अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अपने समाज के कल्याण की अवश्य सोचें : आचार्य विमर्शसागर

Share

प्रत्येक व्यक्ति को अपने समाज के उद्धार और कल्याण के विषय में अवश्य सोचना चाहिए। सभी के हमेशा अच्छे दिन नहीं होते। जिस पर जब परेशानी आती है तब वह अपनी समाज से सहयोग की अपेक्षा करता है। आज आपके जीवन में अनुकूलता है, अच्छे दिन चल रहे हैं, कभी अशुभ के कारण विपत्तियां भी आ जाती हैं, तब हमें भी हमारी समाज सहयोग करे ऐसी अकांक्षा होती है। अतः सबको अपनी अपनी समाज के सहयोग के विषय में सोच कर ‘समाज कल्याण समिति’ जैसी कोई संस्था बनाकर कुछ फण्ड बनाना चाहिए, जो अपत्तिकाल में आपके समाजजनों के सहयोग में काम आये।
भावलिंगी संत आचार्यश्री विमर्शसागर मुनिराज ने ये विचार स्वर्णिम विमर्श उत्सव महासमारोह के एक भव्य कार्यक्रम में सम्मिलित हुए विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए बुधवार को उत्तर प्रदेश के एटा में व्यक्त किये। आपने कहा कि आज जैन समाज को भी सच्चे पोषण की आवश्यकता है। हमें एकसाथ बैठकर सोचना चाहिए कि हमारे समाज का कल्याण कैसे हो। हमें अपने तीर्थों-अचेतन की रक्षा करना है और चेतन की भी रक्षा करना है।
आचार्यवर ने सभी से मैत्री भाव बनाये रखने के लिए एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ऊपर उठवाते हुए संकल्प दिलवाया कि वे ‘‘कभी पंथों के नाम पर नहीं बंटेंगे, कभी संतों के नाम पर नहीं बंटेंगे, ग्रंथों के नाम पर नहीं बंटेंगे, केवल उनके गुरु आयेंगे उन्हें ही आहार नहीं देंगे बल्कि कोई भी गुरु आयोंगे उन्हें आहार देंगे, उनकी सेवा करेंगे।’’

राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी
दिनांक 14 नवम्बर को ‘स्वर्णिम विमर्श उत्सव’ के अवसर पर राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न हुई। प्रो. नलिन के शास्त्री बोध्रया ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे, डॉ. श्रेयांस कुमार जैन ने अध्यक्षीय वक्तव्य में विशेष रूप से आचार्यश्री द्वारा योगसागर प्राभृत पर की गई प्राकृत भाषा में अप्पोदया टीका पर प्रकाश डालते हुए इसकी विशेषताओं को प्रस्तुत किया। डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने संयोजकीय वक्तव्य में आचार्यश्री विमर्शसागर जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डॉ. अल्पना जैन, डॉ. कमलेश वसंत, पं. उदय जैन शास्त्री ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया।
इस गोष्ठी में देश के मूर्धन्य विद्वानों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें डॉ. श्रेयांस कुमार जैन-बड़ौत, प्रो. नलिन के शास्त्री-बोधगया, डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’-इन्दौर, डॉ. जयकुमार जैन -मुजफ्फरनगर, प्रो. फूलचंद्र जैन ‘प्रेमी’-वाराणसी, प्रो. वृषभप्रसाद जैन-लखनऊ, डॉ. वीरसागर जैन-दिल्ली, डॉ. जयकुमार उपाध्येय-श्रवणबेलगोला, ब्र. विशु दीदी संघस्थ, डॉ. अल्पना जैन-ग्वालियर, ब्र. नेहा दीदी, ब्र. ज्योति दीदी, ब्र. महिमा दीदी, ब्र. सोनाली दीदी, ब्र. सृष्टि दीदी, ब्र. दीपा दीदी, ब्र. रिया दीदी, ब्र. गुंजन दीदी, ब्र. प्रतीक्षा दीदी ंघस्थ, पं. संकेत जैन-देवेन्द्र नगर, पं. महेन्द्र जैन-सिंहोनिया, पं. उदय जैन-कोटा, पं. कमलेश वसंत-तिजारा, पं. अक्षय-ग्वालियर, डॉ. पुष्पराज-ग्वालियर, डॉ. सुशील-कुरावली, पं. सुगनचंन्द्र जैन- मैनपुरी, पं. अंकित शास्त्री-मुरैना प्रमुख हैं।
उपरांत पिच्छिका परिर्तन में आचार्यश्री सहित संघस्थ सभी 26 पिच्छीधारी साधुओं का पिच्छि परिवर्तन समारोह हुआ। रात्रि में विमर्श नाट्य संस्था जबलपुर द्वारा ‘राष्ट्रयोगी’ का नाट्यमंचन व चरण सिंह सोंधी, मुंबई द्वारा भक्ति संध्या संपन्न हुई। विविध कार्यक्रम 

आचार्यश्री विमर्शसागर स्वर्ण जयन्ती महोत्सव ‘स्वर्णिम विमर्श उत्सव’ के अवसर पर विविध कार्यक्रम आयेाजित किये गये।
दिनांक 15 नवम्बर को 50 सौभग्यशाली परिवारों द्वारा आचार्यश्री का रजत कलशों से पाद प्रक्षालन, 50 सौभग्यशाली परिवारों द्वारा रजत द्रव्य से गुरुपूजन और 50 सौभग्यशाली परिवारों द्वारा जिनागम भेंट किया गया। इसी बीच आचार्य श्री विमर्शसागर जी द्वारा योगसागर प्राभृत पर की गई प्राकृत भाषा में अप्पोदया टीका का विमोचन बड़े भव्य तरीके से किया गया। डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ द्वारा सिरि भूवलय पर लिखित 718 भाषासमन्वित ‘अभिवनव भूवलय’ ग्रन्थ का विमोचन कर आचार्यश्री को समर्पित किया गया। पं. उदयचंन्द्र जैन  कोटा द्वारा लिखित 50 तरह की प्रतियोगिता वाले ‘ज्ञान संवर्धन प्रतियोगिता’ पुस्तक का विमोचन किया गया। विद्वानों का सम्मान सम्पन्न हुआ।
सकल दिगम्बर जैन समाज, एटा के द्वारा आचार्य विमर्शसागर जी को प्रशस्तिपत्र पूर्वक ‘सौम्यमूर्ति’ की उपाधि प्रदान की गई। ब्रह्मचारिणी विशु दीदी को सम्मानपत्र प्रदान किया गया। भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी स्वर्ण जयन्ति एवं रजत संयमोत्सव पर विशेष डाक लिफाफे का लोकार्पण, भावलिंगी संत गौरव स्तंभ का और जिनागम पंथ ग्रंथालय का लोकार्पण किया गया। संध्याकालीन महा आरती के उपरांत रात्रि में विख्यात भजन गायक रूपेश जैन द्वारा भजन संध्या का प्रतुतिकरण हुआ। समस्त कार्यक्रम संघस्थ प्रबुद्ध मुनि श्री विचिन्त्यसागर जी के निर्देशन और आर्यिका श्री विज्ञाश्री माताजी की प्रेरणा और ब्रह्मचारिणी विशु दीदी की संयोजना से सम्पन्न हुए। समस्त कार्यक्रमों की आयोजन श्री दिगम्बर जैन पद्मावती पुरवाल पंचायत एटा के अन्तर्गत श्री भावलिंगी संत स्वर्णिम विमर्श उत्सव समिति, एटा (उ.प्र.) द्वारा स्थानीय श्री वर्णी जैन इंटर कालेज में आयेाजित किये गये।

-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’,
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें