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रीवा में भगवान कृष्ण के चमत्कारिक मंदिर,मुरली वाले की लीला ने सबको किया हैरान

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रीवा में भगवान कृष्ण के चमत्कारिक मंदिर है, जो करीब 250 साल पुराना है. यहां भगवान कृष्ण ने तराजू के माध्यम से भजन के महत्व को समझाया है. जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तों का यहां दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रहती है. इस मंदिर में राम और जानकी सहित कई मूर्तियां विराजमान है.

रीवा: भगवान कृष्ण के जन्म दिवस पर उनके मंदिरों को सजाकर धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल 26 अगस्त दिन सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. ऐसे में आपको रीवा की एक चमत्कारिक मंदिर की कहानी बताएंगें, जहां कृष्ण की अद्भुत और चमत्कारिक घटना को देख लोग आश्चर्य में पड़ गए थे. बताया जा रहा है कि यहां तराजू के माध्यम से कृष्ण ने भजन के महत्व को समझाया है.

250 वर्ष पुराना मंदिर है मुकातिक कृष्ण मंदिर

रीवा में स्थित चमत्कारिक मुकातिक कृष्ण मंदिर करीब 250 साल पुराना है. यहां कई सालों पूर्व मंदिर में एक चमत्कारिक घटना हुई थी. किवदंती है कि भजन के लिए अयोध्या से यहां आए आचार्य और मंदिर के पुजारी के सामने किसी ने हास्य करते हुए यह कह दिया कि संगीत और भजन में अब वह महत्व नहीं रहा. पहले के जमाने में संगीत गाते ही मेघ बरसने लगते थे, बुझे दीप जल उठते थे. इतना सुन कर अगले ही दिन आचार्य ने एक पास के सुनार को बुलाया और तराजू में एक तोला सोने का सिक्का चढ़ाया. दूसरे ओर तराजू को खाली रखा. इसके बाद आचार्य और अन्य पुजारियों ने कृष्ण भजन गाना शुरू किया. भजन के दौरान 3 बार तराजू बराबर हो गया. जिसके बाद हास्य करने वाले व्यक्ति को संगीत और भजन के महत्व के बारे में पता चला.

मुकातिक ब्राह्मण ने कराया मंदिर निर्माण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ‘सैकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण मुकातिक नाम के एक ब्राह्मण ने करवाया था. तब से इस मंदिर को मुकातिक का मंदिर कहा जाने लगा. पहले तो इस मंदिर का संचालन रीवा के व्यापारियों के द्वारा किया जाता था, लेकिन वर्तमान में इस मंदिर का संचालन लक्ष्मण बाग संस्थान की ओर से किया जा रहा है. शहर में लक्ष्मण बाग संस्थान की कुल 14 मंदिर है. जिसमें से एक मुकातिक कृष्ण की मंदिर है. उन्होंने कहा कि यह कृष्ण मंदिर लगभग 250 साल पुराना है.

राम, जानकी सहित कई मूर्तियां है विराजमान

इस मंदिर में बलदेव और सुभद्रा जी की प्रतिमा के साथ ही राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित है. इसके अलावा भगवान राम, जानकी और भगवान लक्ष्मण की मूर्तियां भी विराजमान है. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में विशेष प्रकार का आयोजन किया जाता है. सुंदर झांकी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें दूर दराज से आकर श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं.

तराजू से तौलकर बताया संगीत और भजन का महत्व

अयोध्या से आए भजन गायक आचार्य ने संगीत और भजन का महत्व बताने के लिए सराफा बाजार से एक सुनार को बुलाया. दूसरे ही दिन सुखदेव प्रसाद सराफ नाम के एक सुनार मुकातिक मंदिर पहुंचा. इसके बाद एक तराजू मंगवाया गया. तराजू में एक तरफ एक सोने से बना एक तोले का सिक्का रखा गया, जबकि दूसरे हिस्से को खाली रखा गया, इसके बाद आचार्य सहित अन्य लोगों ने कृष्ण भजन को गाना शुरू किया. भजन के बीच अचानक तराजू का बराबर हो गया. यह घटना लगातार 3 बार घटित हुई. इस दौरान तराजू की ओर देखकर भजन शक्ति का हास्य करने वाले व्यक्ति और मंदिर में मौजूद अन्य लोग अचंभित रह गए.

चमत्कारिक घटना को माना श्री कृष्ण की लीला

इस घटना के बाद लोगों को समझ में आया कि कृष्ण भजन में कितनी शक्ति है. जिस प्रकार से संगीत गाने से मेघ बरसने लगते थे और दीप जल उठते थे उसी प्रकार से तराजू के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया की संगीत और भजन का कितना महत्व है. मंदिर में हुई चमत्कारिक घटना को देखकर वहां, उपस्थित लोगों ने माना कि यह तो मुरली वाले की लीला थी. जिन्होंने हमें संगीत और भजन के महत्व को एक तराजू के माध्यम से बताया है.

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