अमृतसर। अमेरिका में अवैध प्रवासी घोषित हुए 104 भारतीयों का पहला समूह भारत लौट चुका है। राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकरभी इसकी पुष्टि कर चुके हैं। खास बात है कि इन लोगों के वापस लौटने से ज्यादा चर्चाएं अमेरिका (America) की तरफ से भेजे जाने के तरीके की हैं। लौटने वालों का दावा है कि उनके हाथ और पैर बांध दिए गए थे और टॉयलेट जाने तक के लिए नहीं खोले। सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इसी तरह के दावे कर रही हैं।
पंजाब के अमृतसर में लैंड हुए विमान में 72 पुरुष, 19 महिलाएं और 13 बच्चे थे। अपने 10 साल के बेटे के साथ लौटीं लवप्रीत कौर बताती हैं, ‘हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया गया, जैसे हम कोई कट्टर अपराधी हों।’ उन्होंने कहा, ‘हमें विमान में घूमने की आजादी नहीं थी, क्योंकि हथकड़ियां और चैन कमर और पैरों के साथ बंधी हुई थीं और जब यात्रियों ने टॉयलेट जाने के लिए कहा तो भी नहीं खोली गईं।
हिरासत में लिए जाने से पहले कुछ सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही अमेरिका में थे। जबकि, कुछ ने कस्टडी में हफ्तों बिता दिए। डिपोर्ट किए गए कई लोग एक ही बात बता रहे हैं कि वहां फोन और सिम कार्ड जब्त किए, जूतों के फीते और जेवर ले लिए गए थे। साथ ही उन्हें सीमित भोजन के साथ ठंडे स्थान पर रखा गया था।
सुखपाल सिंह नाम के शख्स बताते हैं, ‘कमरे का तापमान जानबूझकर कम रखा गया था, ताकि अवैध प्रवासियों को नुकसान पहुंचाया जा सके और बहुत कम या न के बराबर भोजन दिया गया।’ हालांकि, एक शख्स दलेर सिंह यह भी कहते हैं कि उड़ान के दौरान लोगों को भोजन और मेडिकल सहयोग जैसी अन्य सुविधाएं भी दी गई थीं।
उन्होंने कहा, ‘वो हमें एक कमरे में ले गए। इसके बाद उन्होंने हिरासत में लिए गए सभी लोगों में से सिर्फ भारतीयों को चुना।’ उन्होंने कहा, ‘हमें लगा कि वे हमें रिहा कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमारे हाथ हथकड़ियों से बाध दिए और पैरों में बेड़ियां लगा दीं।’
अब वह ऐसे एजेंट्स के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती हैं, जिनकी मदद से उन्होंने इस तरह से अमेरिका की यात्रा की। वापस लौटे कई लोग भारी कर्ज का सामना कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आंकड़ा 40 लाख रुपये से लेकर 1.05 करोड़ रुपये प्रति व्यक्ति का है।
30 लाख का खर्चा, डंकी रूट से पहुंचे थे अमेरिका

भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार (5 फरवरी, 2025) को अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा. यह निर्वासित लोग वही हैं, जिन्होंने विभिन्न माध्यमों से संयुक्त राज्य में प्रवेश करने का प्रयास किया था. उन्हें वापस भेजा गया तो उनके हाथों में हथकड़ियां बांधी गई, पैरों में बेड़िया लगाई गई और केवल भारत पहुंचने पर ही उन्हें जाने दिया गया.
अमेरिका से लाए गए भारतीयों में 33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे. इन लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिक बच्चे भी शामिल थे, जिसमें एक चार साल का बच्चा और 5 और 7 साल की दो लड़कियां भी शामिल थी.
यह वही लोग हैं, जो विभिन्न तरीकों से अमेरिका पहुंचे थे. कोई खतरनाक पहाड़ों पर चढ़ाई करके गया था तो कोई घने जंगलों से गुजर और सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके अमेरीका पहुंचा था. इतनी खतरनाक रास्तों से गुजरने के बाद भी अंत में उन्हें मिली भी तो बेड़ियां.
जिन लोगों को भारत लाया गया है. उनसे जब बात की गई तो कई लोगों ने बताया कि उन्हें अमेरिका पहुंचने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़े. गुरदासपुर के जसपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने 30 लाख रुपए एजेंट को दिए थे. उनको लगा कि उनकी यात्रा हवाई मार्ग से होगी, लेकिन बजाय इसके उन्हें खतरनाक गड्ढे के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर किया गया, जहां से तस्कर आया जाया करते थे. उन्होंने पहले 6 महीने ब्राजील में बताएं. इसके बाद 24 जनवरी को उन्हें गिरफ्तार किया गया और 11 दिनों बाद उन्हें निर्वासित किया गया.
वहीं पंजाब के होशियारपुर के हरविंदर सिंह ने एक एजेंट को अमेरिका जाने के लिए 42 लाख रुपए दिए थे, लेकिन हरविंदर सिंह को अमेरिका से पहले कई देशों में ले जाया गया. पहले कतर, फिर ब्राज़ील, पेरु, कोलंबिया, पनामा निकारागुआ और मैक्सिको से होकर वह अमेरिका पहुंचे थे.
उन्होंने बताया कि वह कई दिनों तक पैदल चल चलते रहे थे, उन्होंने 17-18 पहाड़ भी पार किए और एक बार तो ऐसा हुआ कि वह लगभग समुद्र में डूब गए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते देखा और दूसरे को समुद्र में डूबते. इन प्रवासियों को उम्मीद थी कि जब वे अमेरिका पहुंच जाएंगे तो वहां पर उन्हें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल जाएगी.
रॉइटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वाटेमाला में प्रवासियों को निर्वासित करने वाली हाल ही में एक सैन्य फ्लाइट की लागत प्रति व्यक्ति काम से कम 4,09,331 रुपए आती है (4675 डॉलर्स), जो अमेरिकन एयरलाइंस की एक तरफ फर्स्ट क्लास के टिकट की लागत से 5 गुना ज्यादा है.