डॉ. विकास मानव
मेरे अब तक के जीवनकाल में मैंने लगभग 25 दोस्तों और रिश्तेदारों को गाड़ी चलाना सिखाई है। मेरे गाड़ी सिखाने का तरीक़ा था, एक हाथ से लगातार या गाड़ी का शीशा खोलते बंद करते रहना है या गाड़ी में कैसेट वाले स्टीरियो में गाना फॉरवर्ड या रिवर्स करके बदलते रहना है म्यूजिक सुनना है और गाड़ी लगातार पाँच किलोमीटर रिवर्स चलाना है।
साथ में मैं कुछ प्रश्न पूछता रहूँगा मेरे प्रश्नों का जवाब भी देना है।वह भी पहाड़ी रास्तों सिंगल लेन सड़क पर उतराई चढ़ाई वाली सड़क पर।
इसलिए कि आप का ब्रेन मल्टीट्रैक तरीक़े से काम करना चाहिए ना कि सिंगल ट्रैक। अधिकतर लोग यदि उनके साथ एक साथ दो या दो से अधिक लोग बातचीत करने लग जाये तो पजल हो जाते हैं, वे एक साथ दो या दो से अधिक लोगों से बातचीत का जवाब नहीं दे पाते ना समझ पाते। और चिढ़ जाते हैं।
ऐसा क्यों होता है?
यदि आप अपने दिमाग़ को मल्टीट्रैक काम करना सीखा पाएँ तो आपकी बहुत सी समस्यायाओं का अंत हो सकता है।
अब ऐसा कैसे किया जाये इसके कई तरीक़े हैं. पहला तरीक़ा आप ऊपर पढ़ चुके हैं. दूसरा तरीक़ा बताता हूँ।
यदि आप साइंस स्टूडेंट या साइंस पढ़े हुए हैं तो आप एक साथ तीन विषय के प्रश्न अलग पेज पर एक साथ हल करना शुरू करें जैसे एक पेज पर फिजिक्स, दूसरे पर केमिस्ट्री तीसरे पर मैथ के बहुत कठिन प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करें, लेकिन ध्यान रखें एक लाइन एक विषय का उत्तर , फिर एक लाइन दूसरे प्रश्न का , इस प्रकार से तीनों प्रश्नों का उत्तर लगातार पूरा करें।
यदि आप आर्ट्स पढ़े हुए हैं तो तीन अलग अलग विषय पर लेख लिखें एक बार में एक लाइन एक विषय की। यदि यह काम करते हुए आप टीवी पर फ़िल्म भी देखें उसका आंनद भी लें।
शुरू में आप को यह कार्य करने में आपको बहुत कठिनाई होगी लेकिन धीरे धीरे आपको यह आदत पड़ जाएगी। मल्टीट्रैक ब्रेन काम करने से आपकी बहुत से समस्याएँ हल हो सकती हैं।
ज़रा विचार कीजिये : क्या ग्रहों ज्योतिष का प्रभाव सिर्फ़ मनुष्य पर ही होता है बाक़ी जानवरों पर नही। तो मैं इस पर एक लेखों की सिरीज़ और विडीओ सिरीज़ बनाने जा रहा हूँ।
ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव दो प्रकार से जीवों पर पड़ता है एक भौतिक रूप से दूसरा मानसिक रूप से जो जीव जैसे मनुष्य मानसिक रूप से बाक़ी जीवों के मुक़ाबले ज़्यादा उन्नत है इसलिए मनुष्यों पर ग्रह नक्षत्र का प्रभाव भौतिक और मानसिक दोनो प्रकार से पड़ता है जबकि बाक़ी जो जीव मानसिक रूप से विकसित नही हैं उन पर सिर्फ़ भौतिक रूप का ही प्रभाव पड़ता है।
अब आप कहेंगे कि एक ही ग्रह दो प्रकार के प्रभाव कैसे डाल सकता है तो मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ थोड़ा सा प्लस टू तक का फ़िज़िक्स पढ़ लें।
हर ग्रह, नक्षत्र या तारे का दो प्रकार का प्रभाव होता है गुरुत्वाकर्षण और चुम्बकीय। जो हम महसूस कर सकते हैं। यदि आपने पुराने जमाने का रेडीओ इस्तेमाल किया होगा जिसने लोंग वेव, शॉर्ट वेव और ऐम्प्लिटूड modulated सिग्नल का इस्तेमाल होता था उसने आप अंतरिक्ष के विभिन्न सितारों के चुम्बकीय क्षेत्र से उत्पन रेडीओ सिग्नल के साउंड सुन सकते हैं।
अब क्योंकि रेडीओ सिग्नल को सिर्फ़ विद्युत चार्ज बॉडी ही महसूस कर सकती है लेकिन भौतिक बिना चार्ज की वस्तु उन सिग्नल को महसूस नही कर सकती।
अब क्योंकि मनुष्य का दिमाग़ बाक़ी जानवरों के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा विकसित है और आपको पता है हमारा दिमाग़ विद्युतचालित बेट्टरी की तरह काम करता है तो ग्रहों नक्षत्रों तारों से उत्पन रेडीओ सिग्नल मनुष्य के दिमाग़ को बहुत ज़्यादा प्रभावित करते है बाक़ी जीवों के मुक़ाबले। इसलिये मनुष्य बाक़ी ग्रहों , नक्षत्रों और तारों के रेडीओ सिग्नल से बहुत ज़्यादा प्रभावित होता है।
जबकि इन ग्रहों नक्षत्रों तारों का गुरुत्वाकर्षण बल हमें सिर्फ़ भौतिक या बाययलोजिकल रूप से ही प्रभावित करता है।
जिस प्रकार से हमारे वेदों और उपनिषदों में लिखा है कि कोई भी किया कर्म कभी समाप्त नही होता और ना ही कोई आपको आपके किए कर्मों से मुक्त कर सकता है यह असल में फ़िज़िक्स का ही नियम है यदि किसी कारण से ब्रम्हाण्ड में कोई भी गति उत्पन हो जाए चाहे वह भौतिक गति हो या चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कोई विकिरण उत्पन हो जाए तो उसका एक चक्र चल पड़ता है और वह कभी समाप्त नही होता।
यदि यह जब समाप्त हो जाए अर्थात् शून्य की स्थिति उत्पन हो जाए वही मोक्ष है।
इसलिये मूर्ख बनना बंद कीजिए कोई पेगमबेर कोई भी गुरु चेला ना कभी खुद मोक्ष को प्राप्त कर सकता है ना ही किसी को मोक्ष दिलवा सकता है भगवान का एजेंट मैसेज़र बन कर।
जब सृष्टि समाप्त होगी तभी सभी को मोक्ष मिल सकता है अथवा कभी नही।