~सोनी तिवारी (वाराणसी)
जो हमारा वैदिक दर्शन पोषित करता है, वही लम्बी कसरत के बाद विज्ञान घोषित करता है. जितने भी वैज्ञानिक निष्कर्ष अब तक सामने आये हैं, वैदिक साहित्य में उनके सूत्र आप देख सकते हैं. आप यह श्रम नहीं कर सकते तो अपनी मैक्सिमम वैज्ञानिक रिसर्च की लिस्ट बना लें, उसे लेकर हमारे पास आएं : हम दिखा देंगे की वह वेदोपनिषद में कहाँ उपलब्ध है. आप यह भी नहीं कर सकते हैं, तो एक्सेप्ट कर लें की सत्य का मुलभूत स्रोत वैदिक दर्शन ही है
अब विज्ञान लवफुल्ली सुपर आर्गेज्म बेस्ड सेक्स की रेगुलरटी को इम्पोर्टेन्ट बता रहा है. इस मैटर पर हमने मेडिटेशन ट्रेनर, डिवाइन आर्गेज्म क्रिएटर डॉ. विकास मानवश्री से बात की. वे बोले :
“वेद धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष : चार पुरुषार्थ बताता है. यानी हमारे यहां धर्म से आजीविका के लिए अर्थ साधने और काम से पूर्णता के लिए मोक्ष साधने का शाश्वत-सूत्र है.”
वे कहते हैं : “आप सोचकर देखिये, योग-ध्यान-तप से सबकुछ साध चुके ऋषि-महर्षि तो छोड़िये, जिसे आप भगवान कहते हैं वे तक संभोग साधना में क्यों उतरे? इसलिए की संभोग हमें ईगोलेश, टाइमलेश,बॉडीलेश बनाकर आत्मिक मिक्स-अप का, अद्वैत का स्टेज देता है. संभोग परमानन्द का सहज और स्थूल अनुभव देकर नर-मादा को अर्धनारीश्वर बनाता है. स्त्री के लिए तो प्रेमपूर्ण स्वस्थ संभोगसुख ही मार्ग है खुशी, तृप्ति, मुक्ति का. उसके लिए जंगल, पर्वत जाकर तप करने या कुछ और साधने का सवाल भी नहीं उठता. जंगली जानवर से पहले, नरभेड़िये ही उसे डकार जायेंगे घर से निकलते ही.”
डॉ. मानवश्री बताते हैं : “संभोग यानी परम आनंद का एकसमान भोग. संभोग के लिए पौरुष आवश्यक होता है. स्त्री में पुरुष से आठ गुना अधिक यौनाग्नि होती है. पुरुष को इसे जगाने में सक्षम होना होता है. अगर दस-पंद्रह मिनट में पुरुष लूज हो जाये तो उसकी हवस का काम तो होगा, लेकिन स्त्री को कुछ नहीं मिलेगा. आज के पुरुष हैंडप्रैक्टिस करने, नशेड़ी बनने, दुराचारी बनने, सेक्सपॉवर वाले केमिकल लेने के कारण यौनशक्ति खो चुके हैं. लिंग की नशों को डेमेज कर चुके हैं. यही कारण है की स्त्री समझौता करके मनोरोगी बनने या उपकरण यूज करने या बदचलन बनने को विवस होती है.”
हालांकि मेडिकल साइन्स ने इलाज संभव बना दिया है. मेडिटेशन से भी अर्ली स्पर्म डिस्चार्ज पर कंट्रोलिंग पॉसिबल है. लेकिन पुरुष का दम्भ, मर्द होने का अहं उसे इलाज़ नहीं कराने देता है.
अब न्यू रिसर्च की बात :
अमेरिकन ब्रेन एंड हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च में मिले तथ्यों के आधार पर ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा युवाओं के लिए नित्यप्रति, प्रौढ़ों के लिए सप्ताह में दो दिन और आगे की उम्र वालों के लिए सप्ताह में एक दिन ऑर्गस्मिक सेक्स जरूरी बताया गया है।
सेक्स एक जैविक क्रिया है जो जीवन में प्रजनन के अलावा भी बहुत महत्व रखती है.
सेक्स का मकसद महज़ बच्चे पैदा करना या मच्छर-मक्खी की तरह 2 पल खिलवाड़ करना भर नहीं है। यह मन-तन की सेहत और सैटिस्फैक्शन के लिए भी जरूरी है.
14-17 साल की उम्र से वृद्धावस्था तक मनुष्यों में सेक्स इच्छा बनी रहती है. रिसर्च में रेगुलर बेसिस पर सेक्स करने के इतने फायदे दिखे हैं कि जान कर आप भी दंग रह जाएंगे.
तो चलिए जानते हैं :
●सेक्स के दौरान शरीर की जो मूवमेंट होती है वह पेट और पेल्विक की मसल्स को टाइट करती है.
●महिलाओं में यह मासपेशियां मूत्राशय नियंत्रण को बेहतर भी बनाती हैं.
◆रिसर्च के मुताबिक़ वह लोग जो नियमित रूप से स्वस्थ सेक्स करते हैं उन की याददाश्त उन लोगों से कही ज्यादा बेहतर होती है जो ऐसा सेक्स नियमित रूप से नहीं करते.
नियमित सेक्स केवल फिजिकल ही नहीं बल्कि इमोशनल, साइकोलौजिकल और व्यक्तिगत दृष्टि से भी अतिआवश्यक होता है.
●सेक्सुअल एक्टिवनेस महिलाओं में लिबिडो को बूस्ट करता है जिस से उन में सेक्स करने की इच्छा बढ़ती है.
●सेक्स के दौरान हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स रिलीज़ होते हैं जिन्हें ‘फील गुड’ केमिकल्स कहते हैं जो डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन को दूर करने में सहायक होते हैं.
●ओर्गास्म प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन रिलीज़ करता है जो नींद में सहायक होता है.
सेक्स सेल्फ एस्टीम बढ़ाता है और इन्सेक्योरिटी को कम करता है.
●स्टडीज के मुताबिक जितना लंबा और ज्यादा पुरुष सेक्स करते हैं उतनी बेहतर उनके स्पर्म की क्वालिटी सावित होती है.
आर्काइव्ज औफ सेक्सुअल बिहेवियर में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक़ औसतन ‘यौनिक तौर पर स्वस्थ’ युवा एक साल में 400 बार, प्रौढ़ एक साल में 200 बार और वृद्ध 80 बार सैक्स करते हैं.
●नियमित सेक्स से महिलाओं में हार्मोन्स का बैलेंस बना रहता है जिस से उन के पीरियड्स भी नौर्मल होते हैं और पीरियड क्रैम्प्स भी कम होते हैं.
●स्वस्थ सेक्स रेगुलर करने पर यह शरीर में इम्यूनोग्लोबिन ए लेवल को बढ़ा देता है. इस से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है.
पेंसिलविनिया की विल्क्स यूनिवर्सिटी ने 112 स्टूडेंट्स पर एक रिसर्च की जिस में उन्होंने पाया कि नियमित सेक्स करने वाले स्टूडेंट्स का इम्यूनोग्लोबिन ए लेवल सैक्स न करने वाले स्टूडेंट्स की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा था.
●सेक्स से मनुष्यों में औक्सीटोसिन, डोपामाइन और सेरोटोनिन रिलीज़ होते हैं. यह मूड बूस्ट करते हैं और व्यक्ति रिलैक्स्ड फील करता है.
◆वह खुश रहने लगता है और इस से उस की कार्यक्षमता और प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है.
●ओस्ट्रोजन नामक हार्मोन का सैक्स के दौरान स्त्राव होता है. यह हार्मोन स्किन को स्मूथ बनाता है.
_अमेरिकन स्टडी के मुताबिक नियमित सैक्स करने वाली महिलाओं में ओस्ट्रोजन की मात्रा अन्य महिलाओं से दोगुनी होती है._
●नियमित सेक्स कोर्टिसोल लेवल कम कर मनुष्य के दिमाग को भी प्रोटेक्ट करता है.
●सेक्सुअल इंटरकोर्स स्ट्रेस जैसी प्रतिक्रियाओं से लड़ने में दिमाग की क्षमता को बढ़ाता है.
स्टडी के अनुसार इससे एंग्जायटी लेवल में भी गिरावट आती है.
●कपल्स के बीच रेगुलर सेक्स से कमिटमेंट बढ़ता है. लव मेकिंग बढ़ती है जिससे आपसी प्यार और सौहार्द में बढ़ोत्तरी होती है.
सेक्स का पूरा लाभ “स्वस्थ’ यानि परम तृप्ति से स्त्री को बेसुध करने वाले स्तर पर और से मर्ज़ी से हुए सैक्स से ही मिलता है.
ध्यान रहे :
अनचाहे सेक्स, अपाहिज सेक्स या एबनौर्मल सेक्स से फायदे कई गुना नुक्सान में बदल जाते हैं : खासकर स्त्री के लिए.
विज्ञान का सैक्स से साफतौर पर मतलब लवमेकिंग और पैशनेटसेक्स से है. तो नियमित ये सेक्स कीजिए और इसका भरपूर लाभ उठाइए