अग्नि आलोक
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मेरा जमाना

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मुझे वो पगडंडियों
अब दिखती नहीं
जिन पर मैं चला करता था।

मुझे वो आम के बाग
अब नहीं मिलते
जिन्हें देख न्नहे फूल मचलते थे।

मुझे वो नदियां
अब नहीं मिलती
जिनमें बाल- गोपाल नहाया करते थे।

मुझे वो सुकून की नींद
अब नहीं मिलती
जो माँ की गोद में आया करती थी।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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