अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

समय चिंतन : लोक-संस्कृति का पर्व नागपंचमी

Share

प्रिया सिंह

पौराणिक कथाओं के आधार पर भगवान शेषनाग बनकर पूरी तरह से हमारी रक्षा का दायित्व लिया है.
यह पृथ्वी सहस्र फनों पर टिकी हुई है. भगवान विष्णु क्षीरसागर पर सोते है. शिवजी के गले मे नागों का ही हार है.
राजा जनमेजय ने अपने पिता के मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पयज्ञ कराया था जिसे ,आस्तीक मुनि ने ही पंचमी के दिन सर्पयज्ञ बंद करबाया था.
इससे यह त्यौहार बडी धूम धाम से मनाया जाता है.

समुद्र मंथन के समय भी कालिया नाग को रस्सी बनाकर मथने का कार्य किया. इस कारण दुष्ट व्यक्ति मे भी उपकार की भावना धर्म की भावना जागृति हो जाय तो वो भी पूजनीय बन जाता है. ऐसा महापुरुषों का कथन है.
अतः इस त्योहार मे हम नागों की पूजा करते है. नागकेसर बारह नामो से उनकी पूजा करते है. धृतराष्ट्र ,कर्कोट अश्वतर,शंखपाल , पद्म ,कम्बल ,अनंत ,शेष ,वासुकी ,पागल्भ,तक्षक और कलिया.
इन नामो से पूजन करने से भगवान शिव तो प्रसन्न ही होते है साथ ही साथ नाग देवता भी हमे आक्षुण्य लाभ प्राप्त की प्राप्ति होती है.
धन यश,कीर्ति ,व्यापार आदि चीजो मे तरक्की होती है. ऐसा शास्त्रो का मत है.
अतः जीवन कीहर परिस्थिति मे , और जब हम विषमता में भी जीना सीख जाएँ, जब हम निर्लिप्त रह कर बांटकर खाना सीख जाएँ और जब हम काम की जगह राम में जीना सीख जाएँ, वास्तव में शिव हो जाना ही है।

‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
अर्थात् – संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है।
[चेतना विकास मिशन)

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें