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सुमेधा मित्तल
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने करीब 2,700 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. लेकिन क्षेत्र में चुनाव होने से कुछ महीने पहले ही 32,000 से ज्यादा मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए. अलीगंज में सबसे ज्यादा नाम काटे गए. अलीगंज विधानसभा में 30 फीसदी यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है. अलीगंज के 395 बूथों में से 53 में नाम हटाने की दर असामान्य रूप से ज्यादा थी. इनमें से 37 बूथ ऐसे थे जहां मुस्लिम, यादव, शाक्य और जाटव मतदाताओं की संख्या अधिक थी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी जमीनी पड़ताल, क्षेत्रीय कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत और वोटर्स की समीक्षा में पाया कि वोटर लिस्ट में से लोगों के नाम हटाने में एक भाजपा के पत्र की भी भूमिका हो सकती है.
क्या आपको अपना वोटर आईडी कार्ड देखने पर पूरा पता दिखाई देता है? अगर आप मेरठ में हैं, तो शायद आपको पता दिखाई न दे. कम से कम तब तक, जब तक कि आप यह न मान लें कि सिर्फ “उत्तर प्रदेश”, या “झुग्गी” या “नया” ही एक पता है.
बिलकुल खाली कॉलम या ऐसे ही शब्द, मेरठ लोकसभा सीट के अंदर आने वाली मेरठ कैंट विधानसभा सीट के बूथ 305 की मतदाता सूची में 86 मतदाताओं के पते थे. इसी बूथ पर करीब 240 मतदाता आरएचए कॉलोनी के पते के साथ पंजीकृत हैं. लेकिन असल में ऐसी कोई कॉलोनी है ही नहीं.
मेरठ में, भाजपा के अरुण गोविल ने समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा को 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की. लेकिन इससे पहले चुनाव आयोग ने कुल 61,365 मतदाताओं के नाम सूची से हटाए. साथ ही 1 लाख से अधिक नए मतदाता जोड़े गए. लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री ने जब इस पूरे निर्वाचन क्षेत्र में पड़ने वाले 2,042 बूथों की पड़ताल की तो अजीबोगरीब रुझान मिले.उदाहरण के लिए, सिर्फ दो बूथों पर 336 फर्जी मतदाता थे.
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