शिवानंद तिवारी
पूर्व सांसद
आयोग का रिपोर्ट चेतावनी दे रहा है. एक ओर आप और आपकी पार्टी के लोग आप के कार्यकाल में अभूतपूर्व विकास का दावा करते रहे हैं. दूसरी ओर नीति आयोग के आइने में दूसरी ही तस्वीर नजर आ रही है. बिहार की लगभग 52% यानी आधी से ज्यादा आबादी गरीबी में अपना जीवन बसर कर रही है. नीति आयोग कुछ जिलों की तो स्थिति अत्यंत गंभीर बता रहा है. जैसे किशन गंज जिला की 64.75 प्रतिशत, अररिया की 64.65, मधेपुरा की 64.43%, पूर्वी चंपारण की 64.13% और सुपौल जिला की 64.1 0% आबादी अत्यंत गरीबी में जीवन बसर कर रही है.
ऐसा नहीं है कि नीतीश जी के शासनकाल में सिर्फ गरीबी ही बढ़ी है. बल्कि उसी अनुपात में अमीरी भी बढ़ी है. दिवाली के समय अखबारों में खबर छपी थी. पटना के एक मशहूर मिठाई की दुकान में ₹28000 प्रति किलो दर वाली मिठाई भी बिकी. और एक दो किलो नहीं बल्कि सोने की बरक वाली वह मिठाई ढाई क्विंटल बिकी. करोड़ के आसपास कीमत वाली गाड़ियां भी दिवाली के दिन राजधानी में बिकी. नीतीश जी के राज में बिहार में आश्चर्यजनक रूप से गैर बराबरी बढ़ी है.
जिस बिहार में इतनी बड़ी आबादी गंभीर गरीबी में जीवन बसर कर रही है उसी बिहार की सरकार नए और पुराने म्यूजियम को जोड़ने के लिये सुरंग के जरिये रास्ता बनाने जा रही है. बिहार की राजधानी में जहाँ नागरिक रोजाना औसत दूरी चार-पांच किलोमीटर तय करते हैं वहां नीतीश जी की सरकार डेढ़ हजार करोड़ रूपये की लागत से मेट्रो रेल बनवा रही है.
मुझे लगता है कि अपने विद्यार्थी जीवन में जो भी थोड़ा बहुत गांधी, लोहिया को पड़ा था वह लंबे अरसे तक सत्ता की कुर्सी पर बैठे रहने की वजह से विस्मृत हो गया है. इसीलिए उनके नेतृत्व वाली सरकार की योजनाओं के समक्ष गांधी का अंतिम आदमी अदृश्य हो गया है. एक पुराने साथी के नाते मैं उन्हें सलाह दूंगा कि थोड़ा समय निकालिये. गांधी का पूनरपाठ कीजिए