महाराष्ट्र की सियासत नीलम गोरहे के बयान से गरमाई हुई है। गोरहे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर मर्सिडीज देकर पद पाने का आरोप लगाया। इस पर कांग्रेस, उद्धव शिवसेना और एनसीपी ने गोरहे पर हमला बोला। संजय राउत ने नीलम गोहरे को निर्लज्ज कहा तो आनंद दुबे ने उन्हें मंथरा बताया।
महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति डॉ. नीलम गोरहे के बयान पर राज्य की सियासत में बवाल मचा हुआ है। दिल्ली में आखिल भारतीय माराठी साहित्य सम्मेलन में नीलम गोरहे ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (अविभाजित) तक टिप्पणी करते हुए कहा था कि दो मर्सिडीज देने पर पद मिलते थे। इसके बाद से नीलम गोरहे के खिलाफ उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी हमलावर है। महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य और एनसीपी नेता शरद पवार ने भी उनके बयान को भूर्खतापूर्ण बताया है, लेकिन एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के कुछ नेताओं ने उनके बयान का समर्थन किया है। नीलम गोरहे को उनके बयान के अब उनके लिए जोंक, मंथरा, निर्लज्ज, नमकहराम जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए हैं।

महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों नीलम गोरहे के बयान पर गरमाई है। नीलम गोरहे ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना में अगर किसी को दो मर्सिडीज दी जाती हैं, तो उसे पार्टी में पद मिल जाता है। नीलम गोरहे एकनाथ शिंदे की शिवसेना की नेता और विधान परिषद की उप सभापति हैं। उनके बयान के बाद कांग्रेस, उद्धव पवार की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी ने निशाना साधा। चौतरफा पलटवार हुए। किसी ने उन्हें मंथरा कहा तो किसी ने नीचता वाला बयान देने वाली महिला।
नीलम गोरहे ने क्या कहा?
नई दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के दौरान विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरहे ने बयान दिया था। उन्होंने ने कहा था कि शिवाजी पार्क में शिवसेना की रैलियों में ज्यादातर भीड़ एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने जुटाई थी। ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में आंतरिक राजनीति ने कुछ नेताओं के साथ बातचीत को हतोत्साहित किया, जिससे उन्हें लगा कि अगर कोई संवाद नहीं है तो ऐसे माहौल में रहने का कोई मतलब नहीं है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना में अगर कोई संवाद नहीं है तो ऐसे माहौल में रहने का कोई मतलब नहीं है। सच्चाई ये है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना में अगर किसी को दो मर्सिडीज दी जाती हैं, तो उसे पार्टी में पद मिल जाता है।
संजय राउत जमकर बरसे
संजय राउत ने नीलम गोरहे पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बकवास बात करती हैं। यह निर्लज्ज है। यह गंदे लोग हैं, ये हमारे साथ राजनीति में काम करते थे। ये नमकहराम हैं। वह जिस सोने की थाली में खा रही थीं, उसी में गंदगी करके चली गईं। नीलम गोरहे आज जो हैं वह शिवसेना की बदौलत ही हैं।
आनंद दुबे ने मंथरा से की तुलना
उद्धव ठाकरे के शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे ने कहा कि जब हम राजनीतिक सामाजिक जीवन में लड़ाई लड़ते हैं तो विचारों की लड़ाई लड़ते हैं। व्यक्तिगत रूप से कोई लड़ाई नहीं लड़ता। लेकिन नीलम गोरहे ने हमारी पार्टी को बदनाम करने का काम किया है। हमारे नेताओं के ऊपर आरोप लगाए हैं कि दो मर्सिडीज देने के बाद ही वहां पद मिलते हैं। नीलम से हम पूछना चाहते हैं कि आपने कितनी मर्सिडीज दी हैं? आपको 20 साल सत्ता भोगने का सुख मिला। वे कई बार विधायक रही हैं। वे बड़े-बड़े संवैधानिक पदों पर रहीं। पार्टी ही आपको बनाती है। जब पार्टी संकट में होती है तो आप लोग पार्टी को भला बुरा कहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हम तो माताओं बहनों का सम्मान करने वाले लोग हैं, लेकिन दुख तब होता है जब इसी देश में मंथरा बनकर कुछ लोग राजा राम को वनवास भी भेजने का काम करते हैं। नीलम आप मंथरा ना बनिए। आप ऐसा चरित्र बनाइए, ऐसा अपना व्यवहार बनाइए कि लोग आपका सम्मान करें। लेकिन अगर आप हमारे लोगों को बदनाम करेंगी, कोसेंगी तो इतिहास कभी आपको माफ नहीं करेगा। क्योंकि यह देश सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, पीठ में छुरा घोंपने वालों को बर्दाश्त नहीं करता।
आदित्य ठाकरे ने कहा गंदे लोग
उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने नीलम गोरहे पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं है कि वे गंदे लोग कभी हमारे लिए आभारी होंगे। कुछ लोग थोड़े पढ़े-लिखे और सुसंस्कृत लगते है लेकिन अब सबसे गंदे लगते हैं। ये लोग झूठ फैलाते हैं। वे नफरत फैलाते हैं। ऐसा लगता है कि वे हमेशा जोंक की तरह काम करते रहे हैं।
शरद पवार ने बताया मूर्खतापूर्ण बयान
नीलम गोरहे के बयान पर एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि मराठी साहित्य सम्मेलन में उनकी टिप्पणी अनावश्यक थी। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में थीं। बाद में वह शिवसेना में चली गईं। वे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में काम करती रहीं। इसके बाद अब वह एकनाथ शिंदे की शिवसेना में हैं। उन्होंने सीमित समय में लगभग चार पार्टियों का अनुभव प्राप्त किया है। नीलम गोरहे का बयान मूर्खतापूर्ण था। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।
नीलम गोरहे वर्तमान में राज्य की विधान परिषद् की उप सभापति हैं। महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े चेहरों में शामिल नीलम गोरहे 1987 में अपनी सोशल गतिविधियों के लिए सुर्खियों में आई थीं। इन दौरान उन्होंने कई सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लिया। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत रिपब्लिकन पार्टी की। उन्होंने प्रकाश अंबेडकर के साथ भी काम किया। वह चुनाव भी लड़ीं। सके बाद उन्होंने कुछ समय तक शरद पवार के साथ काम किया। आगे चलकर वह शिवसेना से जुड़ गईं। उन्हें शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के सानिध्य में काम करने का मौका मिला। बाद में वह उद्धव ठाकरे की सहयोगी बन गई है। पार्टी के प्रति वफादारी के चलते साल 2002 में नीलम गोरहे को पहली विधान परिषद् में जाने का मौका मिला। इसके बाद नीलम गोरहे लगातार विधान परिषद् जारी रहीं लेकिन जब साल 2022 में एकनाथ शिंदे ने राह अलग की तो उन्होंने भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया। इसके बाद उन्हें शिंदे के गुट में अहम पद दिया गया। बाद में उन्हें विधान परिषद् का उप सभापति बनाया गया। वह 7 जुलाई को 2022 को इस पर नियुक्त हुईं।