पेशवाई के दौरान नागा संन्यासी कुछ इस तरह स्टंट करते आए नजर
लाठियां भांजी, फरसा लहराए और त्रिशूल लेकर चल रहे
प्रयागराज। महाकुंभ मेला के लिए सभी अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों का प्रवेश अब मेला क्षेत्र में होने लगा है। बुधवार 1 जनवरी को चौथे अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) हुई। श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई में सबसे आगे देवता के रूप में भगवान गणेश और धर्म ध्वजा निकाली गई।
इसके पीछे महामंडलेश्वर रथ और बग्घी पर सवार होकर निकले। इसके पीछे भस्म-भभूत लपेटे संतों ने लाठियां भांजी, फरसा लहराए और त्रिशूल लेकर चल रहे थे। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मा सरस्वती महाराज की अगुवाई में 500 से ज्यादा साधु-संत और 100 से ज्यादा नागा संत महाकुंभ में बने अपने शिविर में प्रवेश कर गए। 5 किमी की यह यात्रा करीब 2 घंटे में पूरी हुई। अखाड़े के श्रीमहंत बलराम भारती ने बताया कि पेशवाई बख्शी बाध पुलिस चौकी के पास स्थित अखाड़े से निकाली गई। निराला मार्ग से होकर महानिर्वाणी अखाड़ा, बेणी बांधव मंदिर, दारागंज अड्डा, गंगा भवन, निरंजनी अखाड़ा होते महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचेगी। त्रिवेणी मार्ग से सेक्टर 20 में अखाड़े के शिविर में प्रवेश करने वाले है। यह यात्रा करीब 5 किलोमीटर की है।
महाकुंभ 2025 को लेकर देश के सबसे बड़े अखाड़े जूना अखाड़े की पेशवाई में साधु संत स्टंट करते हुए नजर आए. इन संतो ने नागा संन्यासियों ने अपने ज्ञान के साथ अस्त्र-शस्त्र का भी परिचय देकर लोगों का मन मोह लिया. पेशवाई में शामिल 10000 संन्यासियों ने अपनी अद्भुत छटा से तेज से लोगों को बहुत प्रभावित किया.
इस दौरान साधु संत अपनी युद्ध कला और अखाड़े बाजी का अद्भुत प्रदर्शन भी किया तो वहीं नागा संन्यासी लाठी भेजते हुए तलवार चलाते हुए बरसी बजाते हुए हर हर महादेव के नारे के साथ पेशवाई में शामिल हुए.
यह नागा संन्यासी जूना अखाड़े के थे. जो दुनिया का सबसे बड़ा अखाड़ा है. जिसमें लगभग 15 लाख सन्यासी शामिल है. जो श्री पंचदस नाम जूना अखाड़े की छावनी प्रवेश के दौरान अपने युद्ध कला को साबित कर लोगों को दिखा दिया है. ऐसे ही नहीं उन्होंने मुगलों से और अंग्रेजों से सनातन धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़ा है.
भाला ,बरछी, तलवार ,लाठी ,कटार, गदा और दंड धारण किये नागा सन्यासियों ने यह दिखा दिया. जब भी सनातन धर्म पर आज आएगी तो वह किस प्रकार से उनका मुकाबला करेंगे. जूना अखड़े के छोटे-छोटे शिविरों में अस्त्र शस्त्र का अभ्यास होता रहा है.
जुना अखाड़े के पेशवाई के दौरान यह नागा संन्यासी स्टंट करते हुए नजर आए .लगभग 3 किलोमीटर की पेशवाई में रास्ते भर कभी तलवार को ऊपर फेंक कर पकड़ना, भला भजना, ट्रैक्टर की बोनट पर खड़े होकर लाठी भाजना, ऐसी करते हुए नजर आए.
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