दमोह में स्थित मिशन अस्पताल में हुईं 7 मौतों के मामले में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आई नई जानकारी से पता चला है कि अस्पताल में मुनाफे के लिए मौत का खेल खेला गया है। बिना स्टेट एमसीआई में पंजीयन कराए ही एजेंसी के माध्यम से उत्तराखंड के काडियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र यादव को रख लिया गया। उसका पंजीयन स्टेट एमसीआई में नहीं है। एक जनवरी से लेकर 12 फरवरी तक डॉक्टर ने 8 केस ऑपरेट किए, इसमें से 7 हार्ट के मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके बाद डॉ. अजय लाल द्वारा संचालित मिशन अस्पताल प्रबंधन की मुसीबत बढ़ना तय है।मिशन अस्पताल प्रबंधन की मुसीबत बढ़ सकती है। संचालक डॉ. अजय लाल पहले से ही धर्मांतरण के केस में जमानत पर हैं। पत्रिका का खुलासा- बिना स्टेट एमसीआई पंजीयन के अस्पताल ने काडियोलॉजिस्ट रखा हुआ था।

इंडियन मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की गाइडलाइन कहती है कि, दूसरे राज्य से मध्य प्रदेश में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स को प्रैक्टिस की अनुमति तभी है, जबतक की उनका पंजीयन मध्य प्रदेश स्टेट एमसीआई में न हो जाए। यहां मुनाफा कमाने की चक्कर में प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखा और लंदन के कार्डियोलोजिस्ट एनजोन केन के नाम से मिलता जुलता है, जिसे सीधे नौकरी पर रख लिया।
अब सामने आया प्रबंधन
मिशन अस्पताल की पीआरओ पुष्पा खरे से जब पत्रिका ने सवाल किया तो उन्होंने बताया कि, कार्डियोलॉजिस्ट से स्टेट एमसीआई में पंजीयन कराने के लिए कहा था। उन्होंने प्रक्रिया फॉलो करने की बात कही थी। कुछ दिन बाद जब पंजीयन नहीं कराया तो उन्हें नोटिस दिया था, लेकिन उन्होंने पंजीयन नहीं कराया और 12 फरवरी को बिना सूचना दिए गायब हो गए। पुष्पा खरे का कहना था कि, कार्डियोलॉजिस्ट खोजने से भी नहीं मिल रहे हैं। इसी वजह से पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होने तक नहीं रुक पाए।
भाजपा नेता की महंगी होटल में डाला था डेरा
1 जनवरी 2025 को कार्डियोलॉजिस्ट एनजोन केन ने मिशन अस्पताल में ज्वाइंनिग की थी। तभी से वह भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश महामंत्री संजय राय की होटल में ठहरा हुआ था। करीब एक महीने तक सागर नाका क्षेत्र में संचालित उत्सव बिलास होटल में डेरा जमाए हुए था।
लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट ने किया ट्वीट
सात ह्दय रोगियों की मौत का मामला विश्व पटल पर चर्चा का विषय बन चुका है। इसकी जानकारी लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट को भी मालूम चली है, जिन्होंने इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एनजोन केन को फर्जी बताया है।
ये हैं लापरवाही के पांच जिम्मेदार
-डॉ. अजय लाल: ये मिशन अस्पताल का संचालक है। इसपर भी धर्मांतरण के 3 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। फिलहाल, कोर्ट से इन्हें जमानत मिली हुई है।
-संजीव लैम्बर्ट: कार्डियोलॉजिस्ट एनजोन केन की नियुक्ति के समय मिशन अस्पताल समिति प्रबंधक था।
-विजय लैम्बर्ट: ये भी प्रबंधक के रूप में काम कर रहा थे, बताया जाता है कि, डॉक्टर के फरार होने के साथ ये भी दमोह से फरार है।
-दिलीप खरे: आयुष्मान का नोडल अधिकारी है। एक मरीज मृतक से 50 हजार रुपए जांच के नाम पर मांगे गए थे। जबकि, मरीज के पास आयुष्मान कार्ड था।
-पुष्पा खरे: ये अस्पताल की पीआरओ है जो मामले पर पर्दा डालने का प्रयास करती दिखी। दिल्ली से टीम आने के एक दिन पहले इन्होंने अपना पक्ष रखा।
क्या कहते हैं एक्सर्पट?
मामले में पूर्व डीएमई डॉ. जीएस पटेल का कहना है कि, दूसरे राज्य के डॉक्टर्स और नर्स को मध्य प्रदेश में प्रैक्टिस करने के लिए अपना पंजीयन स्टेट एमसीआई में कराना होता है। इसके बिना प्रैक्टिस अवैध मानी जाती है। संस्था भी बिना पंजीयन के इन्हें नौकरी पर नहीं रख सकता है।
जांच के लिए आई टीम
राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम सोमवार सुबह दिल्ली से रवाना हुई, जो सुबह 9 बजे जबलपुर पहुंच गई है। वहीं, टीम का दोपहर 12 बजे तक दमोह पहुंचने का अनुमान है। दो स्थान जांच के लिए तय किए गए हैं। कलेक्ट्रेट या फिर सर्किट हाउस में जांच होगी। बाल कल्याण समिति और सीएमएचओ को पत्र जारी कर दिए गए हैं। दोनों साक्ष्यों व दस्तावेजों के साथ टीम के समक्ष उपस्थित होंगे।
मुनाफे के बिंदू
-ऐसे डॉक्टर के द्वारा किए गए ऑपरेशन और जांच का कोई हिसाब किताब नहीं होता।
-मरीजों की भर्ती कराने में क्या मर्ज है उसमें भी लापरवाही होती है, ऐसे में कई बार मरीज मरीज के परिजनों से मोटी फीस वसूलते हैं। इलाज बताते हैं कोई और।
-आयुष्मान कार्ड का फायदा उठाते हैं, दवाओं और पैथोलॉजी की जांच में कमीशन।
-बेड और ड्यूटी चार्ज की करते हैं वसूली।
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