तारीख: 22 जुलाई, 2023। दिन: शनिवार। वक्त: शाम के 6:30 बजे। मणिपुर हिंसा के एपिसेंटर चुराचादंपुर में हम कुकी महिलाओं से मिलकर लौट रहे थे। इंफाल की तरफ 10 Km चले थे कि दूर एक इमारत में आग लगी नजर आई। हम उस तरफ चल दिए, इमारत करीब 3 Km दूर थी।
वक्त: शाम के 6:54 बजे। हम जलती हुई इमारत के पास पहुंचे, फोन निकाला और फोटो-वीडियो लेना शुरू किया। तभी एक गोली करीब से सनसनाती हुई निकल गई। हमारी तरफ फायरिंग होने लगी। पास की खंडहर इमारत की तरफ भागे। हम दीवार के पीछे छिपे थे और लगातार फायरिंग हो रही थी। ये सिंगल शॉट नहीं थे, इंसास, एके-47 और एके-56 से फायरिंग हो रही थी।
चुराचांदपुर जिले के थोरबुंग गांव में शनिवार शाम एक स्कूल में आग लगा दी गई। बिष्णुपुर जिले के बॉर्डर पर बसा ये गांव मैतेई-कुकी की आपसी लड़ाई में पूरा बर्बाद हो चुका है।
अचानक हमारे पीछे से आवाज आई…
लाइट बंद, लाइट बंद करो…
तुरंत लाइट बंद करो
वो लोग लाइट देखकर फायरिंग करते हैं
जब गोली आती है, तो चेहरा नहीं देखती
ये आवाज पीछे एक बंकर से आ रही थी। आवाज फिर आई- ‘बचना है, तो इधर आओ।’ अंधेरा था, लेकिन ध्यान से देखा तो ये सुरक्षाबल के जवान थे। कोई ऑप्शन नहीं था, रिस्क लिया और बंकर की तरफ भागे। बंकर में पहुंचे, तो सामने CRPF की 197 और 133 बटालियन के जवान मोर्चा संभाले हुए थे। उन्होंने हमें बंकर की एक दीवार के सहारे छिपा दिया।
मैंने फोन निकाला और कुछ शूट करने लगा, एक जवान सख्ती से बोला- ‘जिंदा रहना है तो सिर नीचे रखो।’ पता चला कि सामने से कुकी लोग फायरिंग कर रहे हैं।
महिलाओं को निर्वस्त्र करने का वीडियो आने के बाद लड़ाई तेज हुई
इस कहानी को थोड़ा पीछे से सुनाते हैं, 19 जुलाई को मणिपुर से दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद अब और महिलाएं भी सामने आने लगी हैं। इंफाल के एक कार वॉश में 5 मई को 2 लड़कियों से गैंगरेप और हत्या का मामला सामने आया है।
एक केस 15 मई का सामने आया है, जिसमें महिला को मैतेई महिला संगठन मीरा पैबिस की मेंबर्स ने किडनैप किया और मिलिटेंट ग्रुप आरामबाई टेंगोल के लोगों को सौंप दिया। इसके बाद 4 लोगों ने उसके साथ गैंगरेप और मारपीट की।
मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फोटो कुकी समुदाय के प्रोटेस्ट की है। यहां समुदाय के लोगों की मौतों और नुकसान की डिटेल पोस्टर के जरिए बताई गई है।
इस तरह की कहानियां सामने आने के बाद इंफाल घाटी और पहाड़ियों के बीच मौजूद फुटहिल के इलाकों में जंग फिर शुरू हो गई है। इस इलाके में कुकी और मैतेई दोनों के बंकर पहले से मौजूद हैं, ये आप भास्कर की रिपोर्ट में पहले ही पढ़-देख चुके हैं।
वक्त: शाम के 7 बजे
फायरिंग होती रही, लेकिन सुरक्षाबल गोली नहीं चला सकते
लगातार फायरिंग जारी थी। हम अचानक इन हालात में फंसे थे, हमारे पास बुलेट प्रूफ प्रोटेक्शन गियर, हेलमेट कुछ नहीं था। सामने जोरदार धमाका हुआ, शायद इमारत पर एक और बम फेंका गया था। बंकर में तैनात जवान समेत हम नीचे झुककर छिप गए।
जवान जवाबी फायर नहीं कर रहे थे। हमने पूछा, ‘आप जवाबी फायरिंग क्यों नहीं कर रहे?’ जवाब मिला- ‘हमारे पास सेंटर से फायरिंग के ऑर्डर नहीं है। जब तक हमारे पास आकर या सामने से सीधे कोई फायरिंग नहीं करता और हमारी कोई कैजुअल्टी नहीं होती, हमें फायर नहीं करना है। यहां हमारा काम है अपनी हद में रहकर हालात को काबू करना।’
हम जिस जगह फायरिंग में फंसे हैं, वो थोरबुंग है। थोरबुंग बिष्णुपुर और चुराचांदपुर के ठीक बीच का इलाका है, जहां हिंसा के पहले मैतेई और कुकी समुदाय रहते थे। 3-4 मई को हुई हिंसा ने इस शहर को घोस्ट टाउन में बदल दिया।
हिंसा का पहला एपिसेंटर चुराचांदपुर था, लेकिन अब पहाड़ों और घाटी के बीच के इलाके जंग का मैदान बन गए हैं। थोरबुंग और कांगवे की एक किमी के बेल्ट में CRPF की तीन बटालियन, असम राइफल्स और BSF जैसे तीन केंद्रीय बल तैनात हैं। फिर भी हिंसा, गोलीबारी, बमबाजी और आगजनी जारी है।