~ पुष्पा गुप्ता
दिल्ली की हौज खास पुलिस को तत्काल वहां स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के पंडों पर कार्यवाही करनी चाहिए। अपराध है ईशनिन्द, राष्ट्रद्रोह, समता के संवैधानिक हक की अवमानना, जनजाति सम्मान का तिरस्कार करना, सामाजिक समरसता और सामंजस्य को हानि पहुंचाना, आमजन को विद्रोह हेतु भउकाना, अशोक चक्र का निरादर करना।
इतनी हिमाकत इन स्वसंचालित ठेकेदारों की ? वे तय करेंगे कि कौन भक्त मंदिर में प्रवेश करेगा ? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बैरिकेडिंग के पीछे खड़े होकर आराधना करनी पड़ी। वह दिन (20 जून 2023) मुर्मू का जन्म दिवस भी था।
पूजा और आशीर्वाद हेतु पूजास्थल (हाउज खास) वे गईं थीं। उनको भगवान की मूर्तियों का चरण स्पर्श नहीं करने दिया गया। गर्भगृह से दूर ही खड़ी रहीं।
यहां प्रसंग है वह नहीं है कि भारत के प्रथम नागरिक किस लिंग का हो, किस मत का अवलंबी हो, आस्तिक हो, भिन्न धर्म का हो। बताते हैं कि यहां मुख्य अतिथि पुरुष ही होता है। यहां सामाजिक अधिकार का मसला है।
राष्ट्रपति के अलावा द्रौपदी मुर्मू ब्रह्मकुमारी संप्रदाय मे सक्रिय हैं। ये लोग परमपिता ब्रह्मा के आस्थावान जन हैं। विश्व शांति तथा मानवीय समानता के प्रतिपादक हैं।
इस संदर्भ में लोकसभा में सोनिया-कांग्रेस के नेता और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष स्वनामधन्य अधीर रंजन चौधरी की उक्ति याद आती है। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को “राष्ट्रपत्नी” कह दिया था। इसके गंदे अर्थ होते हैं। हरजाई।
आश्चर्य कि कांग्रेस की महिला नेता ने इस बेहूदगी तथा बदतमीजी पर माफी मांगना तो दूर, खेद तक कभी व्यक्त नहीं किया था।
इस पूरे कांड पर सफाई मे मंदिर के पुजारी सनातन पाधी ने जो कहा वह बात बड़ी टेढ़ी लगती है। वे बोले : “लोगों को सोचना चाहिए कि मंदिर में पूजा करने का भी प्रोटोकॉल होता है। मंदिर में सभी हिंदू जा सकते हैं चाहे वो किसी भी जाति के क्यों न हों।
पुजारी मंदिर के गर्भगृह में वही पूजा कर सकते हैं जिसको हम महाराज के रूप में आमंत्रित करते हैं। राष्ट्रपति व्यक्तिगत तौर पर जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने आईं थीं। तो वो कैसे अंदर आ सकती हैं” ?
ऐसी एक घटना पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविद के साथ भी 2018 में पुरी के पुरातन मंदिर में हो चुकी है।