आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के गणपति घाट पर सोमवार को हुए हादसे में तीन लोगों की जान चली गई और छह वाहन जल गए। इस घाट पर हादसे होना आम बात है। यह घाट प्रदेश का सबसे बड़ा ब्लैक स्पाॅट है। दस सालों में अब तक 200 से ज्यादा लोग हादसे में अपनी जान इस घाट पर गंवा चुके है।गणपति घाट पर उन वाहनों के ब्रेक फेल होते है। जिसमें फर्शियां, पत्थर या इस तरह का सामान रखा रहता है जिसका लोड ढलान की वजह से वाहन के केबिन की तरफ आने लगता है। इस दौरान वाहनों के ब्रेक फेल हो जाते है और फिर वे दूसरे वाहनों को चपेट में ले लेते है।
इसके बाद एनएचएआई ने हादसे रोकने के लिए नए बायपास का निर्माण शुरू किया है, लेकिन उसके पूर्ण होने से पहले फिर एक हादसा हो गया।निर्माण के समय से ही इस घाट पर खामी है, जिसे अफसरों ने दूर नहीं किया। घाट के तेज ढलान के कारण वाहनों का ब्रेक फेल हो जाता है और वे दूसरों से टकरा जाते है। घर्षण के कारण वाहनों में आग लग जाती है।
जीरो से 70 तक हो जाती है स्पीड
पंद्रह साल पहले इंदौर से खलघाट तक फोरलेन का निर्माण किया गया था। गणपति घाट के पहाड़ों को काट कर बीच से चार किलोमीटर के हिस्से में रास्ता तैयार किया गया, लेकिन तब ढलान पर ध्यान नहीं दिया गया। खड़े ढलान की वजह से हादसे होन लगे और हादसों में मौत का आंकड़ा 200 से ज्यादा हो गया।
वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा 35 लोगों की जान इस घाट पर गई। ढलान का आलम यह है कि यदि जीरो स्पीड में वाहन चले और ब्रेक न लगाए जाए तो ढाई किलोमीटर के बाद वाहन की स्पीड 70 तक पहुंच जाती है।
आमतौर पर घाट पर उन वाहनों के ब्रेक फेल होते है। जिसमें फर्शियां, पत्थर या इस तरह का सामान रखा रहता है जिसका लोड ढलान की वजह से वाहन के केबिन की तरफ आने लगता है। इस दौरान वाहनों के ब्रेक फेल हो जाते है और फिर वे दूसरे वाहनों को चपेट में ले लेते है।
लगातार हादसे होने के कारण सात साल पहले एनएचएआई अफसरों ने एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें नए बायपास के निर्माण की जरुरत बताई गई।
अगले साल तैयार तक तैयार होगा बायपास
हादसे रोकने के लिए गणपति घाट के समीप नया बायपास तैयार हो रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 150 करोड़ रुपये खर्च हो रहे है। यह बायपास ढाल-पलासमेल से नीमगढ़ तक 9 किमोमीटर लंबाई में तैयार हो रहा है। 20 प्रतिशत काम पूरा भी हो चुका है। इस बायपास की चौड़ाई 30 मीटर रखी गई है।