पटनाः विपक्षी एकता की कवायद के बीच बिहार में अब तक जेडीयू में टूट होती रही है। करीब दर्जन भर नेता जेडीयू छोड़ कर जा चुके हैं। इस बीच विपक्षी एकता को सबसे बड़ा झटका महाराष्ट्र में लगा है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी तोड़ दी है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें डेप्युटी सीएम भी बना दिया गया है। अजित पवार ने दावा किया है कि एनसीपी के 40 विधायक उनके साथ हैं। अगर उनके दावे में दम है तो महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव गुट वाली शिवसेना के गठबंधन) के लिए यह बड़ा झटका है। बीजेपी का महाराष्ट्र में आपरेशन लोटस का यह दूसरा पार्ट है। पहले पार्ट में शिवसेना टूटी थी। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना विधायकों की बड़ी जमात को लेकर शिवसेना का अलग गुट बना लिया था। फिर बीजेपी के सहयोग से उन्होंने सरकार बनाई। अब एनसीपी से अजित पवार के जाने के बाद शरद पवार को अपनी पार्टी संभालना आसान नहीं होगा।
पहले से संकेत दे रहे थे अजित पवार
अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से पिछले कुछ महीनों से नाराज चल रहे थे। उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी की थी। उनकी नाराजगी को देखते हुए शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का प्रहसन भी किया था। प्रहसन इसलिए कि बाद में एनसीपी समर्थकों के दबाव में उन्होंने इस्तीफा वापस भी ले लिया था। कुछ दिन बाद उन्होंने अपनी बेटी सुप्रिया सूले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। अजित पवार पार्टी के विधायक दल के नेता बने रहे। अजित पवार के बारे में जिन दिनों ये सूचनाएं आ रही थीं कि वे बीजेपी नेताओं से दिल्ली में बात-मुलाकात कर रहे हैं, तभी उन्होंने कहा था कि जल्दी ही कोई बड़ी घटना महाराष्ट्र में होगी। आखिरकार उस बड़ी घटना को उन्होंने रविवार को अंजाम दे दिया। अजित पवार के साथ छगन भुजबल भी मंत्री के रूप में महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बन गए हैं। इस नाटकीय घटनाक्रम के बारे में भुजबल ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि हम शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में तीसरी पार्टी के रूप में शामिल हुए हैं। हमने पार्टी तोड़ी नहीं है। हमने शिंदे सरकार के साथ अपनी पार्टी एनसीपी को जोड़ा है। एनसीपी नेता और शिंदे सरकार में डेप्युटी सीएम बने अजित पवार ने कहा कि हम एनसीपी के तकरीबन सभी विधायकों को लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ आए हैं। मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में कुछ और मंत्री भी एनसीपी से शामिल किए जाएंगे।
शरद पवार के लिए यह बड़ा झटका
महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के कुल 52 विधायक थे। इनमें 29 विधायकों के साथ अजित पवार एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हुए हैं। अजित पवार उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं तो उनके साथ छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुश्रीफ, रामराजे निंबालकर, धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे और अनिल भाईदास पाटिल ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। बताया जाता है कि पटना में विपक्षी एकता बैठक में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने और उन्हें सहयोग करने के शरद पवार के निर्णय से अजित पवार गुट सहमत नहीं था। गुट इसे शरद पवार का एकतरफा फैसला मान रहा था। दावा तो अजित पवार पूरी एनसीपी के साथ आने का कर रहे हैं, लेकिन पुख्ता सूचना यह है कि अभी उनके साथ 30 विधायक ही हैं।
अब नीतीश कुमार का बढ़ेगा तनाव!
बिहार में भी इसका असर दिख सकता है। आरजेडी के साथ नीतीश कुमार के जाने के बाद से ही जेडीयू में बगावती स्वर सुनाई देने लगे थे। उपेंद्र कुशवाहा ने तो इसे ही आधार बना कर अपना अलग रास्ता चुन लिया था। उसके बाद करीब एक दर्जन नेता जेडीयू छोड़ चुके हैं। आशंका जताई जा रही है कि अभी जेडीयू से और लोग भी नीतीश का साथ छोड़ सकते हैं। इसका आभास नीतीश को भी है। इसीलिए वे लगातार अपने विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के साथियों से वन टू वन मुलाकात कर रहे हैं। बीजेपी या दूसरे दलों के नेता दावा करते रहे हैं कि जेडीयू में जल्दी ही भगदड़ मचने वाली है। कई विधायक और सांसद एनडीए की किसी पार्टी में अपना ठिकाना तलाश रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह तो खुल कर बोलते हैं कि जेडीयू के कई विधायक-सांसद उनके संपर्क में हैं। अगली विपक्षी बैठक के पहले या तुरंत बाद बीजेपी का बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह बड़ा अभियान चल जाए तो कोई आश्चर्य नही।