शुरू में जब बी आर चोपड़ा ने डॉo राही मासूम रज़ा को फ़िल्म “महाभारत” टी०वी० सीरियल की पटकथा ( STORY SCRIPT ) लिखने को कहा तो उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया. लेकिन बात किसी तरह समाचार पत्रों में छप गई.
“जब बी आर चोपड़ा ने घोषणा की कि राही मासूम रज़ा महाभारत के संवाद लिखेंगे, तो उनके पास पत्रों की झड़ी लग गई, जिनका लब्बोलबाब था कि सारे हिंदू मर गए हैं जो आप एक मुसलमान से महाभारत लिखवा रहे हैं. चोपड़ा साहब ने सभी पत्र राही के पास भेज दिए. राही की ये कमज़ोर नस थी.
“वो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के बहुत बड़े अध्येता थे. अगले दिन उन्होंने चोपड़ा साहब को फ़ोन किया, ‘चोपड़ा साहब महाभारत अब मैं ही लिखूंगा. मैं गंगा का बेटा हूँ. मुझसे ज़्यादा हिंदुस्तान की संस्कृति और सभ्यता को कौन जानता है।
राही मासूम रज़ा ने जब टी०वी० सीरियल “महाभारत” की पटकथा लिखी तो ऐसी लिखी की जब जब सीरीयल आता तो सड़कों पर कर्फ्यू सा सन्नाटा हो जाता , पूरा देश एक साथ टीवी से जैसे चिपक जाता कि महाभारत आ रही है .. लोग इंतज़ार करते कि कल महाभारत का अगला एपिसोड आयेगा …
डॉ० राही मासूम रज़ा के घर में ख़तों के अंबार लग गए। लोगों ने की ख़ूब तारीफें की एवं उन्हें ख़ूब दुआएँ दी।ख़तों के कई गट्ठर बन गए , लेक़िन एक बहुत छोटा सा गट्ठर उनकी मेज़ के किनारे सब ख़तों से अलग पड़ा था।
उनकी मेज़ के किनारे अलग से पड़ी हुई ख़तों की सबसे छोटी गट्ठर के बारे में वज़ह पूछने पर राही मासूम रज़ा साहब ने ज़वाब दिया कि — ये वह ख़त हैं जिनमें मुझे गालियाँ लिखी गयी हैं।
कुछ हिंदू इस बात से नाराज़ हैं कि तूम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुसलमान होकर “महाभारत” की पटकथा लिखने की ?
कुछ मुसलमान नाराज़ हैं कि तुमने हिंदुओं की क़िताब को क्यूँ लिखा ?
राही साहब ने कहा :– ख़तों की यही सबसे छोटी गट्ठर दरअसल मुझे हौसला देती है कि मुल्क में बुरे लोग कितने कम हैं”।
याद रखने की बात ये है कि :-
आज़ भी नफ़रत फ़ैलाने वालों की “छोटी गट्ठर” हमारे प्यार -मोहब्बत के “बड़े गट्ठर” से बहुत छोटी है।