-सुसंस्कृति परिहार
भाजपा की प्रचंड जीत के बाद अब ये मसला मुंह बाए खड़ा है कि इन तीन प्रदेशों में मुख्यमंत्री कौन तय करेगा। भारतीय संविधान के मुताबिक तो बहुमत प्राप्त विधायक दल के लोग अपना मुख्यमंत्री चुनते हैं लेकिन यह परम्परा कांग्रेस राज से लगभग टूट चुकी थी और विधायक दल की बैठकें दिखावा बनकर रह गई थीं इसी परम्परा को विस्तार भाजपा ने दिया वे चुने हुए प्रतिनिधियों के अलावा बाहर से मुख्यमंत्री लाने लगे हरियाणा में कट्टर और उत्तर प्रदेश में योगी इस बात की सत्यता उजागर करते हैं।
पहले जीत, राज्य के मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष के नाम जाती थी। लेकिन इस बार मोदी शाह ने जिस तरह राज्यों के पूर्व और पदासीन मुख्यमंत्री की उपेक्षा की एवं मोदी ने अपने चेहरे और कमल के फूल को सामने रखकर प्रचार किया और जीत हासिल की तो किसी की हिमाकत नहीं कि दिल्ली से चयनित मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकें।यह मोदी की बड़ी भविष्य की राजनीति का हिस्सा है। खासतौर पर मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को आगे बढ़ने और पी एम की दौड़ में पीछे करने का।
इसीलिए सोची समझी रणनीति के तहत अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया।यह दिखाने की चेष्टा भी हुई कि सांसद का प्रभाव क्षेत्र बड़ा होता है उसकी बदौलत बड़ी जीत हुई है।यानि शिवराज सिंह को नकारने की पूरी कोशिश की गई।यही वजह कि शिवराज ने बहुमत आने के तत्काल बाद ‘मध्यप्रदेश के मन में मोदी ‘कहकर अपने सम्बन्ध सुधारने की कोशिश की। यह कहना मुश्किल लगता है कि शिवराज सिंह मुख्यमंत्री होंगे। मुख्यमंत्री होगा कोई ऐसा सामान्य संघी जो मोदी के तमाम इशारों पर काम करे।
राजस्थान में रिवाज नहीं बदल पाया किंतु पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा भी मुश्किल में फंसीं हुई हैं । दिया कुमारी का नाम भी चल रहा है किंतु उससे ज्यादा मुहर बाबा बालक दास जो गोरखपंथी हैं और योगी आदित्यनाथ के शागिर्द हैं पर लग सकती है। उन्हें दिल्ली बुलाया भी गया है।ये संघ का मोहरा है इसे मोदी कुबूल कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की नाजुक स्थिति को मजबूत करने पूर्व मुख्यमंत्री रमनसिंह भाजपा ने कोई तत्परता नहीं दिखाई।अन्य पूर्व मंत्री भी लगभग निष्क्रिय रहे। मोदी शाह के प्रयासों से भाजपा ने जीत हासिल की है तो मुख्यमंत्री स्वाभाविक तौर पर मोदी की जिस पर कृपा होगी वहीं बनेगा कोई आदिवासी बस्तर का ले आएं तो आश्चर्य नहीं।
यह बात तय है मोदी शाह को चुस्त-दुरुस्त एवं चतुर मुख्यमंत्री की दरकार नहीं वही मुख्यमंत्री बनेगा जो मोदी में विष्णु देखें और उनकी समस्त आज्ञाओं का अक्षरशः पालन करें। अस्पष्ट तौर पर यह कहा जा सकता है कि राज्यों की स्वायत्तता ख़त्म होने जा रही है ये राज्य मोदी के अधीन होंगे।बाबा बैरागी ज्यादा उचित रहेंगे? आखिरकार 2024में इन प्रदेशों को अपनी इच्छानुसार चलवाना भी है। शिवराज की लाड़ली बहना ने भले जिताया हो पर मोदी के दिल में शिवराज की इस योजना की आग धधक रही है।वे किसी को यश का भागी नहीं बनने दे सकते इसलिए केन्द्र में सभी मंत्री उपेक्षित रहते हैं।अब इन राज्यों के छोटे बड़े सब कार्यों के उद्घाटन, शिलान्यास, समारोह में मोदीमय होंगे।