मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों को लेकर सरगर्मी दिनोंदिन बढ़ रही है। भाजपा मिशन 29 को लेकर आगे बढ़ रही है तो कांग्रेस भी पिछले चुनाव से कहीं बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद के साथ मैदान में उतरी है। हम बात करेंगे प्रदेश की उन नौ सीटों की, जहां के विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुत कुछ इशारा करते हैं। भाजपा की बड़ी जीत के बावजूद इन नौ लोकसभा सीटों पर पार्टी की पकड़ कम नजर आती है। छह सीटों पर तो सीधे-सीधे कांग्रेस आगे रही थी। तीन सीटों पर मुकाबला कांटे वाला रहा था।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 28 सीटें जीत ली थीं, वहीं कांग्रेस को एक ही सीट से संतोष करना पड़ा था। वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी। पर इन परिणामों पर नजर डालें तो नौ लोकसभा सीटों पर आने वाली विधानसभाओं में भाजपा को खासा फायदा नजर नहीं आया। ये नौ सीटें हैं- भिंड, मुरैना, ग्वालियर, बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, धार, रतलाम-झाबुआ, खरगोन लोकसभा सीट। अब इनका विधानसभा चुनाव परिणाम भी समझ लेते हैं।
यहां रहा कांटे का मुकाबला
भिंड लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित हैं। इनमें से भाजपा ने चार सीटों भिंड, लहार, सेवड़ा, मेहगांव पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने चार सीटें अटेर, भांडेर, दतिया, गोहद जीती थीं। बालाघाट में भी ऐसा ही हाल रहा। यहां भी आठ विधानसभा सीटें हैं, जहां दोनों पार्टी ने चार-चार सीट जीती थीं। कांग्रेस के खाते में बैहर, बालाघाट, परसवाड़ा, वारासिवनी गए थे, वहीं भाजपा के खाते में लांजी, कंटगी, सिवनी, बरघाट सीटें गई थीं। ग्वालियर लोकसभा सीट पर दोनों पार्टी में कांटे की टक्कर रही थी। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से भाजपा ने ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर, करैरा, भितरवार पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस ने ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर पूर्व, डबरा, पोहरी पर कब्जा किया था।
यहां के नतीजों से भाजपा चिंता में
भाजपा के मिशन 29 में छह लोकसभा सीटें खलल डाल सकती हैं। विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस बढ़त में रही थी। सबसे पहले तो छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, यहां बीते चुनाव में भाजपा ने शिकस्त खाई थी। कमलनाथ के गढ़ में सात विधानसभा सीटें छिंदवाड़ा, अमरवाड़ा, परासिया, जुन्नारदेव, चौरई, सौसर, पांढुर्णा आती हैं। कांग्रेस ने ये सभी सीटें जीती थीं। यहां भाजपा खाली हाथ रही थी। धार लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल आठ विधानसभा सीटें हैं। यहां पांच सीटें मनावर, कुक्षी, बदनावर, सरदारपुर, गंधवानी पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी, जबकि धार, धरमपुरी और इंदौर जिले की डॉ. अंबेडकर नगर महू में भाजपा ने जीत हासिल की थी। मुरैना की आठ सीटों में से कांग्रेस के पास पांच श्योपुर, विजयपुर ,जौरा, मुरैना,अंबाह और भाजपा के पास तीन सबलगढ़, सुमावली, दिमनी सीटें गई थीं। खरगोन लोकसभा सीट पर भी यही हाल रहा। यहां की आठ में से 5 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। राजपुर, बड़वानी, कसरावद ,भगवानपुरा और सेंधवा पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। भाजपा को तीन सीटों खरगोन, महेश्वर और पानसेमल से संतोष करना पड़ा था। मंडला लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटें में से कांग्रेस ने पास पांच जीती थीं। डिंडौरी , बिछिया, निवास, केवलारी, लखनादौन में कांग्रेस का झंडा लहराया था। वहीं शहपुरा, मंडला, गोटेगांव भाजपा के खाते में गई थी।
यहां भी बिगड़ा भाजपा का गणित
आदिवासी बहुल झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट पर भाजपा पीछे रह गई थी। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। इनमें झाबुआ, आलीराजपुर, जोबट ऐर चंदला शामिल है। वहीं एक सीट सैलाना पर भारत आदिवासी पार्टी ने जीत हासिल की थी। भाजपा के कब्जे में सिर्फ तीन सीटें आई थीं। रतलाम ग्रामीण, रतलाम सिटी और पेटलावद पर भाजपा प्रत्याशी जीते थे।
इन नौ लोकसभा सीटों पर कब होना है मतदान
बता दें कि प्रदेश में चार चरणों में मतदान होना हैं। इन नौ लोकसभा सीटों की बात करें तो बालाघाट, मंडला और छिंदवाड़ा में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। भिंड, मुरैना और ग्वालियर में 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होना है। धार, रतलाम-झाबुआ और खरगोन लोकसभा सीट पर 13 मई को वोट डाले जाएंगे।
क्या कहती है भाजपा
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे का कहना है कि भाजपा मजबूत स्थिति में है। विधानसभा चुनाव अलग होते हैं, उसका समीकरण अलग होता है। लोकसभा चुनावों का समीकरण अलग। हम प्रदेश की सभी 29 सीटें जीत रहे हैं। कांग्रेस मुकाबले में कहीं नहीं है। देश और पूरा प्रदेश मोदीजी को फिर प्रधानमंत्री बनाना चाहता है। देश में मोदी लहर है।
क्या कहती है कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि हमारी तैयारी पूरी है। आज भी मौजूदा स्थिति में करीब 11 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को बढ़त मिल रही है। भाजपा डरी हुई है। लोग बदलाव का मूड बना रहे हैं।