत्ति का शव उनकी कार के साथ 50 घंटे तक दबा रहा। इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 14 बताई गई थी और यह भी कि 14 महीने से लाइसेंस शुल्क का भुगतान न करने, पेड़ों को नुकसान पहुंचाने और आवश्यक अनुमतियों की कमी तक – कई कारणों से अधिकारियों की जानकारी में था। पहला नोटिस मार्च 2023 में लाइसेंस शुल्क के लिए जारी किया गया था। दूसरा और तीसरा मई में जारी हुआ तीसरा, 13 मई को, जिस दिन भारी हवाओं के कारण यह गिर गया और 16 लोगों के लिए काल बना। बाद के हालात ऐसे रहे कि गिरने से दबकर मर गये लोगों की लाश तब निकाली जा सकी जब सड़ गई थी। हालांकि, यह भी इसलिए संभव हुआ कि अमेरिका में रहने वाले मरने वालों के बेटे ने मुंबई में अपने परिचितों को फोन कर माता-पिता का पता लगाने के लिए कहा। वे फोन नहीं उठा रहे थे। गुमशुदगी की रिपोर्ट पर पुलिस ने मोबाइल से लोकेशन मालूम किया और तब शव का पता चला। इंडियन एक्सप्रेस ने आज इस खबर को पहले पन्ने पर पांच कॉलम में एंकर बनाया है।

इसके साथ तीन कॉलम में भाजपा का विज्ञापन है जो दावा करता है कि इस बार आपके ही  वोट से भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाएंगे। आप जानते हैं कि आबादी के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े देश की अर्थव्यवस्था दूसरी सबसे बड़ी शक्ति नहीं है क्योंकि नौकरी नहीं है, लोगों के पास काम और इस कारण पैसे नहीं हैं। ऐसे में लोगों को मुफ्त के राशन पर जीना पड़ रहा है। वरना आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर के देश को अर्थव्यवस्था में तीसरे नंबर पर पहुंचना कौन सी खुशी की बात है? मुद्दा तो यह होना चाहिये कि दूसरे नंबर पर क्यों नहीं है? लेकिन प्रचार यह है कि तीसरे नंबर पर आ जायेगा। विज्ञापन के पैसे मिल रहे हैं तो संबंधित सवाल पूछने के लिए खर्च कौन करे और यही हो रहा है। इसीलिए यह खबर देर से ही सही, सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस में इतनी प्रमुखता से छपी है।

खबर के अनुसार, यह हादसा सोमवार, 13 मई की शाम साढ़े चार बजे हुआ था और शव 50 घंटे बाद बुधवार को निकाले जा सके। कहने की जरूरत नहीं है कि मुंबई जैसे शहर में जहां होर्डिंग का आकार 40x40 फीट होना चाहिये वहां 120x120 फीट का होर्डिंग लग गया, भिन्न कारणों से अधिकारियों की जानकारी में होने के बावजूद 14 महीने खड़ा रहा और जब तेज आंधी में गिर गया तो उसके शिकार या पीड़ित को तुरंत राहत और बचाव तो छोड़िये मरने के बाद 50 घंटे तक कोई खबर नहीं ली गई। यह व्यवस्था है और वहां की जहां ट्रिपल इंजन की सरकार है। यह अलग बात है कि नहीं निकाले जा सकने  कारण को खबर से ज्यादा जगह दी गई है। महाराष्ट्र की सरकार भाजपा ने कैसे विधायक खरीदकर और पार्टियां तोड़कर बनाई गई है, आप जानते हैं।

सांत्वना यह कि इसके मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। संभव है कि ठीकरा उसी के सर फूटेगा और बलि का बकरा वही बनेगा। लेकिन वह अकेला जिम्मेदार नहीं है। मीडिया का काम है ऐसे मामले फॉलो करते रहना पर अब वह सब होता नहीं है।  मोबाइल से लोकेशन मिलने के बाद शव निकाले जाने और मरने वालों की संख्या 14 से 16 किये जाने पर मुझे बालाकोट का हवाई हमला याद आया। तब खबर छपी थी कि एक कौव्वा (और शायद एक व्यक्ति भी) मरा था लेकिन दावा किया गया था कि 300 आतंकवादी मर गये क्योंकि वहां इतने ही मोबाइल चार्ज हो रहे थे। यानी मारे गये कथित पाकिस्तानी आतंकवादियों की संख्या का दावा करने के लिये चार्ज हो रहे मोबाइल की संख्या मालूम थी लेकिन खतरनाक होर्डिंग गिरने से दबे और मरे लोगों का मोबाइल किसी काम नहीं आया। जान बचाने के लिए तो छोड़िये मरने वालों की गिनती बताने के लिए भी नहीं।

सफाई देता सुप्रीम कोर्ट

टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स में आज एक खबर है जिसमें सुप्रीम कोर्ट सफाई देता लग रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। शीर्षक है, दिल्ली के मुख्यमंत्री को कोई विशेष लाभ नहीं दिया गया : अंतरिम जमानत, गिरफ्तारी की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा। इंट्रो है, शुरू में हमलोगों ने उनकी अपील सुनने से मना कर दिया था। हिन्दुस्तान टाइम्स में इसी खबर का शीर्षक है, केजरीवाल को जमानत में कुछ खास नहीं : सुप्रीम कोर्ट”। इसके साथ एक और खबर है जिसका शीर्षक है, “विशेष कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद ईडी गिरफ्तार नहीं कर सकता है”। द हिन्दू में यह खबर लीड है। शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के आरोपी को गिरफ्तार करने के ईडी के अधिकार सीमित किये”। उपशीर्षक है, पीठ ने निजी स्वतंत्रता के अधिकार को कायम रखा, कहा – विशेष अदालतों द्वारा समन किये गये लोगों को पीएमएलए के क्रूर नियमों के तहत जमानत मांगने की आवश्यता नहीं है; ऐसे आरोपियों को ईडी अदालत की सहमति से ही गिरफ्तार कर सकता है।

इसके मुकाबले इंडियन एक्सप्रेस का शीर्षक देखिये, केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर अमित शाह की टिप्पणी के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई विशेष व्यवहार नहीं किया, आलोचना का स्वागत है”। टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर के साथ बॉक्स में खबर की खास बातें बताई हैं। इनमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह कहना शामिल है कि केजरीवाल ने यह कहकर जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है कि, अगर लोग आम आदमी पार्टी को वोट करेंगे तो उन्हें दो जून को वापस जेल नहीं जाना होगा। एसजी ने इसे ‘व्यवस्था के मुंह पर तमाचा’ कहा। इसपर केजरीवाल की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, अगर एसजी मामले को बढ़ा रहे हैं तो हम देश के सबसे बड़े मंत्री के बयान पर शपथपत्र दायर करेंगे। इंडियन एक्सप्रेस ने पीएमएलए मामले में अभियुक्त की गिरफ्तारी के संबंध में ईडी के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अलग खबर बनाया है। कुल मिलाकर अमित शाह का यह कहना, कुछ लोग कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के साथ विशेष व्यवहार किया – सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गये कपिल सिब्बल ने कहा है कि अमित शाह का बयान आपत्तिजनक है। इसमें न्यायाधीशों की मंशा पर सवाल उठाया गया है।

मुझे लगता है कि मंत्री का ऐसा बयान न्याय के मार्ग में बाधा है और उन्हें ऐसे बयान देने से बचना चाहिये। गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविन्द केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई चल रही है और आज द हिन्दू में छपी एक खबर के अनुसार ईडी ने कहा है कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। मुझे लगता है कि रिश्वत मांगना अपराध नहीं है। रिश्वत लेना और देना अपराध है। अगर कोई रिश्वत मांगता है और उसकी शिकायत की जाती है तो रिश्वत देकर सबूत इकट्ठा किया जाता है और फिर मामला साबित होता है तो सजा मिलती है। यहां अगर रिश्वत मांगी गई थी तो सबूत है कि नहीं पता नहीं और है भी तो वह भ्रष्टाचार का मामला हुआ, पीएमएलए का नहीं हुआ खासकर तब तब काला धन बतौर रिश्वत लेकर गोवा चुनाव में खर्च भी कर दिया गया है। फिर भी ईडी के वकील एस राजू ने कहा है कि केजरीवाल गोवा के एक सात सितारा होटल में ठहरे और उसके बिल का एक हिस्सा दिल्ली सरकार ने दिया और बाकी एक आरोपी ने जो रिश्वत है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की खबरों से बदनाम किया जाता है और बंद होना चाहिये पर अभी यह मुद्दा नहीं है। 

हिन्दू-मुसलमान जारी

द हिन्दू में छपी खबर के अनुसार (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के दक्षिण भारतीय सहयोगी जब उत्तर प्रदेश, सनातन धर्म की आलोचना करते हैं तो वे चुप रहते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि मोदी न तो सनातन धर्म के अकेले प्रतिनिधि हैं और न उत्तर प्रदेश के। सपा और कांग्रेस का संबंध दोनों से उतना ही है, ज्यादा भी हो सकता है और अगर वे अपमान करने पर चुप रहते हैं तो नरेन्द्र मोदी को क्या परेशानी है? वैसे भी नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तो सिर्फ सनातन धर्म की चिन्ता करने के लिए नहीं हैं और हिन्दू-मुसलमान नहीं करने का संकल्प भी लिया है। फिर भी हिन्दू मुसलमान जारी है और चुनाव आयोग को इसमें कुछ गलत लगता तो वह कुछ करता पर वह भी कुछ नहीं कर रहा तो अपना काम कर रहा है या नहीं, इसे देखना प्रधानमंत्री का काम है पर वे छोटे-छोटे काम में लगे हुए हैं जो उनका है नहीं।

मीडिया न्यूट्रल नहीं है

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते हैं क्योंकि मीडिया न्यूट्रल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं जवाबदेह हूं पार्लियामेंट को’। हमलोगों ने इसे भी देखा ही है। यह सब उन्होंने अपने पसंदीदा पत्रकारों से कहा है और वे इनसे इसीलिए बात करते हैं कि वे काउंटर सवाल नहीं करते हैं। जो कहा वह लिख दिया, दिखा दिया। यह नहीं पूछा कि मीडिया न्यूट्रल नहीं है तो है क्यों? उसे सरकारी विज्ञान क्यों दिये जाते हैं। बंद क्यों नहीं करा दिया जा रहा है आदि आदि। अगर चलना जरूरी है, बंद नहीं करा सकते तो न्यूट्रल हो यह किसकी जिम्मेदार है, कौन सुनिश्चित करेगा। कबसे न्यूट्रल नहीं है? उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद या पहले से ऐसा था। दोनों स्थितियों में 10 साल कुछ किये जाने की आवश्यकता थी पर मन की बात करते रहें और यह भी वही है।

सीता मंदिर बनायेंगे 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार गृहमंत्री ने कहा है कि तीसरे कार्यकाल में एनडीए गोबद्ध पर प्रतिबंध लगायेगा (चंदा लेने के बारे में पूछा जा सकता था) और सीता मंदिर बनायेगा। पता नहीं यह हिन्दू मुसलमान करना है कि नहीं और उन्होंने संकल्प न लिया हो, मंत्री के रूप में शपथ तो ली ही है। यह शपथ लगभग ऐसा होता है, मैं, ………, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं ….. संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा।’ इसमें चुनाव जीतने के लिए ‘कुछ भी’ करने की आजादी नहीं है। मंदिर बनाने की बात हो रही है लेकिन मणिपुर में 300 से ज्यादा चर्च जलाये गये हैं उसपर कुछ पढ़ा-सुना हो तो याद कीजिये।

येचुरी और देवराजन का भाषण सेंसर

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार विपक्ष के दो नेताओं को लोकसभा चुनाव के दौरान ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर दिए गए अपने भाषणों से “सांप्रदायिक सत्तावादी शासन” और “कठोर कानून” तथा “मुस्लिम” शब्द हटाने के लिए कहा गया। सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी को राष्ट्रीय राजधानी के दूरदर्शन स्टूडियो में अपने टेलीविज़न संबोधन के दौरान दो शब्दों को हटाना पड़ा और शासन के “दिवालियापन” शब्द को “विफलता” से बदलना पड़ा, वहीं ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) के नेता जी देवराजन को कोलकाता में रिकॉर्ड किए गए अपने संबोधन में “मुस्लिम” शब्द का इस्तेमाल न करने के लिए कहा गया। इस बारे में पूछे जाने पर प्रसार भारती के एक अधिकारी ने कहा कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो दोनों ही भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा दिए गए “आचरण नियमों” का पालन करते हैं। “लेकिन ऐसा ज़्यादातर नेताओं के साथ होता है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें मुख्यमंत्रियों के संदेशों में भी सुधार किया गया,” अधिकारी ने कहा। यह सरकारी माध्यम का हाल है और प्रधानमंत्री के अनुसार जो मीडया न्यूट्रल नहीं है वह उन्हें और उनके मंत्री को हिन्दू- मुसलमान करने दे रहा है।

इन खबरों और तथ्यों के बावजूद आज के अखबारों में प्रमुखता से छपी खबर (इंडियन एक्सप्रेस में लीड) है, मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव पर मारपीट व छेड़छाड़ का केस दर्ज। इंडियन एक्सप्रेस का शीर्षक है, आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत पर केजरीवाल के सहायक के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज। अमर उजाला में टॉप पर पांच कॉलम में छपी खबर में कहा गया है, मालीवाल ने अपने बयान में सोमवार को पूरा घटनाक्रम पुलिस को बताया। उल्लेखनीय है कि पीसीआर को कॉल करने से यह मामला प्रकाश में आया था। उन्होंने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी और नंबर से पता चला कि कॉल उनके फोन से की गई थी। यह 13 मई की घटना है एफआईआर अब दर्ज हुई है और यह कहने के बावजूद प्रमुखता से खबर छपी है कि भाजपा को इस घटना पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है

आपको बता दूं कि यौन उत्पीड़न का आरोप पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर भी है। दोहराया भी कहा है उसकी खबर कितनी छपी आप जानते हैं फिर भी आम आदमी पार्टी के मामले को इतना तूल दिया गया है और यह उस दिन हुआ है जिस दिन प्रधानमंत्री ने कहा है कि मीडिया न्यूट्रल नहीं है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वह सरकार के समर्थन में है। जबकि तथ्य कुछ और है। इस मामले में स्वाति मालीवाल का ट्वीट है, मेरे साथ जो हुआ वो बहुत बुरा था। मेरे साथ हुई घटना पर मैंने पुलिस को अपना स्टेटमेंट दिया है। मुझे आशा है कि उचित कार्यवाही होगी। पिछले दिन मेरे लिए बहुत कठिन रहे हैं। जिन लोगों ने प्रार्थना की उनका धन्यवाद करती हूँ। जिन लोगों ने चरित्र हनन की कोशिश की, ये बोला की दूसरी पार्टी के इशारे पर कर रही है, भगवान उन्हें भी खुश रखे। देश में अहम चुनाव चल रहा है, स्वाति मालीवाल ज़रूरी नहीं है, देश के मुद्दे ज़रूरी हैं। भाजपा वालों से ख़ास गुज़ारिश है इस घटना पे राजनीति न करें। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में इस ट्वीट को भी शामिल किया है।

मीडिया की राजनीति या न्यूट्रलिटी

अमर उजाला ने स्वाति मालीवाल की खबर के साथ आज पहले पन्ने पर एक और खबर छापी है, केजरीवाल ने अन्ना के सपनों को तोड़ने का किया पाप : योगी”। “मुख्यमंत्री बोले – जिस कांग्रेस के खिलाफ अन्ना ने आंदोलन किया, उसे केजरीवाल ने गले का हार बनाया”।  इसमें योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ हाइलाइट किया अंश है, देश सनातन और हिन्दू धर्म के लिए सत्ता ठुकरा सकता हूं। बांदा डेटलाइन की इस खबर के अनुसार, योगी ने कहा, केजरीवाल जबसे जेल से बाहर आये हैं, उनकी बुद्धि फिर गई है। आपको याद होगा, केजरीवाल ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस सह रैली में कहा था, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं की राजनीति खत्म कर दी। तीसरी बार सरकार बनने पर अगला नंबर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का होगा। उनकी भी राजनीति खत्म कर दी जाएगी। पर अभी मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा है मीडिया की राजनीति और न्यूट्रलिटी। प्रधानमंत्री की सफाई आलोक में आप इस खबर को कैसे देखते हैं?

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