मुनेश त्यागी
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कुछ लोग सकते में हैं, जैसे वे बदहवास हो गए हैं। वे पता नहीं क्या क्या कह रहे हैं? यहां पर सवाल उठता है कि क्या वाकई में इस देश और समाज को फिर से जोड़ने की जरूरत है? क्या यह देश और समाज फिर से टूट गया है? तितर-बितर हो गया है? बिखर गया है?
हां भारत का पिछले 30 सालों का इतिहास बता रहा है कि भारत देश और उसका समाज आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से टूट और बिखर गया है। यहां नफरत, हिंसा, हत्या, अपराध में बाढ सी आ गई है, हिन्दूओं और मुसलमानों में टूटन पैदा हो गई है, आर्थिक असमानता, सांप्रदायिक नफरत, राजनीतिक गरीबी, मक्कारी, जुमलेबाजी, महंगाई, बेरोजगारी और अन्याय के पहाड़ खड़े हो गए हैं, जिनसे निजात पाना आदमी के बस की बात नहीं रह गई है।
आज सरकार पूंजीपतियों और राजनीतिक लुटेरों डकैतों की खैरख्वाह बन गई है। वह किसानों मजदूरों की दुश्मन और जनविरोधी रूप धारण करके हमारे सामने खड़ी हो गई है। अगर इसका विस्तार से विवेचन किया जाए तो हमारे देश में गरीबी का पहाड़ इकट्ठा खड़ा हो गया है 85% परिवारों की आमदनी घट गई है, हमारे देश पर 50 लाख करोड़ के ऋण हैं, पूंजीपतियों के 12 लाख करोड़ के ऋण माफ कर दिए गए हैं। ऐसे में इस बढ़ती कंगाली और ऋणग्रस्तता से जनता को बचाने के लिए, भारत को फिर से जोड़ने की जरूरत है।
आर्थिक असमानता का पहाड़ खड़ा हो गया है। 100 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की प्रतिदिन की आमदनी ₹27 तक है, जबकि अदानी रोजाना ₹42 करोड़ कमा रहा है और उसकी तिजोरिया लगातार बढ़ती और भरती जा चली जा रही हैं। हमारे देश में लुटेरे पूंजीपतियों ने पिछले 10 साल में दुनिया में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हासिल की है। ऐसे में भारत को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए और समाज में समरसता लाने के लिए भारत को आर्थिक रूप से पुनः जोड़ने की जरूरत है।
सामाजिक नफरत के पहाड़ खड़े हो गए हैं। मुसलमान और हिंदुओं के बीच नफरत की मुहिम जारी है। मुसलमानों को विदेशी और गैर बताया जा रहा है। गाय के नाम पर हमला किया जा रहा है और समाज में हिंदू और मुसलमान के बीच नफरत और हिंसा के बीज बोये जा रहे हैं। तो ऐसे में सामाजिक समरसता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए, भारत को फिर से जोड़ने की जरूरत है।
जुमलेबाज ठगी ने हमारे देश की जनता को को सबसे ज्यादा धोखा दिया है। नौजवानों को 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया गया था। 15- 15 लाख रुपए सभी भारतीयों के खातों में आने की बात कही गई थी, लोकायुक्त बनाने की बात कही गई थी, गरीबी को दूर करने की बात की गई थी, काला धन विदेशों से वापस लाने की बात की गई थी, महंगाई भ्रष्टाचार और बेरोजगारी पर रोक लगाने के बात की गई थी। मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया। इस जुमलेबाज ठगी को एकदम धराशाई करने की जरूरत है ताकि टूटते बिखरते भारत को फिर से जोड़ा जा सके।
हमारे देश में संसद द्वारा भोजन के अधिकार का कानून मौजूद है, मगर फिर भी करोड़ों लोग भूखे मरते हैं। हमारे देश में शिक्षा के अधिकार का कानून मौजूद है, मगर इसके बावजूद भी शिक्षा का बजट लगातार घटाया जा रहा है, करोड़ों करोड़ों लोग अनपढ़ हैं और बहुत सारे लोगों को अनपढ़ रखने की कोशिश जारी है। ऐसे में हमारा देश टूट और बिखर रहा है, अनपढ़ हुआ जा रहा है। इसको फिर से जोड़ने की जरूरत है।
हमारे देश में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है। हमारे देश में दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब और बेरोजगार मौजूद हैं और इनकी बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। इनके लिए जैसे जीने का कोई मकसद ही नहीं रह गया है। हां आज इन बेरोजगार हाथों को काम देकर, इस देश को जोड़ने की जरूरत है। ताकि हमारा देश विकास कर सके और भी इस विकास का लाभ बेरोजगारों समेत पूरी जनता को मिल सके।
हमारे देश में हमारे किसान लुट पिट रहे हैं, उनकी फसलों का वाजिब दाम नहीं दिया जा रहा है, बढ़ती लागत और महंगाई ने जैसे उनकी कमर तोड़ दी है और खेती किसानी को एक गरीबी और नुकसान का सौदा बना दिया गया है। आज की इस किसान विरोधी राजनीति को खत्म करके, इस देश के किसानों को जोड़ने की जरूरत है, उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य देने की जरूरत है, ताकी टूटते बिखरते भारत और किसानों को फिर से जोड़ा जा सके।
हमारे देश में सरकार ने चार श्रम कानून लाकर मजदूरों को आधुनिक गुलाम बना दिया है।उन्हें न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है और दुकानों में श्रम कानून लागू नहीं किए जा रहे हैं। बहुत सारे मजदूरों से 12-12 घंटे काम लिया जा रहा है, मगर उनको ₹8000 ही प्रति माह दिए जा रहे हैं, जबकि कानून के हिसाब से 12 घंटे काम करने पर, उनका न्यूनतम वेतन कम से कम 26000 रुपए प्रति माह बनता है। आज मजदूरों को न्यूनतम वेतन देकर, श्रम कानूनों को लागू करने की जरूरत है, तभी देश और भारतीय समाज और भारत देश को मुकम्मल रूप से जोड़ा जा सकता है।
हमारे समाज में आए दिन अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हिंसा का तांडव जारी है, औरतों के खिलाफ तो जैसे अपराधों की सुनामी ही आ गई है, आज औरतों के प्रति सबसे ज्यादा अपराध हो रहे हैं, उनसे बलात्कार करके उनकी हत्या की जा रही है, बलात्कार करके पेड पर लटकाया जा रहा है।उनकी हत्याएं की जा रही हैं। हां औरतों की हिफाजत करके उन्हें असली जीवन देने की जरूरत है, ऐसा करके ही हमारे देश और समाज को जोड़ा जा सकता है और मरे हुए समाज को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
हमारे देश में पिछले 20 सालों में अन्याय का साम्राज्य खड़ा हो गया है। पूरे देश में 5 करोड़ मुकदमों का पहाड़ खड़ा हो गया है। अदालतें नहीं हैं, जज , स्टैनों और कर्मचारी नहीं है। न्यायपालिका का बजट लगातार घटता जा रहा है और सरकार जनता को सस्ता और सुलभ न्याय देने के लिए बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है। हां आज भारत को जोड़ने के लिए, जनता को सस्ता और सुलभ न्याय देने की जरूरत है।
और महंगाई ने तो जैसे इस देश की जनता की कमर ही तोड़ दी है। बेरोजगारी और गरीबी के चलते आज बढ़ती हुई महंगाई, कोढ़ में खाज का काम कर रही है। ऐसा लगता है जैसे सरकार ने महंगाई को बढ़ाने का अभय दान दे दिया है। सरकार ने खाने पीने की वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर तो जैसे गरीब जनता की कमर ही तोड़ दी है और इस सब को देख कर लगता है कि जैसे महंगाई रोकने पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है और अब तो यह भी लगता है कि जैसे सरकार जानबूझकर लोगों को महंगाई बढ़ाने अवसर प्रदान कर रही है। आज इससे भारत का समाज और भारत की जनता परेशान हो रही है और इससे भारत का समाज और सामाजिक ढांचा बिगड़ रहा है। आज भारत की एकता को बचाने के लिए और भारतीय समाज को जोडे रखने के लिए, इस कमरतोड़ महंगाई पर सबसे ज्यादा रोक लगाने की जरूरत है।
हम यहीं पर इस बात पर जोर देकर कहना चाहते हैं कि आज हमारे देश को किसान मजदूर समर्थक जन पक्षीय राजनीति की जरूरत है। आज बढ़ती हुई महंगाई को खत्म करने की जरूरत है। लगातार बढ़ती जा रही गरीबी और बेरोजगारी को रोकने की जरूरत है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बजट बढ़ाने की जरूरत है, ताकि जनता को सस्ता न्याय, सस्ता स्वास्थ्य और सस्ती शिक्षा मिल सके। इसके लिए आज हमारे देश को सही राजनीति करने की जरूरत है। क्योंकि इस लुटेरी और पूंजीपति समर्थक राजनीति को बदले बिना और इस राजनीति को जनसमर्थन, किसान समर्थक, मजदूर समर्थक बनाए बिना हमारा देश आगे नहीं बढ़ सकता। वह जुड़ा नहीं रह सकता। इसलिए भारत को जोड़े रखने के लिए जन समर्थक, किसान समर्थक और मजदूर समर्थक राजनीति की जरूरत है।
यह आज का भारत हमारे शहीदों और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत नहीं है। हमारे शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों ने सपने देखे थे कि सबको शिक्षा मिलेगी, सब को काम मिलेगा, सब को रोजगार मिलेगा, सबको इलाज मिलेगा। उन्होंने सपने देखे थे कि अमीरी, गरीबी, शोषण, दमन का खात्मा किया जाएगा। उन्होंने सपना देखा था कि प्राकृतिक संसाधनों का पूरे देश की जनता के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने भारत में जनतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संप्रभुता, गणतंत्र और समाजवादी व्यवस्था और समाज कायम करने के सपने देखे थे, मगर सारे के सारे सपने अब धाराशाई और धूमिल कर दिए गए हैं। आज का भारत उनके सपनों का भारत नहीं है भारत को तोड़ दिया गया है। आज उसे फिर से जोड़ने की जरूरत है।
भारत को फिर से जोड़ने और सर्व कल्याणकारी समाज और भारत बनाने के लिए हमारे देश के किसानों, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, लेखकों, कवियों, बुद्धिजीवियों, वकीलों, सेवानिवृत्त जजों, शिक्षकों और मीडिया कर्मियों को एकजुट होने की जरूरत है। इनके समुचित प्रयास और संगठन से ही भारत की तमाम समस्याएं दूर की जा सकती है और इनके संयुक्त प्रयासों से ही, इस बिखरे और टूटे हुए भारत को फिर से जोड़ा जा सकता है।