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*राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति रद्द कराने सांसद प्रतिनिधियों को सौंपे ज्ञापन*

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*वायदे पूरे करे केंद्र सरकार* 

    संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, इंदौर, खजुराहो, होशंगाबाद, बालाघाट संसदीय क्षेत्र में संयुक्त किसान मोर्चा से संबद्ध संगठनों द्वारा सांसद प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपे गये। 

      सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि सभी सांसद किसानों की वास्तविक मांगों का समर्थन करें, जिसमें प्रस्तावित किसान विरोधी, राज्य सरकार विरोधी ‘कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति प्रारूप’ (एनपीएफएएम) को निरस्त करना और एनडीए2 सरकार द्वारा हस्ताक्षरित 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ किये लिखित वायदे के बारे में प्रधानमंत्री को याद दिलाएं और उनसे आग्रह करें कि वे कृषि, किसानों और खेत मजदूरों पर नीतियों और लगातार केंद्रीय बजटों में प्रस्तावों के माध्यम से किए गए हमलों को उलटने की आवश्यकता पर बल दें।

     1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में भी किसानों और खेत मजदूरों की बुनियादी मांग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। 

   केंद्र सरकार ने कृषि विपणन पर एक नया राष्ट्रीय कृषि नीति ढांचा का प्रारूप, एनपीएफएएम जारी किया है, इस मसौदे का उद्देश्य सभी कृषि गतिविधियों को निजी निगमों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में लाना है। राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति 3 कृषि कानूनों की पुनर्वापसी है।  जिन्हें  किसानों का ऐतिहासिक 13 महीने का आंदोलन के चलते रद्द किया गया था।

     यह सभी एपीएमसी मार्केट यार्ड को एक एकीकृत विपणन संरचना के तहत एकजुट करने का प्रस्ताव करता है, जिसमें उन्हें पीपीपी मोड के तहत पुनर्विकास किया जाना है और डिजिटल मोड के तहत जोड़ा जाना है। यह किसानों की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है। कॉरपोरेटीकरण और निजीकरण के लिए इस तरह के बड़े पैमाने पर प्रयास धीरे-धीरे सब्सिडी वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध कराने, सिंचाई और विपणन बुनियादी ढांचे के प्रावधान की किसान कल्याण योजनाओं को नष्ट कर देंगे। यह किसानों को और अधिक गरीब और कर्जदार बना देगा और उन्हें उनकी जमीन और आजादी दोनों से वंचित करेगा।

       सभी सांसदों से आग्रह किया गया कि वे इस जनविरोधी, कॉरपोरेट समर्थक नीति पर गौर करें और एक जनप्रतिनिधि के रूप में इसके खिलाफ अपनी मजबूत आवाज उठाएं।  केंद्र सरकार पर इस राष्ट्र विरोधी नीति को तुरंत वापस लेने के लिए दबाव डालें।

  इसी तरह किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज माफी की कोई व्यापक योजना नहीं है। पिछले दो वर्षों के दौरान, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने क्रमशः 2,09,144 करोड़ रुपये और 1,70,000 करोड़ रुपये की राशि के कॉरपोरेट्स के ऋण माफ किए हैं। पिछले दस वर्षों में एनडीए1 और एनडीए2 सरकारों ने 14.6 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट ऋण माफ किए हैं। हालाँकि, जब किसान आंदोलन इस गंभीर मुद्दे को उठा रहा है कि भारत में कर्ज के कारण रोजाना 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार चुप रहना पसंद करती है।

      दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एसकेएम के साथ हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए टैरिफ बढ़ोतरी, स्मार्ट मीटर आदि जैसे विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया है। एसकेएम ट्यूबवेल को मुफ्त बिजली और सभी ग्रामीण उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त 300 यूनिट की मांग कर रहा है। 

     फसल बीमा के लिए ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रमुख कार्यक्रम’ में 3621.73 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी पर 26000 करोड़ रुपये की कटौती की गई है।

     वर्तमान में मनरेगा के तहत दिए जाने वाले औसत कार्य दिवस 100 दिनों के वादे के मुकाबले मात्र 45 दिन हैं जिसे बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग की गई।

     मुलताई में जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मण बोरबन के नेतृत्व में बैतूल सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके के नाम  मंडल अध्यक्ष को,  छिंदवाड़ा में किसंस की प्रदेश अध्यक्ष एड आराधना भार्गव के नेतृत्व में सांसद बंटी विवेक साहू के निजी सहायक को, इंदौर में किसान संघर्ष समिति के मालवा निमाड़ क्षेत्र संयोजक रामस्वरूप मंत्री, भारतीय किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव, अ. भा. किसान सभा के प्रदेश सचिव अरूण चौहान, एआईकेकेएमएस के सोनू शर्मा, भारत सिंह चौहान, ऑल इंडिया किसान सभा के सीएल सहरावत, संकिमो के चंदनसिंह बडवाया, शैलेंद्र पटेल आदि के द्वारा सांसद शंकर लालवानी के निजी सहायक को, सिलवानी में किसंस के प्रदेश सचिव द्वारा होशंगाबाद सांसद एवं केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम नगर मंडल अध्यक्ष को, सिवनी में अभाकिसभा के डीडी वासनिक एवं किसान संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष रामकुमार सनोडिया के नेतृत्व में सांसद श्रीमती भारती पारधी के नाम भाजपा कार्यालय सचिव को, ग्वालियर में किसान सभा के अखिलेश यादव, भा कि यू के चौधरी ओमप्रकाश, कि सं स के प्रदेश सचिव शत्रुघन यादव, जिलाध्यक्ष रमेश परिहार, एड विश्वजीत रतौनिया, ओबीसी महासभा के धर्मेंद्र कुशवाहा, राजेश यादव डॉ राकेश खरे, यूसुफ खान, एड पूरण जाट, उपेंद्र, सविता, धीरज यादव, बबलू जाटव ने राज्य सभा सांसद अशोक सिंह के प्रतिनिधि को, कटनी में किसंस के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ एके खान के नेतृत्व में सांसद विष्णुदत्त शर्मा के नाम भाजपा कार्यालय में ज्ञापन दिया गया।

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