हनुमानगढ़ में दलित युवक की पीट पीट कर हत्या। चार दिन बाद पहुंचे कलेक्टर-एसपी।
लेकिन राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने यूपी के लखीमपुर के प्रकरण में जयपुर में राजभवन के बाहर मौन अनशन किया।
जालौर में भी दलित युवक की पिटाई का वीडियो वायरल
एस पी मित्तल अजमेर
एक कॉलेज छात्रा से कार में गैंगरेप किए जाने की घटना के विरोध में 11 अक्टूबर को राजस्थान के नागौर जिले का कुचामन कस्बा पूरी तरह बंद रहा। गैंगरेप की घटना को लेकर नागौर में भारी रोष है। लोगों की नाराजगी 11 अक्टूबर को कुचामन बंद के दौरान भी देखे को मिली। पुलिस ने दोनों आरोपी इकबाल उर्फ भाणु और मोहम्मद असराज को गिरफ्तार कर लिया है। 6 अक्टूबर को कॉलेज छात्रा कोचिंग सेंटर जाने के लिए अपने घर से निकली थी, लेकिन रास्ते में इकबाल और असराज उसे बजरन कार में बैठाकर ले गए। दोनों ने बारी बारी से बलात्कार किया और बेहोशी की हालत में छात्रा को घर के बाहर पटक गए। लोगों में इस बात की भी नाराजगी है कि इकबाल उर्फ भाणु आदतन अपराधी है और उस पर दस भी ज्यादा मुकदमे कुचामन के विभिन्न थानों में दर्ज है, लेकिन पुलिस ने कभी भी इकबाल के विरुद्ध सख्त कार्यवाही नहीं की। यदि पुलिस इकबाल पर पहले ही सख्त कार्यवाही कर देती तो कॉलेज छात्रा का गैंगरेप नहीं होता। आरोप तो यहां तक है कि कई मामलों में इकबाल को पुलिस का संरक्षण रहता है। गैंगरेप के मामले को दबाने का प्रयास भी हुआ, लेकिन पूर्व सरपंच लोकेंद्र सिंह को जब जानकारी मिली तो वे अपने समर्थकों के साथ थाने पर पहुंच गए। लोकेंद्र सिंह के दबाव में ही पुलिस को सात घंटे बाद एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। एफआईआर के विलंब और इकबाल पर पूर्व से सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने पर अभी तक भी किसी भी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं हुई है। कोचिंग सेंटर जा रही कॉलेज छात्रा के साथ साथ दिन दहाड़े गैंगरेप की घटना होने से नागौर की कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। सबसे गंभीर बात तो यह है कि मुख्य आरोपी आदतन अपराधी है। यानी अपराधियों में पुलिस और कानून का भय नहीं है। क्या राज्य में कांग्रेस की सरकार को सख्त कार्यवाही नहीं करनी चाहिए?
चार दिन बाद पहुंचे कलेक्टर -एसपी:
अपराध से जुड़े गंभीर मामलों में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा के गांव प्रेमपुरा में एक दलित युवक को पीट पीट कर हत्या करने से लगाया जा सकता है। दलित युवक जगदीश की हत्या 7 अक्टूबर को की गई, परिजन शव को लेकर 9 अक्टूबर तक धरना देते रहे, लेकिन मॉल लिंचिंग से जुड़े इस मामले की सुध लेने के लिए कलेक्टर और एसपी नहीं आए। 9 अक्टूबर को जब अंतिम संस्कार हो गया तो सिर्फ फोटो खींचने के लिए कलेक्टर नथमल डिडेल और एसपी प्रीति जैन मृतक के परिजनों से मिलने आए। सवाल उठता है कि मॉब लिंचिंग की इतनी गंभीर घटना के तुरंत बाद कलेक्टर-एसपी पीड़ित परिवार से मिलने क्यों नहीं आए? क्या प्रशासन और सरकार की नजर में एक दलित युवक की मॉब लिंचिंग का मामला साधारण है? राजस्थान में कानून व्यवस्था की ऐसी स्थिति तब है, जब गृह विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। असल में गहलोत के पास 1 5 से भी ज्यादा मंत्रालयों के 35 विधायकों का काम है। ऐसे में गृह विभाग की प्रभावी निगरानी नहीं होती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही गहलोत ने गृह और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास ही रखे हैं। गत तीन वर्ष की अवधि में हटाए गए तीन मंत्रियों के दस विभागों का काम भी मुख्यमंत्री के पास ही है। इतना ही नहीं जिन एक दो मंत्रियों का निधन हुआ, उनका प्रभार भी मुख्यमंत्री ने अपने पास रख लिया। मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल भी अशोक गहलोत की मर्जी पर निर्भर करता है।
सरकार का लखीमपुर पर मौन अनशन:
एक ओर राजस्थान में कॉलेज छात्रा से गैंगरेप, दलित युवक की मॉब लिचिंग जैसी वारदातें हो रही हैं तो दूसरी ओर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर की घटना के विरोध में मौन अनशन कर रही है। 11 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में जयपुर स्थित राजभवन (राज्यपाल कलराज मिश्र का सरकारी आवास) के बाहर कांग्रेस के पदाधिकारियों ने मौन अनशन किया। इस अनशन में अशोक गहलोत सरकार के अधिकांश मंत्री भी शामिल हुए। टेंट में भले ही कांग्रेस के नेता और मंत्री चुप रहे हों, लेकिन टेंट के बाहर नेताओं और मंत्रियों ने लखीमपुर की घटना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर आलोचना की। किसी ने भी अपने प्रदेश के गैंगरेप और मॉब लिंचिंग की घटना पर एक शब्द भी नहीं कहा। यानी राज्य सरकार की नजर में कुचामन और हनुमानगढ़ की आपराधिक घटनाएं कोई मायने नहीं रखती है। सरकार के ऐसे रुख के कारण ही आदतन अपराधी इकबाल उर्फ भाणु गैंगरेप जैसी वारदातें करते हैं।
जालौर में भी पिटाई:
11 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर राजस्थान के जालौर में एक दलित युवक की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ है। जालौर के एसपी श्याम सिंह ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया है और वीडियो में दिख रहे लोगों की पहचान के निर्देश दिए हैं।