एसपी मित्तल अजमेर
अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) की दोषपूर्ण नीतियों की वजह से अजमेर डेयरी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। चौधरी ने फेडरेशन के पदाधिकारियों से आग्रह किया कि सरस घी और बल्क दूध के मूल्य बढ़ाने की छूट दी जाए। चौधरी ने बताया कि मौजूदा समय में सरस घी 410 रुपए प्रति लीटर के भाव से बेचा जा रहा है। जबकि खुले बाजार में कृष्णा, पारस, अमूल आदि निजी डेयरियों के घी का मूल्य 430 रुपए से लेकर 450 रुपए प्रति लीटर तक है। चौधरी ने सवाल उठाया कि जब निजी डेयरियों का घी महंगा है, तब सरस घी को सस्ता क्यों बेचा जा रहा है? चौधरी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा थोक विक्रेताओं को हो रहा है। थोक विक्रेता बड़ी मात्रा में इन दिनों सरस घी खरीद रहे हैं। चौधरी ने कहा कि आरसीडीएफ के पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सरस घी में 20 से लेकर 30 रुपए तक की वृद्धि करनी चाहिए। चौधरी ने बताया कि आरसीडीएफ ने राजस्थान से बाहर भेजे जाने वाले बल्क दूध का मूल्य 51 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर निर्धारित कर रखा है। मौजूदा समय में अजमेर डेयरी से प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध टैंकरों के जरिए बाहर भेजा जाता है। चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से अजमेर डेयरी को एक लीटर दूध के संकलन और संरक्षण पर 52 रुपए 50 पैसे खर्च करने होंगे। ऐसे में यदि अजमेर डेयरी 51 रुपए 50 पैसे मूल्य पर बल्क दूध की बिक्री करेगी तो उसे प्रतिदिन एक लाख रुपए का नुकसान होगा। चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से जिले के दुग्ध उत्पादकों को औसतन 49.50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा। इसके बाद सहकारी समिति का कमीशन समिति से डेयरी प्लांट तक परिवहन प्रोसेसिंग आदि कार्यों पर 3 रुपए 10 पैसे प्रति लीटर खर्च होंगे। यानी डेयरी को एक लीटर दूध पर 52 रुपए 50 पैसे खर्च करने होंगे। चौधरी ने कहा कि आरसीडीएफ के पदाधिकारियों को बल्क दूध के मूल्यों में दो रुपए तक की वृद्धि करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अजमेर डेयरी बल्क दूध की बिक्री बंद कर देगी।
सबसे ज्यादा मूल्य:
चौधरी ने बताया कि एक अप्रैल से देशभर में अजमेर जिले के दुग्ध उत्पादकों को दूध का भाव सबसे ज्यादा मिलेगा। सरकार ने पांच रुपए प्रति लीटर अनुदान की जो घोषणा की है उसके बाद जिले के दुग्ध उत्पादकों को औसतन 49 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर का मूल्य मिलेगा। यह देश में सर्वाधिक होगा। चौधरी ने कहा कि मौजूदा समय में अजमेर डेयरी प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध का संकलन कर रही है। लेकिन एक अप्रैल के बाद पांच लाख लीटर दूध का संकलन प्रतिदिन हो जाएगा। चौधरी ने जिले भर के दुग्ध उत्पादकों से आग्रह किया कि वे अपने पशुओं का दूध अजमेर डेयरी से जुड़े संकलन केंद्रों पर ही जमा करवाए। उन्होंने कहा कि डेयरी के सभी संकलन केंद्र कम्प्यूटराइज्ड हैं और कोल्ड चैन स्टोरेज से जुड़े हुए हैं। दूध में फैट की मात्रा भी कम्प्यूटर तकनीक से मापी जाती है। कोई भी पशु पालक इस प्रक्रिया को अपनी आंखों से देख सकता है। यहां तक कि दूध में फैट की स्थिति और दूध की मात्रा की पर्ची पर कम्प्यूटर से निकलती है। यानी दूध संकलन का पूरा सिस्टम पारदर्शी है, जबकि निजी डेयरियों के पास ऐसे पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि अजमेर डेयरी सहकारिता क्षेत्र की संस्था है। यदि डेयरी में मुनाफा होता है तो बोनस के तौर पर दुग्ध उत्पादकों को ही भुगतान किया जाता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिलीटर पांच रुपए के अनुदान की जो घोषणा की है, उसका लाभ सभी दुग्ध उत्पादकों को उठाना चाहिए। जो पशुपालक दूध डेयरी के माध्यम से जमा करवाते हैं उन्हें सरकार की अनेक कल्याणकारी योजना का लाभ मिलता है। चौधरी ने कहा कि एक ओर जहां दुग्ध उत्पादकों को 7 रुपए 50 पैसे प्रति फैट के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, वहीं उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए दूध का बिक्री मूल्य नहीं बढ़ाया जा रहा है। आरसीडीएफ से जुड़े अन्य मामलों की जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है।