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नेहरू का भूत आतंकित करता है भाजपा को

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राकेश अचल

राजनीति में अखंड सौभाग्यवती बंनने का ख्वाब पाले बैठी भाजपा का विजयरथ भले ही आगे बढ़ता जा रहा है लेकिन उसे कभी कांग्रेस का भूत आतंकित करता है तो कभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का । कांग्रेस भले ही नेहरू की माला जपने में शिथिल हो गयी हो किन्तु भाजपा लगातार पंडित जवाहर लाल नेहरू की माला का जाप करती नजर आती है । संसद में एक बार फिर भाजपा ने ही नेहरू को पुनर्जीवित कर दिया ,हालाँकि भाजपा के लिए नेहरू आज तक नेशनल हीरो नहीं बन पाए हैं। नेहरू को लेकर संसद में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच झड़प देखकर मन क्षुब्ध हो गया।
जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर बहस का उत्तर देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की दो गलतियों के लिए उन्हें याद किया। नेहरू का नाम अकेले भाजपा को ही नहीं अपितु भाजपा के पूरे वंश को हमेशा से खटकता आया है। एक स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी को छोड़ किसी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रति अपना सम्मान एक नेशनल हीरो के रूप में प्रकट नहीं किया। नेहरू युग में अटल जी भी युवा थे ,उन्होंने भी कश्मीर के मुद्दे पर संसद में बहसों के दौरान नेहरू जी के लत्ते लिए किन्तु कभी उन्हें खलनायक के रूप में याद नहीं किया। नेहरू भी अटल जी के भाषणों से उदिग्न नहीं हुए। लेकिन भाजपा का पूरा का कुनबा ,आरएसएस, जनसंघ ,प्रजा परिषद से लेकर आज तक नेहरू को कोसते हुए ही बड़ा हुआ है।
नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे ,तो थे । वे जिन परिस्थितियों में देश के प्रधानमंत्री बने उसे भाजपा नेताओं को छोड़ पूरी दुनिया जानती है। नेहरू देश के 17 साल प्रधानमंत्री रहे लेकिन उन्होंने कभी राम के नाम की राजनीति नहीं की। उनके कार्यकाल में भारत ने अपने पांवों पर चलना सिखाया लेकिन भाजपा ये नहीं मानती। भाजपा मान भी नहीं सकती क्योंकि जब भाजपा का जन्म हुया तब देश में नेहरू का नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी का युग चल रहा था। भाजपा के नेताओं ने नेहरू को जितना जाना है उतना अपर्याप्त है लेकिन नेहरू को खलनायक बताने के लिए पर्याप्त है। काश नेहरू को गरियाने वाले आज के भाजपा नेता आजादी के संघर्ष के समय पैदा हुए होते । काश वे अपनी जिंदगी के अमूल्य नौ-दस साल जेलों में काटते तो उन्हें पता चलता कि देश के लिए काम कैसे किया जाता है।
मै नेहरू प्रसंग में भाजपा के रवैये को लेकर बहुत कम विचलित होता हूँ । नेहरू भाजपा के लिए भले ही नेशनल हीरो नहीं हैं लेकिन हमारी पीढ़ी के लिए तो हैं। नेहरू को देश के इतिहास से विलग कर, उन्हें खलनायक बताकर कोई भी राजनितिक दल अपनी पताका नहीं फहरा सकता । लेकिन भाजपा ऐसा करने का दुस्साहस करती है। नेहरू युग में भाजपा के पूर्वज अनेक नेता थे । श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे और हेडगेवार भी। दीनदयाल भी थे और दूसरे तमाम नेता भी लेकिन वे न नायक बन पाए और न हीरो । कांग्रेस ने उन्हें कभी खलनायक के तौर पर भी याद नहीं किय। गालियां नहीं दीं । उन्हें कभी राष्ट्रद्रोही कहके उनकी निंदा नहीं की। लेकिन भाजपा के लिए नेहरू युग एक दुःस्वप्न है। भाजपा कभी ये नहीं सोचती कि आजादी के पहले और आजादी के बाद यदि भाजपा के पुरखों की विचारधारा में दम होता तो आज देश उनके पुरखों को नेशनल हीरो मानता न कि नेहरू-गांधी और पटेल को।
आज देश नेहरू के नहीं मोदी के युग में है । मोदी युग में नेहरू युग जैसी न चुनौतियाँ हैं और न समस्याएं। मोदी युग को जो देश मिला है वो एक समृद्ध और मजबूत देश मिला है। नेहरू युग की तुलना मोदी युग से की ही नहीं जा सकती। तेहरू युग की राजनीती में धर्म का दखल उतना नहीं था जितना कि आज है। मोदी युग की तरह नेहरू युग में किसी प्रधानमंत्री को अपनी जाति का बखान नहीं करना पड़ता था ,क्योंकि नेहरू युग त्याग,तपस्या और बलिदान का युग था । नेहरू देश के हीरो रथारूढ़ होकर नहीं बने थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था,लाठियां खाई थीं ,जेलों में जवानी गुजारी थी और अपने अनुभवों को लिपिबद्ध किया था। वे केवल राजनीतिज्ञ नहींथे बल्कि राजनीति से हटकर भी बहुत कुछ थे।
बहरहाल आज जब देश आजादी का अमृतकाल बिता चुका है तब नेहरू के प्रति कृतग्यता जताने के बजाय उन्हें खलनायक की तरह याद करने वाले कृतघ्न ही कहे जा सकते है। नेहरू को गरियाकर, उन्हें खलनायक बताकर भारत की पहचान नहीं बनाई जा सकती। नेहरू विरोधियों को भगवान से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करना भी व्यर्थ है ,क्योंकि जो लोग नेहरू का अर्थ नहीं समझते उन्हें समझाने का लाभ क्या है। कांग्रेस को भी नेहरू को लेकर अब उदिग्न होने की जरूरत नहीं है,क्योंकि कांग्रेस की असमर्थता की वजह से कांग्रेस के ही नहीं बल्कि देश के नायकों को अपमानित होना पड़ रहा है। नेहरू विरोधी ,गांधी के भी विरोधी हैं किन्तु संयोग से वे अभी खुलकर गांधी को गाली नहीं दे पा रहे, उन्हें ख़ारिज नहीं कार पा रहे ,अन्यथा उनके मन में महात्मा गाँधी भी खलनायक हैं। नेहरू यदि कश्मीर के लिए खलनायक हैं तो भाजपा देश के विभाजन के लिए गांधी को खलनायक मानती है और अपने बच्चों को भी यही पाठ पढ़ाती है।
गड़े मुर्दे खोदना ,उन्हें जुतियाना ही आज के युग की राजनीति का असली चरित्र बन गया है। पूर्वजों की स्मृतियों से खिलवाड़, हमारा आज का राष्ट्रधर्म हो गया है। हमारी यही तंगदिली देश की छवि को दुनिया में धूमिल कर रही है । आज की राजनीति देश को नेहरू युग कि उपलब्धियों के बजाय मोदी युग की गारंटियों के पीछे चलने को विवश कर रही है। देश का भविष्य नेहरू के हाथों में अब नहीं है । नेहरू को गए युग हो चुका है । अब देश का भविष्य मोदी जी के हाथ में है । ईश्वर उन्हें शक्ति दे कि वे देश को नेहरू युग से भी ज्यादा बेहतर समृद्ध ,धर्मनिरपेक्ष ,और पंचशील के रस्ते पर चलने वाला बना पाएं ।
नेहरू युग आधारभूत संरचनाओं के लिए जाना जाता है ,लेकिन मोदी युग मंदिरों ,और धार्मिक शहरों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने के लिए जाना जाएगा। मोदी युग में संस्कृति के चार अध्याय नहीं लिखे जा सकते, भारत की खोज नहीं की जा सकती ,हाँ मस्जिदों को तोड़ने,मंदिरों को बनाने और देश को दो ध्रुवों में विभाजित करने के लिए मोदी युग हमेशा याद किया जाएगा।अब नेहरू युग की पीढ़ी अवसान कि ओर है ,इसलिए आज कि पीढ़ी को नेहरू और मोदी युग की तुलना करने के लिए अतीत में झांकना ही पडेगा। यदि आप सचमुच भारत को खोजना चाहते हैं तो इतनी जहमत उठाइये ,तभी आपको पता चलेगा कि नायक कौन है और खलनायक कौन ?

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